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सहरसा में गुरु गोबिंद सिंह के बलिदान दिवस पर कार्यक्रम:श्रद्धांजलि सभा में वीरता और त्याग को किया गया नमन

सहरसा शहर के अनुराग गली स्थित गुरुद्वारा साहिब में आज गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादे बाबा फतेह सिंह और बाबा जोरावर सिंह के बलिदान दिवस के अवसर पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन श्रद्धा, सम्मान और भावनात्मक माहौल के बीच किया गया। इस अवसर पर भाजपा कार्यकर्ताओं, सिख समुदाय के लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सत्य, धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर साहिबज़ादों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए और उनके अमर बलिदान को नमन किया। श्रद्धा और सम्मान के साथ हुआ कार्यक्रम का आयोजन कार्यक्रम का आयोजन भाजपा जिलाध्यक्ष साजन शर्मा की अध्यक्षता में तथा भाजपा उपाध्यक्ष राजीव रंजन साह के संयोजन में किया गया। गुरुद्वारा साहिब परिसर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का आना-जाना शुरू हो गया था। पूरे परिसर में शांति, श्रद्धा और गुरुवाणी की गूंज के बीच वातावरण भक्तिमय बना रहा। श्रद्धांजलि सभा के दौरान साहिबजादों के चित्रों के समक्ष पुष्प अर्पित किए गए और दो मिनट का मौन रखकर उनके बलिदान को स्मरण किया गया। अमर शहादत से आज भी समाज को मिलती है प्रेरणा सभा को संबोधित करते हुए भाजपा जिलाध्यक्ष साजन शर्मा ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबज़ादों की शहादत भारतीय इतिहास की सबसे गौरवशाली और प्रेरणादायक गाथाओं में से एक है। उन्होंने कहा कि अल्पायु में भी साहिबजादों ने अत्याचार और अन्याय के सामने झुकने से इंकार कर दिया और धर्म तथा सत्य की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। यह बलिदान आज भी समाज को साहस, त्याग और आत्मबल की सीख देता है। कठिन परिस्थितियों में भी नहीं डिगे अपने सिद्धांतों से भाजपा उपाध्यक्ष राजीव रंजन साह ने अपने संबोधन में कहा कि साहिबजादों ने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने आदर्शों और सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा कि साहिबज़ादों का शौर्य, धैर्य और आत्मबल हमें यह सिखाता है कि जीवन में चाहे कैसी भी चुनौतियां आएं, सत्य और न्याय के मार्ग से विचलित नहीं होना चाहिए। उनका जीवन और बलिदान आज की पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक है। धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए परिवार सहित दिया बलिदान सभा में वक्ताओं ने गुरु गोबिंद सिंह जी के पूरे परिवार के बलिदान को याद करते हुए कहा कि धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए उन्होंने अपने चारों पुत्रों का बलिदान दिया। इतिहास के उन क्रूर प्रसंगों का उल्लेख करते हुए वक्ताओं ने कहा कि असहनीय यातनाएं दिए जाने के बावजूद साहिबजादों ने अपने धर्म और आस्था से समझौता नहीं किया। यह त्याग केवल सिख समाज ही नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए गर्व का विषय है। आने वाली पीढ़ियों के लिए अमर प्रेरणा स्थानीय समाजसेवी हैप्पी सिंह ने कहा कि साहिबजादों की अमर गाथाएं सदियों तक आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों के माध्यम से युवाओं को अपने इतिहास और महान बलिदानों से जोड़ना जरूरी है, ताकि समाज में नैतिक मूल्यों और देशभक्ति की भावना और मजबूत हो। सत्य और मूल्यों पर चलने का लिया संकल्प कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी लोगों ने साहिबजादों के आदर्शों पर चलने, सत्य और मानवीय मूल्यों से कभी समझौता न करने का संकल्प लिया। इस अवसर पर गुरुद्वारा अध्यक्ष गुरुचरण सिंह, सचिव स्वर्ण सिंह, परविंदर सिंह, रणवीर सिंह, सुरेंद्र सिंह, मनविंदर सिंह, राजरानी कौर, मंजीत कौर, अमरजीत कौर, जसपाल कौर सहित बड़ी संख्या में महिला-पुरुष, भाजपा पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे। श्रद्धांजलि सभा के माध्यम से सहरसा में यह संदेश स्पष्ट रूप से उभरा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों का बलिदान केवल इतिहास नहीं, बल्कि आज और आने वाले समय के लिए भी सत्य, साहस और त्याग की अमर प्रेरणा है।


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