लखनऊ में शुक्रवार को ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के पाधिकारियों ने प्रेसवार्ता किया। इस दौरान बोर्ड के वार्षिक अधिवेशन को लेकर जानकारी उपलब्ध कराई । बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने बताया कि 28 दिसम्बर को बड़ा इमामबाड़ा में अधिवेशन आयोजित किया जाएगा। इसमें देशभर के प्रमुख उलेमा, समुदाय के प्रतिनिधि और बोर्ड के पदाधिकारी हिस्सा लेंगे । अधिवेशन में शिया मुसलमानों की वर्तमान स्थिति, उनके अधिकारों और वक्फ़ सम्पत्तियों की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। शिया समुदाय की स्तिथि पर होगी चर्चा अधिवेशन के बारे में बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि यह बैठक समुदाय के सामने खड़ी चुनौतियों के बीच एक अहम कदम साबित होगी। उन्होंने देशभर के करोड़ों शिया मुसलमान शिक्षा, रोज़गार और सरकारी योजनाओं में उपेक्षित महसूस करते हैं। अधिवेशन हमारे हक की लड़ाई को मजबूत करने और समुदाय की आवाज को एक मंच देने का अवसर है। हर वर्ष अधिवेशन साल के अंत में किया जाता है जो पूरे साल में समुदाय की समस्याएं होती है उस पर चर्चा होती है। ‘सच्चर कमेटी जरूरी’ शिया मुसलमानों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति जानने के लिए सच्चर कमेटी जैसी अलग समिति बनाने की मांग पर अधिवेशन में प्रमुखता से चर्चा की जाएगी। मौलाना अब्बास ने कहा सरकार की कई योजनाएँ शिया समुदाय तक नहीं पहुंचती है । हम अल्पसंख्यक में भी अल्पसंख्यक हैं, इसलिए हमारी सही स्थिति जानने के लिए अलग से अध्ययन समिति जरूरी है। ‘पार्लियामेंट में प्रतिनिधित्व न होना चिंता का विषय’ मौलाना यासूब ने कहा कि अधिवेशन में वक्फ़ सम्पत्तियों की सुरक्षा भी प्रमुख मुद्दा रहेगा। वक्फ की जमीनें और इमारतें हमारी धार्मिक और सामाजिक धरोहर हैं। उनकी सुरक्षा के लिए हम मजबूत रणनीति पेश करेंगे । भ्रष्टाचार, कब्जे व अनुचित हस्तक्षेप के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करेंगे। देश में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव और गंगा-जमुनी तहज़ीब को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों पर बोर्ड अपनी चिंता व्यक्त करेगा। पूरे देश में फैले 8 करोड़ शिया मुसलमान का पार्लियामेंट में प्रदेश की विधानसभा में प्रतिनिधित्व ना के बराबर है इस पर भी गंभीर विचार होगा।
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