वाराणसी के बड़ागांव में 10वीं के छात्र की हत्या के 36 घंटे बाद खाली हाथ पुलिस वारदात की एक कड़ी तक नही खोल सकी। पुलिस हत्याकांड में नई कहानी तलाश रही है जबकि वारदात में पुरानी कड़ियां खुलती नजर आ रही हैं। गांव की चर्चाओं में वारदात में घायल रामू ही हमलावरों का असली निशाना था, जिसके साथ वारदात के दौरान किशोर समीर सिंह और अन्य दोस्त मौजूद थे। रामू हत्याकांड के एक केस में गवाह है और लगातार गवाही पलटने का दबाव उस पर बन रहा था। रामू और बदमाशों के बीच करीब 10 मिनट तक हाथापाई हुई। सड़क से खेत में उतरने के बाद कुछ दूर तक गेहूं की फसल भी बदमाशों और रामू तथा अभिषेक की हाथापाई और पटका-पटकी में नष्ट हो गए थे। स्पष्ट है कि यदि बदमाश रामू की हत्या करना चाहते तो पहले ही गोली मारकर फरार हो गए होते लेकिन बदमाशों ने ऐसा नहीं किया। इसके अलावा बदमाशों द्वारा जब रामू के ऊपर गोली चलाई गई तो बदमाश सीधे सिर में या उसके सीने में गोली मार सकते थे। लेकिन बदमाशों ने ऐसा नहीं किया और रामू के कमर में गोली मारी। इससे भी यही संकेत मिल रहा है कि बदमाश रामू की हत्या नहीं करना चाहते थे। पहले जानिए वारदात… वाराणसी जनपद के बड़ागांव थाना क्षेत्र के दयालपुर बगीचे में रसूलपुर-बड़ागांव मुख्य मार्ग पर गुरुवार सायंकाल अज्ञात बदमाशों द्वारा गोली मारकर एक किशोर की हत्या कर दी गई। बदमाशों की लड़ाई दूसरे शख्स से हो रही थी। विवाद के बीच बाइक लेकर किशोर समीर वहां पहुंच गया और बदमाश रामू यादव को गोली मारने के साथ ही किशोर समीर सिंह (14) को भी गोली मार दिए। गोली लगने से दोनों घायल हो गए। जिसमें अस्पताल पहुंचने पर समीर की मौत हो गई। गोली मारने के बाद समीर की बाइक को लेकर बदमाश वहां से फरार हुए और घटनास्थल से करीब 2 किलोमीटर दूर बाइक सड़क किनारे खड़ी करके बदमाश पैदल ही भाग गए। यह घटना पूरे इलाके में कौतूहल का विषय बनी हुई है। हत्याकांड जहां पुलिस के लिए चुनौती है वहीं घटना को लेकर मृतक के परिवार के साथ ही गांव के लोगों में भी काफी आक्रोश दिखाई दे रहा है। बदमाशों ने घटना को क्यों अंजाम दिया? अभी तक की पुलिस की तहकीकात में यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है। गांव के लोगों का कहना है कि समीर की किसी से कोई रंजिश नहीं थी। वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था और पढ़ाई के साथ ही घर की जिम्मेदारी भी संभालता था। घटनास्थल के आसपास स्थित दुकानों में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज को पुलिस खंगाल रही है। पुलिस द्वारा प्रत्यक्षदर्शियों से भी पूछताछ की गई। डीसीपी गोमती जोन आकाश पटेल और एसीपी पिंडरा प्रतीक कुमार भी खुद गांव में पहुंचकर जांच पड़ताल और लोगों से पूछताछ कर रहे हैं। सवालों को छोड़कर अंधेरे में तीर चला रही गोमती जोन की पुलिस गोमती जोन पुलिस खुलेआम हत्या के दुस्साहसिक आरोपियों तक पहुंचना तो दूर वारदात की वजह से भी बेखबर है। 10वीं के छात्र की हत्या को मौकाई वारदात का रूप देने में जुटी पुलिस अंधेरे में तीर चला रही है। आखिर 25 दिसंबर को घटनास्थल पर क्या हुआ? कितने बदमाश थे और कैसे घटना को दिया अंजाम? समेत कई सवाल लगातार उठ रहे हैं। इन सवालों के जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर टीम ने गांव में पहुंचकर समीर के परिजनों, प्रत्यक्षदर्शियों और जांच कर रहे अधिकारियों से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…. घटनास्थल से 700 मीटर पहले हुई थी कहासुनी घटनास्थल से करीब 700 मीटर पहले परचून की दुकान चलाने वाले दिनेश कुमार ने बताया कि सायंकाल रामू यादव और अभिषेक यादव एक बाइक पर सवार होकर बड़ागांव की तरफ जा रहे थे। उनके बराबरी पर ही दूसरी बाइक से दो युवक भी चल रहे थे। दयालपुर स्थित प्राथमिक स्कूल के समीप पहुंचने के बाद एक गुमटी के पास बाइक सवार बदमाशों ने रामू और अभिषेक को रोक लिया। इस दौरान बदमाशों और रामू व अभिषेक के बीच कहासुनी और गाली गलौज भी हुई। दिनेश ने बताया कि उस समय दुकान पर दो-तीन ग्राहक थे लेकिन झगड़ा होने की आवाज सुनकर मैं दुकान से बाहर निकला। हम लोगों ने देखा कि रामू और