25 दिसंबर को जहां देश-दुनिया में क्रिसमस का उत्साह और जिंगल बेल्स की गूंज सुनाई दे रही थी। वहीं अलीगढ़ में एक अलग तस्वीर सामने आई। तस्वीर महल चौराहे और राजा महेंद्र प्रताप सिंह पार्क में राष्ट्रवादी छात्र सभा ने सेंटा क्लॉज की वेशभूषा में एक बच्चे से चर्च जाने या गिफ्ट बांटने के बजाय विधिवत तुलसी पूजन कराया। सेंटा के हाथ में गंगाजल का लोटा लाल पोशाक, सफेद दाढ़ी और टोपी में सजा सेंटा क्लॉज जब गंगाजल का लोटा लेकर तुलसी के पौधे के सामने नतमस्तक हुआ तो राहगीरों की भीड़ जमा हो गई। संगठन ने इस आयोजन को भारतीय संस्कृति से जोड़ते हुए इसे संस्कारों का संदेश बताया। विदेशी प्रतीकों की जगह भारतीय संस्कार का तर्क राष्ट्रवादी छात्र सभा के अध्यक्ष पुष्कर शर्मा ने कहा कि 25 दिसंबर को बच्चों के बीच सेंटा क्लॉज और गिफ्ट संस्कृति को बढ़ावा दिया जाता है। वहीं, भारतीय परंपरा में तुलसी का विशेष धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। उनका दावा था कि सेंटा क्लॉज एक काल्पनिक और बाजारवादी प्रतीक है और बच्चों को अपनी जड़ों से जोड़े जाने की जरूरत है। सेंटा की वेशभूषा में बच्चा बना संदेश का माध्यम कार्यक्रम में तिलक नाम के बच्चे को सेंटा क्लॉज की वेशभूषा पहनाई गई। उससे गिफ्ट बंटवाने के बजाय तुलसी पूजन कराया गया और मंत्रोच्चार किया गया। संगठन का कहना था कि यह प्रयोग बच्चों को यह बताने के लिए है कि वेशभूषा से ज्यादा जरूरी संस्कार होते हैं। तुलसी पौधे का बताया महत्व संगठन के पदाधिकारियों मनीष प्रताप सिंह और रीता शर्मा ने बताया कि लोगों से अपील कर रहे हैं कि बच्चों को क्रिसमस ट्री के बजाय तुलसी के पौधे का महत्व समझाया जाए। बच्चों को पश्चिमी संस्कृति के अंधानुकरण से बचाया जाए। इसीलिए 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाया गया है।
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