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भारतीय सेना ला रही 20 सुपर किलर, हमले से बचने के लिए पाकिस्तान करने लगा तैयारी

बॉर्डर की सुरक्षा बहुत बड़ा गंभीर विषय है क्योंकि लगातार बॉर्डर पर कई तरह की चुनौतियां भारत के सामने हैं। चीन और पाकिस्तान से लगती सीमाओं के पास भारत के पास पहले से ही एक बड़ी चुनौती खड़ी रही है। हाल के दिनों में थोड़ा बहुत परेशानी जो है भारत को नेपाल के बॉर्डर पर भी देखने को मिली और अब नया थ्रेट बांग्लादेश है। बांग्लादेश से लगती हुई सीमाओं को लेकर भारतीय सेना काफी ज्यादा अलर्ट है। उसकी नजरें हैं। लगातार बीएसएफ जो है वो बॉर्डर्स की निगरानी कर रही है। लेकिन जिस तरह का माहौल तैयार हो रहा है। जिस तरह से कट्टरपंथी ताकत वहां उभार मार रहे हैं। जिस तरह से बांग्लादेश के चरमपंथी गुट यूनुस सरकार पाकिस्तान से जा तालमेल बढ़ा रही है। 

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खतरा बढ़ा है तो भारतीय सेना ताबड़तोड़ फैसले कर रही है और बॉर्डर की सुरक्षा को सुनिश्चित कर रही है। खबर यह है कि भारतीय सेना ने सीमा पर निगरानी और चौकस करने के लिए उसे मजबूत करने के लिए 20 नए टेिकल रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट यानी कि आरपीएस खरीदने की योजना तैयार की है। रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए भारतीय कंपनियों से जानकारी मांगी है। आरएफआई जारी किया है। इससे 10 जो ड्रोन है वो मैदानी इलाकों में 10 ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हाई एल्टीट्यूड पर होंगे। इनमें साफ है कि पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा एलओसी और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी दोनों पर ड्रोन से निगरानी बढ़ानी चाहती है। 

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भारत के इस एक्शन प्लान से पाकिस्तान में खलबली मची हुई है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय हमलों से घबराए पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के अग्रिम क्षेत्रों में ड्रोन-रोधी तैनाती में भारी वृद्धि की है।  रावलकोट में ड्रोन रोधी उपकरणों का संचालन मुख्य रूप से दूसरी आज़ाद कश्मीर ब्रिगेड द्वारा किया जाता है, जो पुंछ सेक्टर में भारतीय चौकियों के सामने वाले क्षेत्रों की ज़िम्मेदारी संभालती है। कोटली में यह ज़िम्मेदारी तीसरी आज़ाद कश्मीर ब्रिगेड के पास है, जिसके कार्यक्षेत्र में राजौरी, पुंछ, नौशेरा और सुंदरबनी के सामने वाले सेक्टर शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार भीमबर सेक्टर की ज़िम्मेदारी सातवीं आज़ाद कश्मीर ब्रिगेड के पास है। नियंत्रण रेखा के साथ-साथ, पाकिस्तान ने इलेक्ट्रॉनिक और गतिज दोनों प्रकार की अमेरिकी मिसाइल प्रणालियों को शामिल किया है।

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तैनात किए गए प्रमुख सिस्टमों में स्पाइडर काउंटर-यूएएस सिस्टम शामिल है, जो निष्क्रिय रेडियो-फ्रीक्वेंसी डिटेक्शन और दिशा-निर्धारण तकनीकों का उपयोग करता है और दावा किया जाता है कि यह 10 किलोमीटर तक की दूरी पर छोटे लोइटरिंग मुनिशन्स और बड़े ड्रोन का पता लगा सकता है। इसके अलावा, सफराह एंटी-यूएवी जैमिंग गन का भी उपयोग किया जा रहा है, जो एक पोर्टेबल, कंधे से दागी जाने वाली प्रणाली है जिसकी प्रभावी रेंज लगभग 1.5 किलोमीटर है और इसे ड्रोन नियंत्रण, वीडियो और जीपीएस लिंक को बाधित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।


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