रबी की प्रमुख फसल गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए समय पर और संतुलित सिंचाई अत्यंत महत्वपूर्ण है। शीतकाल में सिंचाई करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि फसल को नुकसान से बचाया जा सके। जिला कृषि अधिकारी सोम प्रकाश गुप्ता ने अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सही समय, मात्रा और विधि से सिंचाई के टिप्स दिए हैं। गुप्ता के अनुसार, गलत समय पर की गई सिंचाई फसल को नुकसान पहुंचा सकती है। सबसे पहले मिट्टी की नमी की जांच करना आवश्यक है। यदि खेत में पहले से पर्याप्त नमी है, तो सिंचाई से जड़ों में सड़न, पौधों का पीला पड़ना और पोषक तत्वों का बहाव हो सकता है। गेहूं की फसल में सिंचाई का सही समय बुवाई के 20 से 25 दिन बाद होता है। यह अवस्था जड़ों और कल्लो के विकास के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस समय पानी की कमी होने पर पैदावार में भारी गिरावट आ सकती है। सिंचाई करते समय खेत की समतलता पर ध्यान देना चाहिए, ताकि पानी पूरे खेत में समान रूप से फैले। जल स्रोत और पानी की गुणवत्ता की जांच भी जरूरी है। दूषित या ठहरा हुआ पानी गेहूं की फसल के लिए हानिकारक हो सकता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता घटती है और पौधों की वृद्धि प्रभावित होती है। सिंचाई सुबह के बजाय शाम के समय हल्की मात्रा में करनी चाहिए। कृषि अधिकारी ने एक विशेष सुझाव भी दिया है, रात में खेत के चारों ओर पुआल या अन्य सामग्री जलाकर छोड़ दें। उ नका कहना है कि धुएं से गेहूं की पत्तियों पर जमी धूल हट जाती है, जिससे पौधों का विकास बेहतर होता है और उपज में वृद्धि होती है। यदि गेहूं की फसल में पीलापन आ गया है, तो सल्फर को यूरिया के साथ मिलाकर 5 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें। यह छिड़काव फसल में पीलेपन को दूर करने में सहायक होता है।
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