इंटर्न व जूनियर डॉक्टरों से मारपीट के बाद जीविका दीदियों में असुरक्षा का भाव है। घटना के पांच दिन बीत जाने के बाद भी जीएमसीएच में संचालित कैंटीन बंद रहा। कैंटीन संचालन नहीं होने से प्रतिदिन 45 से 50 हजार रुपया व्यवसाय पर असर भी पड़ रहा है। अस्पताल में भर्ती परिजनों की परेशानी बढ़ गई है। आंकड़ों पर गौर किया जाय,तो औसतन जीविका रसोई की कैंटीन में 400 से ज्यादा मरीज के परिजन व अन्य लोग नाश्ता व भोजन करते हैं। नाश्ता पर 40 से 50 रुपया,तो खाना पर 80 से 90 रुपया खर्च का बोझ पड़ रहा है। जबकि कैंटीन में हाइजेनिक उन्हें नाश्ता 30 रुपया प्रति प्लेट के दर से व खाना 60 रुपया प्रति प्लेट के दर से खाना मिलता है। शुक्रवार को देखा गया कि भर्ती मरीजों के परिजनों को बाहर में ही नाश्ता व भोजन करने जा रहे हैं। ऐसे में कैंटीन संचालन नहीं होने से मरीज के परिजनों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। वही जीविका दीदियों को 2 लाख 50 हजार से ज्यादा नुकसान भी हुआ है। हालांकि प्रतिदिन की भांति मरीजों को जीविका रसोई की ओर से समय से नाश्ता व दोपहर का खाना उपलब्ध कराया गया। जीविका के पदाधिकारियों से बात की गई है। उन्हें जल्द कैंटीन शुरु कराने को कहा गया है। हालांकि जीविका रसोई से मरीजों को नाश्ता व पाथ्य समय से मिल रहा है। इसमें किसी तरह की दिक्कत नहीं आ रही है। डॉ सुधा भारती, अधीक्षक,जीएमसीएच बेतिया। जीएमसीएच में संचालित होने वाली जीविका की कैंटीन जल्द शुरु होगी। इसको लेकर जीविका दीदियों को निर्देश दिया गया है। ताकि मरीज के परिजनों व अन्य लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो। आरके निखिल, डीपीएम, जीविका पश्चिम चंपारण।
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