समस्तीपुर में डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में आज अनुसंधान परिषद की बैठक हुई। इस बैठक में 133 अनुसंधान परियोजनाओं पर चर्चा की गई। कार्यक्रम का नेतृत्व विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ पीएस पांडे ने की। बैठक के बाद कृषि विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी ने बताया कि अनुसंधान परिषद की बैठक में तीन पालिसी पेपर भी जारी किए गए । बिहार में ‘गोल्डन स्पाइस’ हल्दी की क्षमता के बेहतर उपयोग पर जारी पालिसी पेपर की लेखक हैं। पालिसी पेपर में बिहार में हल्दी फसल को बढ़ावा देने के लिए एक समग्र नीति और ढांचा के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। जो स्थायी मूल्य श्रृंखला स्थापित करता है और आय और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के बारे में जानकारी देता है। दो महत्वपूर्ण नीति दस्तावेज भी जारी इसके अतिरिक्त उत्तर बिहार में जलवायु अनुकूल कृषि (CRA) पर केंद्रित दो महत्वपूर्ण नीति दस्तावेज भी जारी किए गए। जारी किए गए नीति दस्तावेजों में एक नीति पत्र “उत्तर बिहार में जलवायु अनुकूल कृषि का पोषण: प्रभाव आकलन और नीति सिफारिशें” और एक नीति संक्षिप्त विवरण शामिल है। ये दस्तावेज बिहार सरकार की ओर से वित्त पोषित 80 करोड़ के एक परियोजना के परिणाम हैं। जिसमें RPCAU के अधिकार क्षेत्र में आने वाले ग्यारह जिलों पर कार्य किया गया है। अध्ययन के प्रमुख निष्कर्षों से पता चलता है कि CRA हस्तक्षेपों ने फसल तीव्रता (166.94% से 245.50%), जल उपयोग दक्षता और मृदा स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण सुधार किया है, जिससे किसानों की आय स्थिरता बढ़ी है और उनकी संवेदनशीलता कम हुई है। सरसों में 36% से लेकर मूंग में 73% तक उत्पादकता में वृद्धि देखी गई, जो जलवायु अनुकूल कृषि की प्रभावशीलता को दर्शाती है। किसानों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव नीति संक्षिप्त विवरण में बताया गया है कि CRA ने किसानों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है, जिसमें आर्थिक सुरक्षा में 36.2% और खाद्य सुरक्षा में 21.9% की वृद्धि हुई है। किसानों ने अतिरिक्त आय का उपयोग बच्चों की शिक्षा, विशेष रूप से कौशल उन्नयन पर किया है। जलवायु परिवर्तन एक चुनौती कुलपति डॉ पी एस पांडेय ने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए RPCAU की प्रतिबद्धता पर जोर दिया और कहा कि ये नीति दस्तावेज बिहार में स्थायी कृषि को बढ़ावा देने में नीति निर्माताओं और हितधारकों के लिए मार्गदर्शक होंगे। अनुसंधान परिषद की बैठक में 133 अनुसंधान परियोजनाओं की समीक्षा की गई और राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर चर्चा की गई। इससे पहले, बिहार में हल्दी की क्षमता का उपयोग करने पर एक नीति पत्र भी जारी किया गया था।
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