भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने शुक्रवार को मुजफ्फरनगर स्थित अपने आवास पर मीडिया से बात करते हुए यह बयान दिया। टिकैत ने हाल ही में बांग्लादेश के मैमनसिंह में हुई एक घटना का जिक्र किया, जहां कथित ईश निंदा के आरोप में भीड़ ने हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की पीट-पीटकर हत्या कर दी और उसके शव को पेड़ से लटकाकर जला दिया। उन्होंने इस घटना को ‘बहुत निंदनीय’ बताया। उन्होंने कहा, “ढाका के हालात धीरे-धीरे खराब होते जा रहे हैं। हमारा एक संगठन वहां था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है।” किसान नेता टिकैत ने भारत सरकार से इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की मांग की। उन्होंने इसे ‘अंतरराष्ट्रीय मुद्दा’ बताते हुए सरकार से संज्ञान लेने का आग्रह किया। बांग्लादेश से हिंदुओं को भारत लाने की चर्चा पर टिकैत ने कहा कि ‘यहां तो अपने ही नहीं संभल रहे, जगह कहां दोगे?’ उन्होंने तर्क दिया कि एक देश से दूसरे देश में बुलाकर पूरी जिम्मेदारी नहीं ली जा सकती। उन्होंने संबंधों को ठीक रखने और जरूरत पड़ने पर सख्ती बरतने की सलाह दी। टिकैत ने सीमा सुरक्षा पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ‘अभी भी बॉर्डर पर सख्ती नहीं है, ओपन बॉर्डर है।’ उन्होंने भारत में रह रहे किसी भी बांग्लादेशी को बाहर निकालने की बात कही और सीमा पर नियंत्रण न होने को ‘गलत’ बताया। एक अन्य मुद्दे पर, टिकैत ने राजस्थान के जालोर जिले में एक पंचायत द्वारा महिलाओं और लड़कियों पर एंड्रॉयड स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगाने के फैसले से असहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि 10 साल पहले भी ऐसे प्रतिबंध लगाए गए थे, लेकिन अब लोग शिक्षित हो गए हैं। टिकैत ने स्मार्टफोन को बच्चों की पढ़ाई के लिए आवश्यक बताया, क्योंकि कक्षाएं भी इन्हीं के माध्यम से संचालित हो रही हैं। उन्होंने ऐसे प्रतिबंधों को अनुचित ठहराते हुए कहा कि ‘धीरे-धीरे समाज खुलेगा’ और पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना ठीक नहीं है। टिकैत का यह बयान ऐसे समय आया है जब बांग्लादेश में हिंसा बढ़ रही है और भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षा को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं। राजस्थान का फोन बैन मामला भी सोशल मीडिया पर विवाद का विषय बना हुआ है।
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