मुख्यमंत्री आवास 5, कालिदास मार्ग पर आज गुरु गोबिंद सिंह के सुपुत्र साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह की याद में वीर बाल दिवस (साहिबजादे शहादत दिवस) कार्यक्रम का आयोजन किया। गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी वर्ष के अवसर पर आयोजित इस आयोजन में कीर्तन समागम हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसमें शामिल हुए। गेरुआ पगड़ी पहनकर योगी आदित्यनाथ ने साहिबजादों के रुप में सजे बच्चों का अभिवादन स्वीकार किया। नई पीढ़ी को साहस, त्याग और राष्ट्र भक्ति का संदेश दिया। गुरबाणी से गूंजा कालिदास मार्ग शुक्रवार सुबह 11 बजे शुरू हुए कीर्तन समागम में गुरबाणी के मधुर पाठ और शबद कीर्तन से पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। कार्यक्रम में सिख संगत के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। साहिब गुरु तेग बहादुर के बलिदान और गुरु परंपरा की महानता को स्मरण करते हुए रागी जत्थों ने कीर्तन प्रस्तुत किया, जिससे श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे। योगी ने साहिबजादों के बलिदान को बताया प्रेरक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह के सुपुत्र साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह का बलिदान केवल सिख समाज ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण भारत की चेतना का हिस्सा है। बहुत कम उम्र में धर्म और सत्य की रक्षा के लिए दिया गया उनका बलिदान भारतीय इतिहास की सबसे प्रेरक घटनाओं में से एक है। बच्चों में दिखी साहिबजादों की झलक, सीएम ने किया अभिनन्दन कार्यक्रम के दौरान जब बच्चों ने साहिबजादों के स्वरूप में मंच पर प्रस्तुति दी तो मुख्यमंत्री भावुक दिखाई दिए। उन्होंने बच्चों का अभिनन्दन स्वीकार करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन आने वाली पीढ़ियों को अपने गौरवशाली इतिहास से जोड़ने का कार्य करते हैं। बच्चों में साहिबजादों की झलक देखकर यह संदेश मिलता है कि भारत की परंपरा और संस्कार आज भी जीवित है। वीर बाल दिवस नई पीढ़ी को संस्कार और साहस की शिक्षा देता है मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वीर बाल दिवस की घोषणा एक ऐतिहासिक निर्णय है। यह दिन बच्चों को यह सिखाता है कि राष्ट्र, धर्म और मानवता की रक्षा के लिए साहस, धैर्य और त्याग कितना महत्वपूर्ण है। साहिबजादों का जीवन हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है। श्रद्धा, सम्मान और संकल्प के साथ संपन्न हुआ आयोजन कीर्तन समागम श्रद्धा और सम्मान के वातावरण में संपन्न हुआ। कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरु परंपरा को नमन करते हुए समाज में सद्भाव, एकता और राष्ट्रभक्ति को और मजबूत करने का आह्वान किया। वीर बाल दिवस के अवसर पर यह आयोजन लखनऊ में इतिहास, संस्कृति और आस्था का जीवंत उदाहरण बनकर सामने आया।
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