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STF तलाशती रही वही 50000 का इनामी मर्डर कर गया:खुलासा : बाबा की हत्या शूटर शानू मंसूरी ने की, प्रयागराज-जौनपुर का इनामी है, कब्र पर चढ़ाए फूल

प्रयागराज में हिस्ट्रीशीटर अफसर अहमद की हत्या में कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। लबे सड़क अफसर को 9 गोली मारने वाला बाबा 315 गैंग का भाड़े का शूटर शानू मंसरी था। कुख्यात अपराधी शानू मंसूरी पर जौनपुर से 50 हजार का इनाम घोषित है जबकि प्रयागराज से 25 हजार का इनामी है। फरार शानू मंसूरी को एसटीएफ और पुलिस तलाशती रही जबकि वह बड़े आराम से प्रयागराज में नसीम बाबा की रेकी कर अपने शूटरों के साथ हत्या कर सनसनी फैला गया। अब प्रयागराज के नसीम हत्याकांड में शूटर शानू उर्फ वकील उर्फ लंबू की करतूत सामने आने के बाद एसटीएफ ताबड़तोड़ छापेमारी में जुट गई है। 30 साल का शानू मंसूरी प्रयागराज के फूलपुर का रहने वाला है। जौनपुर में शानू ने डबल मर्डर कर सनसनी फैला दी थी। ये तस्वीर शूटर शानू मंसूरी की है। इसी हत्याकांड के बाद उस पर 50 हजार का इनाम घोषित हुआ। जौनपुर के अलावा शानू के कई मामलों में फरार है। वर्ष 2018 में फूलपुर में भाजपा नेता पवन केसरी की गोली मार हत्या की गई थी। इस हत्याकांड की महिला गवाह को शानू मंसूरी ने अगवा कर लिया था। कई दिनों बाद पुलिस ने महिला को आजमगढ़ बरामद किया था। इसी अपहरण कांड में फरार हुए शानू पर प्रयागराज पुलिस ने 25 हजार रुपये इनाम घोषित किया है। कुख्यात शानू मंसूरी पर प्रयागराज, जौनपुर, भदोही आदि जिलों में 12 से अधिक मुकदमें दर्ज हैं। बदला लेने को शानू मंसूरी कैसे जुड़ा शूटरों अफसर बाबा की हत्या के बाद उसकी पत्नी शकीला बानों ने 6 नामजद और दो मोटर साइकिल सवार चार अज्ञात पर मुकदमा दर्ज कराया है। नामजद आरोपियों में अतीक, आसिफ उर्फ दुर्रानी, वाजिद अली उर्फ बचऊ, मंसूर उर्फ झल्लू, गुलफान, अकबर शामिल हैं। पुलिस की जांच आगे बढ़ी तो साफ हुआ कि इस हत्याकांड की प्लानिंग, रेकी और शूटआउट में शानू पूरी तरह शामिल रहा। असल में नसीम बाबा का दोस्त और गैंग मेंबर अतीक शानू का रिश्तेदार है। नसीम की मौत के बाद अतीक समेत अन्य गैंग मेंबरों ने उसकी कब्र पर कसम खाई थी कि अफसर को मौत के घाट उतारेंगे। अतीक लगातार शानू के संपर्क में रहा। जब अफसर जेल से छूटने के बाद लापरवाह हो गया और अकेले घूमने लगा तो अतीक ने शानू से संपर्क कर हत्याकांड की प्लानिंग कर ली।
बदला लेने के बाद नसीम की कब्र पर चढ़े फूल नसीम बाब के गैंग मेंबरों ने कसम खाने के बाद बदला पूरा किया। जब अफसर की हत्या दी तो उसी रात मऊआइमा में सगरना नसीम बाबा की कब्र पर फूल चढ़ाए गए। ऐसा बदला पूरा होने के बाद किया गया। यह मामला मऊआइमा में चर्चा में है। 16 दिसंबर की रात प्रयागराज के मऊआइमा थाना क्षेत्र के कंचनपुर इलाके में शूटरों ने अफसर अहमद को गोलियों से छलनी कर दिया था। अफसर को नाै गोली मारी गई थी। हत्याकांड में शामिल एक भी शूटर अब तक पकड़े नहीं गए हैं। सीसीटीवी आया था सामने अफसर को लबे सड़क घेरकर पांच गोली मारी गई थी। शूटरों ने दो गोली सिर, दो पेट और एक पैर में मारी। पुलिस टीमों ने सीसीटीवी खंगाले तो अफसर के पीछे लगे शूटर नजर आए हैं। इतना तो साफ है कि हिस्ट्रीशीटर की हत्या के लिए रेकी और प्लानिंग काम आई। हत्या से पहले अफसर के दो सीसीटीवी फुटेज सामने आए हैं। 