बरेली में साइबर अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। पुलिस जांच में सामने आया है कि फर्जी और प्री-एक्टिवेटेड सिम बेचने वाली मोबाइल दुकानों की मिलीभगत से साइबर ठगी का नेटवर्क फल-फूल रहा है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, बीते कुछ ही दिनों में जिले के अलग-अलग थानों में 24 से अधिक साइबर ठगी के मामले दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में सबसे ज्यादा परेशानी उन निर्दोष लोगों को उठानी पड़ रही है, जिनके नाम पर फर्जी तरीके से सिम कार्ड जारी कर दिए गए। पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि जिले के कई मोबाइल दुकानदार नियमों को ताक पर रखकर साइबर ठगों को फर्जी और पहले से एक्टिवेटेड सिम उपलब्ध करा रहे हैं। गुरुवार को सीबीगंज और सुभाषनगर थानों में ऐसे ही दो दुकानदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिससे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। पुलिस के अनुसार, इन फर्जी सिम कार्डों का इस्तेमाल कर लाखों रुपये की ऑनलाइन ठगी की जा रही है। हालांकि, अब तक ठगी को अंजाम देने वाले असली साइबर अपराधी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। भोजीपुरा थाना क्षेत्र के दोहना पीतमराय निवासी राशिद खां के नाम पर चोरी-छिपे एक सिम जारी कर दी गई थी। इसी नंबर का इस्तेमाल कर 41,500 रुपये की साइबर ठगी की गई। राशिद खां ने बताया कि उन्हें इस सिम के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन जब मामला सामने आया तो उन्हें ही थाने और कोर्ट के चक्कर लगाने पड़े। जांच में सीबीगंज थाना क्षेत्र के अटा कायस्थान स्थित फिरोज कम्युनिकेशन के संचालक अनीस खान की भूमिका सामने आई, जिसके बाद पुलिस ने दुकानदार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली। बरेली रेंज के डीआईजी अजय साहनी ने दिसंबर महीने में ही सभी पुलिस कप्तानों को फर्जी सिम के नेटवर्क को तोड़ने और प्री-एक्टिवेटेड सिम बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। उन्होंने डिजिटल अपराधों के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाने पर जोर दिया था। इसके बावजूद, कई मोबाइल दुकानदार बेखौफ होकर साइबर अपराधियों को फर्जी सिम मुहैया करा रहे हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह अवैध धंधा न केवल कानून का खुला उल्लंघन है, बल्कि आम नागरिकों को भी गंभीर कानूनी और आर्थिक परेशानियों में डाल रहा है। मामले में आगे और कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
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