सड़क हादसों में घायलों को पैसों के अभाव में इलाज से वंचित नहीं रहना पड़ेगा। डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने आदेश करते हुए कहा कि जिले भर के नर्सिंग होम व अस्पतालों को सड़क दुर्घटना में घायलों को कैशलेस इलाज देना होगा। इलाज के दौरान उनसे किसी तरह के पैसे की मांग नहीं की जाएगी। देर शाम उन्होंने जिले भर के अफसरों के साथ बैठक करके 15 जनवरी तक जिले भर के सभी ब्लैक स्पाट्स में सुधार के निर्देश दिए। कैशलेस उपचार योजना से होगा अस्पतालों को भुगतान डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने जिले के सभी नर्सिंग होम और निजी चिकित्सालयों को आदेश जारी करते हुए कहा है कि सड़क दुर्घटना में लाए गए किसी भी घायल को इलाज से मना नहीं किया जाएगा और न ही उसे अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्ति से एक रुपये की मांग की जा सकेगी। कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में अक्सर यह देखा जाता है कि घायल को अस्पताल लाने के बाद इलाज शुरू करने से पहले धनराशि, पहचान या औपचारिकताओं की बात की जाती है, जिससे कीमती समय नष्ट होता है और कई बार जान तक चली जाती है। इसी प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए भारत सरकार ने कैशलेस उपचार योजना–2025 को अधिसूचित किया है, जिसे अब जिले में सख्ती से लागू किया जाएगा। एक लाख 50 हजार का मिलेगा कैशलेस इलाज आदेश के अनुसार मोटर वाहन से हुई सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को दुर्घटना की तारीख से सात दिनों तक अधिकतम एक लाख पचास हजार रुपये तक का इलाज पूरी तरह कैशलेस दिया जाएगा। इस इलाज का खर्च अस्पताल को मोटर वाहन दुर्घटना निधि से मिलेगा, जिसका भुगतान केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा। यदि कोई अस्पताल इस आदेश का उल्लंघन करता है तो इसकी शिकायत सीएमओ या डीएम से सीधे की जा सकती है। 264 क्रैश प्वाइंट चिंहित डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में सरसैया घाट स्थित नवीन सभागार में सड़क सुरक्षा समिति की बैठक का आयोजन किया गया। बताया गया कि जनपद में वर्तमान में 264 क्रैश प्वाइंट चिन्हित किए गए हैं, जबकि पूर्व में 17 ब्लैक स्पॉट चिन्हित थे। इसके अतिरिक्त डीसीपी ट्रैफिक द्वारा 12 नए ब्लैक स्पॉट प्रस्तावित किए गए हैं, जिन पर आवश्यक तकनीकी परीक्षण और औपचारिक प्रक्रिया के बाद सुधार कार्य कराए जाएंगे।
डीएम ने निर्देश दिए कि एनएचएआई, पीडब्ल्यूडी, परिवहन विभाग, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग सभी स्थलों पर सड़क इंजीनियरिंग सुधार, साइनेज, स्पीड कंट्रोल उपाय, प्रकाश व्यवस्था, ट्रैफिक मैनेजमेंट और आपात चिकित्सा व्यवस्था को प्राथमिकता पर सुनिश्चित करें। सभी विभागों को 15 जनवरी से पहले निर्धारित कार्य हर हाल में पूर्ण करने के निर्देश दिए गए।
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