4 मिनट 26 सेकेंड और 1.7 सेकेंड की इस फुटेज में अफसर अपने दोस्त रिटायर्ड पुलिसकर्मी वसी के साथ नजर आता है। अफसर और उसका दोस्त नहर ददौली पर रुकते हैं। यहां रसगुल्लों की कई दुकानें हैं। नमकीन भी बिकता है। अफसर रसगुल्ला खाता है और घर के लिए पैक कराता है। इसी दुकान के सीसीटीवी फुटेज में संदिग्ध शूटर भी नजर आए हैं। पुलिस ने दो संदिग्धों को छांटा है जो अफसर का पीछा करते हुए वहां तक पहुंचे थे। एक के कंधे पर बैग है। दोनों संदिग्ध अफसर के पीछे पीछे वहां तक पहुंचते हैं और उसके निकलने के बाद फिर निकल जाते हैं। शक तो यहां तक है कि अफसर की हत्या उसी दुकान पर होनी थी लेकिन दुकान पर काफी भीड़, महिलाएं और बच्चों की वजह से शूटरों को इरादा बदलना पड़ा। फिल्मी स्टोरी से कम नहीं अफसर की सनसनीखेज हत्या फिल्मी स्टोरी जैसी है। अपने गैंग में दोस्त को शामिल करना। फिर दोस्ती में दरार के बाद नया गैंग तैयार होना। इसके बाद वर्चस्व की जंग। फिर समझौते की साजिश और दोस्त से दुश्मन बने दूसरे गैंगस्टर को गोलियों से छलनी कर देना। जनवरी 2024 की हत्या का बदला दिसंबर 2025 को लिया। क्योंकि मारे गए गैंगस्टर नसीम की पत्नी के सामने उसके गैंग मेंबरों ने कसम खाई थी कि अफसर को मार कर ही रहेंगे। जानिये क्या है पूरी दास्तान मूलरुप से प्रतापगढ़ के देल्हूपुर थाना क्षेत्र के जद्दोपुर का रहने वाले अफसर का ससुराल प्रयागराज में है। प्रतापगढ़ में क्राइम करने के बाद अफसर ससुराल मऊआइमा थाना क्षेत्र के मऊआइमा आकर रहने लगा। यहां से उसने गैंग संचालन शुरू किया। गैंग बनाकर वर्चस्व कायम किया। लूट, रंगदारी, जमीन कब्जा आदि में जुट गया। इसी बीच इसकी दोस्ती उसी गांव के रहने वाले नसीम उर्फ बाबा से हुई। नसीब बाबा भी अफसर के गैंग में शामिल हो गया। 12 जनवरी 2024 को दुश्मनी के बीज पड़े। नसीम उर्फ बाबा के करीबी मुश्ताक को अफसर ने बीच बाजार दो थप्पड़ मार दिए। नसीम ने बाद में विरोध किया तो अफसर ने उसे भी धमका दिया। इसके बाद नसीम ने अपना अलग गैंग बना लिया। दोनों गिरोह के बीच वर्चस्व की लड़ाई चलने लगी। कई बार दोनों गिराेह में फायरिंग आदि हुई। इसके बाद 19 जनवरी को किसी ने बीच में पड़ दोनों में समझौता कराने की तैयारी की। 19 जनवरी 2024 की रात आठ बजे अफसर और नसीम अपने गैंग मेंबरों के साथ पहुंचे। यहां बात बिगड़ गई और नसीम को गोलियों से छलनी कर दिया गया। नसीम की हत्या के बाद जमकर बवाल हुआ। फायरिंग और आगजनी हुई। इस मामले में अफसर, उसका बेटा रुस्तम, साथी जुनैद आदि जेल गए। इसी हत्या का बदला लेने के लिए नसीम गैंग के मेंबर लगे रहे। मारे गए अफसर के चाचा मो. हद्दीर जद्दोपुर प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं। वह कस्टम इंस्पेक्टर रहे हैं। अफसर के पिता रईसुल जमा पुलिस में सिपाही थे। परिवार के अन्य लोग ठेकेदार हैं।


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