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मुनीर की मौत ‘आसमान’ से आएगी! LoC पर पाक ने रातों-रात तैनात की 35 एंटी-ड्रोन यूनिट्स

भविष्य में होने वाले युद्ध के लिए हिंदुस्तान अभी से धाकड़ तैयारी कर रहा है। अब तक की सबसे विध्वंसक सबसे विस्फोटक ड्रोन फ़ोर्स बना रहा है। इस ड्रोन फोर्स का इस्तेमाल तीनों सेनाएं यानी जल, थल, नव तीनों वॉर फ्रंट्स करेंगी। भारतीय सेना के जवान ताबड़तोड़ ड्रोन स्ट्राइक करेंगे। आसमान से बारूद बरसाएंगे। ऐसे में कहा जा रहा है कि क्या मुनीर की मौत अब आसमान से आएगी? हिंदुस्तान के बारूदी उड़न दस्तों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को दहलादिया था। आसमान से बरसती मौत को देख 25 करोड़ पाकिस्तानी और मुल्ला मुनीर सहल गए थे। पाकिस्तानी फौज की टांगे कांपने लगी थी। लेकिन जानते हैं ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हिंदुस्तान का हवाई हमला तो महज ट्रेलर था। असली पिक्चर तो अब रिलीज होने वाली है। 
अब भारतीय सेना अपनी हर कोर में ड्रोन फोर्स तैनात करेगी। हर सैन्य कोर के पास करीब 10,000 ड्रोन मौजूद रहेंगे और यह ड्रोन सर्विलांस के साथ-साथ अटैक करने में सक्षम होंगे। मतलब यह कि भारत की तीनों सेनाएं भविष्य में होने वाले युद्ध के लिए अभी से ही खाकर प्लानिंग कर चुकी हैं। भारतीय सेना का गेम चेंजर हथियार बनने वाले हैं किलर ड्रोन जिनका मकसद होगा ढूंढो और मारो। भारत के इस एक्शन प्लान से पाकिस्तान में खलबली मची हुई है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय हमलों से घबराए पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के अग्रिम क्षेत्रों में ड्रोन-रोधी तैनाती में भारी वृद्धि की है। खुफिया जानकारी से संकेत मिलता है कि ऑपरेशन सिंदूर 2.0 को लेकर पाकिस्तानी सेना में बढ़ती चिंता के बीच रावलकोट, कोटली और भीमबर सेक्टरों के सामने मानवरहित हवाई प्रणालियों (सी-यूएएस) की नई स्थापना की गई है। 

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ड्रोन कहाँ तैनात किए गए हैं?

सेक्टरवार देखें तो, रावलकोट में ड्रोन रोधी उपकरणों का संचालन मुख्य रूप से दूसरी आज़ाद कश्मीर ब्रिगेड द्वारा किया जाता है, जो पुंछ सेक्टर में भारतीय चौकियों के सामने वाले क्षेत्रों की ज़िम्मेदारी संभालती है। कोटली में यह ज़िम्मेदारी तीसरी आज़ाद कश्मीर ब्रिगेड के पास है, जिसके कार्यक्षेत्र में राजौरी, पुंछ, नौशेरा और सुंदरबनी के सामने वाले सेक्टर शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार भीमबर सेक्टर की ज़िम्मेदारी सातवीं आज़ाद कश्मीर ब्रिगेड के पास है। नियंत्रण रेखा के साथ-साथ, पाकिस्तान ने इलेक्ट्रॉनिक और गतिज दोनों प्रकार की अमेरिकी मिसाइल प्रणालियों को शामिल किया है।

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तैनात किए गए प्रमुख सिस्टमों में स्पाइडर काउंटर-यूएएस सिस्टम शामिल है, जो निष्क्रिय रेडियो-फ्रीक्वेंसी डिटेक्शन और दिशा-निर्धारण तकनीकों का उपयोग करता है और दावा किया जाता है कि यह 10 किलोमीटर तक की दूरी पर छोटे लोइटरिंग मुनिशन्स और बड़े ड्रोन का पता लगा सकता है। इसके अलावा, सफराह एंटी-यूएवी जैमिंग गन का भी उपयोग किया जा रहा है, जो एक पोर्टेबल, कंधे से दागी जाने वाली प्रणाली है जिसकी प्रभावी रेंज लगभग 1.5 किलोमीटर है और इसे ड्रोन नियंत्रण, वीडियो और जीपीएस लिंक को बाधित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

वायु रक्षा हथियार भी तैनात किए गए

इन सॉफ्ट-किल उपायों के अलावा, पाकिस्तान ने कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोनों का मुकाबला करने के लिए पारंपरिक वायु रक्षा हथियारों का भी इस्तेमाल किया है। इनमें रडार मार्गदर्शन प्रणाली से लैस ओर्लिकॉन जीडीएफ 35 मिमी दोहरी बैरल वाली विमानरोधी बंदूकें और धीमी गति और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले हवाई लक्ष्यों को निशाना बनाने में सक्षम अंज़ा एमके-II और एमके-III पोर्टेबल वायु रक्षा प्रणाली (मैनपैड) शामिल हैं।


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