उन युवकों में गाली गलौज हो रहा था। उसके बाद बाइक सवार युवक “चल आगे आज फरिया जाई…” यह कहते हुए युवक बाइक आगे बढ़े उनके पीछे रामू भी बाइक लेकर चल दिया। करीब 700 मीटर आगे जाने पर बस्ती खत्म होते ही बदमाशों ने रामू की बाइक रोक ली। गेहूं के खेत में 10 मिनट तक बदमाशों से हुई हाथापाई दयालपुर स्थित बगीचे में जिस स्थान पर रामू और समीर को गोली मारी गई थी उससे करीब 50 मीटर पहले राजू गिरी का मकान है। राजू ने बताया कि बदमाशों और रामू तथा अभिषेक के बीच हाथापाई होने लगी। इस दौरान दोनों तरफ के लोग गाली गलौज भी देते रहे। सड़क से हाथापाई करते हुए सभी सड़क किनारे गेंहू के खेत में चले गए। राजू गिरी ने बताया कि शोर सुनकर घर से निकल कर वहां पहुंचने वाला था। तभी गोली चलने की आवाज सुनाई दी। मैं कुछ समझ पाता तभी बदमाशों ने असलहा तान दिया और मुझे भी गोली मारने के लिए बोलने लगे। मैं डर गया। तभी एक बाइक आती दिखाई दी। बदमाश हाथ में असलहा लेकर बेफिक्र होकर सड़क पर खड़े थे। दोनों बदमाश बाइक वाले को देखने लगे तभी मौका मिलते ही मैं अपने घर की तरफ भागा। राजू ने बताया कि मैं घर की तरफ भाग रहा था। इसी दौरान मुझे गोली चलने की आवाज सुनाई दी। यह गोली संभवतः समीर को मारी गई होगी। उसके बाद बदमाश समीर की बाइक लेकर रसूलपुर की तरफ भागे। गोली चलने की आवाज सुनकर गांव के लोग भी आने लगे। उसके बाद राजू गांव वालों के साथ घटनास्थल पर पहुंचा। रामू गेहूं के खेत में और समीर सड़क पर छटपटा रहा था।
… तो रामू को केवल धमकाने आए थे बदमाश? लोगों में चर्चा यह भी है कि रामू और बदमाशों के बीच करीब 10 मिनट तक हाथापाई हुई। सड़क से खेत में उतरने के बाद कुछ दूर तक गेहूं की फसल भी बदमाशों और रामू तथा अभिषेक की हाथापाई और पटका-पटकी में नष्ट हो गए थे। इससे स्पष्ट है कि यदि बदमाश रामू की हत्या करना चाहते तो पहले ही गोली मारकर फरार हो गए होते लेकिन बदमाशों ने ऐसा नहीं किया। इसके अलावा बदमाशों द्वारा जब रामू के ऊपर गोली चलाई गई तो बदमाश सीधे सिर में या उसके सीने में गोली मार सकते थे। लेकिन बदमाशों ने ऐसा नहीं किया और रामू के कमर में गोली मारी। इससे भी यही संकेत मिल रहा है कि बदमाश रामू की हत्या नहीं करना चाहते थे। बदमाशों ने आखिर समीर को क्यों गोली मारी? इसका जवाब स्थानीय लोगों के साथ ही प्रत्यक्षदर्शियों से भी जानने का प्रयास किया गया। रामू को गोली मारने के बाद बदमाश सड़क पर मौजूद थे। इसी दौरान समीर वहां पहुंच गया। बदमाशों ने समीर को रोका और फिर उससे उसकी बाइक छोड़ने लगे। इस दौरान समीर अपनी बाइक नहीं दे रहा था जिससे बदमाशों ने उसे गोली मार दी होगी। चर्चा यह भी है कि हो सकता है रामू को गोली मारने वालों को समीर पहचान गया हो और पहचान छुपाने के लिए उन लोगों ने समीर को गोली मार दी। बाइक 2 किमी दूर छोड़कर भागे बदमाश समीर को गोली मारने के बाद बदमाश उसकी बाइक को लेकर घटनास्थल से रसूलपुर की तरह भाग निकले। रसूलपुर गांव में तिवारी बस्ती पहले ही एक मकान के समीप सड़क पर ही बाइक खड़ी करके बदमाश पैदल ही भाग निकले। रात में लावारिस हालत में बाइक देखने के बाद लोगों को इसकी जानकारी हुई उसके बाद पुलिस को सूचना दिया गया। अब सवाल यह भी उठ रहा है कि बदमाश यदि बाइक से भगाने के लिए समीर की बाइक छोड़ रहे थे और इसी के चलते समीर को गोली मारे थे तो फिर बाइक को 2 किलोमीटर दूर छोड़कर पैदल ही क्यों भागे। ऐसे में घटना को स्थानीय बदमाशों द्वारा अंजाम दिया गया होगा। प्रधान हत्याकांड में गवाही किया था रामू साल 2021 में 10 अप्रैल को इंदरपुर के ग्राम प्रधान बिजेंद्र यादव उर्फ पप्पू की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड में इलाके के ही रहने वाले एक बदमाश का नाम सामने आया था। मामले में रामू यादव भी बदमाश के खिलाफ गवाही कोर्ट में गवाही था। डीसीपी गोमती जोन आकाश पटेल ने बताया- सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर घटना की जांच की जा रही है। उन्होंने अभी कहा कि घटनास्थल के आसपास स्थित दुकानों में लगे सीसीटीवी कैमरे से तलाश की जा रही है।
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