इटावा सफारी पार्क में लगातार तीन दिनों के भीतर तीन वन्यजीवों की मौत ने सफारी प्रबंधन तंत्र को कठघरे में खड़ा कर दिया है। 21 और 22 दिसंबर को दो बारासिंघा की मौत हुई, जबकि 23 दिसंबर को एक काले हिरण की जान चली गई। प्रशासन अलग-अलग कारण बता रहा है, लेकिन सूत्रों और सामने आए साक्ष्य लापरवाही की ओर इशारा कर रहे हैं। 21 और 22 दिसंबर को बारासिंघा की मौत की घटनाएं सामने आईं, लेकिन इनकी जानकारी तत्काल सार्वजनिक नहीं की गई। मीडिया और आम लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगने दी गई। प्लास्टिक खाते काले हिरण की तस्वीर ने खोली पोल 23 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 26 मिनट पर काले हिरण की तस्वीर प्लास्टिक की बोरी खाते हुए सामने आई। सूत्रों का दावा है कि इसी हिरण की शाम को मौत हो गई। 23 दिसंबर की शाम को सफारी प्रशासन ने एक संक्षिप्त और अस्पष्ट प्रेसनोट जारी कर तीनों मौतों की जानकारी एक साथ मीडिया को दी। सूचना देने में हुई देरी ने प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए। मौत के कारणों पर दो अलग-अलग कहानियां सफारी प्रशासन का कहना है कि दोनों बारासिंघा आपसी संघर्ष में घायल होने से मरे, जबकि काले हिरण की मौत ठंड से हुई। वहीं सूत्रों का दावा है कि बारासिंघा ठंड का शिकार हुए और काले हिरण ने प्लास्टिक की बोरी खा ली थी। चारे की कमी या प्रबंधन की लापरवाही? प्रशासन पर्याप्त भोजन का दावा कर रहा है, लेकिन सवाल यह है कि शेड्यूल वन में शामिल काला हिरण प्लास्टिक खाने को क्यों मजबूर हुआ। सूत्रों के अनुसार इसका सीधा संबंध भोजन की कमी से है। पिछले वर्ष की तुलना में डियर सफारी में चीतल और काले हिरण की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। वर्तमान में चीतल करीब 165, सांभर 19 और काले हिरण 200 से अधिक बताए जा रहे हैं। इसके बावजूद रोजाना केवल चार कुंतल चारा दिया जा रहा है, जबकि जरूरत सात से आठ कुंतल प्रतिदिन की है। टेंडर खत्म, फिर भी सप्लाई जारी पिछले वर्ष चारे की आपूर्ति का टेंडर बाबा ट्रेडर्स को मिला था। अक्टूबर 2025 में टेंडर समाप्त होने के बावजूद बाबा ट्रेडर्स अपने सहयोगी फर्म एसएलपी एंटरप्राइजेज के जरिए सप्लाई कर रहा है। दो महीने बीत जाने के बाद भी नया टेंडर नहीं हुआ। पहले भी उठ चुके हैं सवाल इटावा सफारी में इससे पहले बब्बर शेरों की मौत को लेकर भी सवाल उठ चुके हैं। शेरों के खानपान का मुद्दा विधानसभा तक पहुंचा था, जांच के निर्देश भी हुए, लेकिन बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इटावा सफारी के उपनिदेशक विनय सिंह का कहना है कि वन्यजीवों के लिए भोजन की कोई कमी नहीं है। घास के साथ पेड़-पौधों की पत्तियां भी नियमित रूप से दी जा रही हैं। प्लास्टिक खाते हुए जो फोटो-वीडियो सामने आए हैं, उन्हें पुराना बताया जा रहा है। काले हिरण की मौत ठंड से होना बताया गया है।
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