जौनपुर में शीतलहर का प्रकोप जारी है, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ है। लगातार गिरते पारे और सर्द हवाओं के कारण गलन बढ़ गई है। शुक्रवार रात घना कोहरा छाया रहा, हालांकि तेज हवाओं के कारण यह कम हो गया। शनिवार सुबह कोहरा नहीं था, लेकिन आसमान में बादल छाए रहे और गलन इतनी अधिक थी कि लोग घरों में रहने को मजबूर हो गए। कड़ाके की ठंड से बचाव के लिए लोगों ने अलाव का सहारा लिया। बाजारों में कारोबार मंदा रहा और सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। कई स्थानों पर लोग दुकानों के आगे अलाव जलाकर हाथ सेंकते हुए देखे गए। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। हवा की रफ्तार 3 किलोमीटर प्रति घंटा थी, जबकि आर्द्रता 86 प्रतिशत रही। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 169 अंक पर पहुंच गया था। शनिवार को अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस रहा। आर्द्रता 82 प्रतिशत दर्ज की गई और हवा 8 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। AQI 157 अंक पर पहुंच गया। न्यूनतम तापमान में लगातार गिरावट और घने कोहरे के कारण फसलों में पाला लगने की आशंका बढ़ गई है। राई, सरसों, अरहर, आलू, मिर्च, टमाटर और मटर जैसी फसलें इससे प्रभावित हो सकती हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, आलू की फसल को 40 से 80 प्रतिशत तक क्षति होने का अनुमान है। घना कोहरा अरहर की फसल के लिए भी हानिकारक है, क्योंकि पर्याप्त धूप न मिलने से उसके फूल झड़ जाते हैं। पाले के कारण अन्य फसलों के फूल और पत्तियां झुलसकर सिकुड़ने लगती हैं, कलियां झड़ने लगती हैं और फलियों तथा फलों में बीज के दाने सिकुड़ जाते हैं या बनते ही नहीं हैं, जिससे अंततः फलियां और फल झड़ जाते हैं। कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को पाले से बचाव के उपाय सुझाए हैं। आलू की फसल में मैकोजेब और कारबेंडाजिम का दो ग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करने की सलाह दी गई है। इसके अतिरिक्त, घुलनशील सल्फर की एक किलोग्राम मात्रा को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने को भी कहा गया है।
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