राजस्थान के सबसे बड़े सवाई मान सिंह (SMS) हॉस्पिटल में मरीज बनकर भास्कर टीम ने मुफ्त जांच के पैसे वसूलते दलालों को बेनकाब किया था। न खुद पर्ची कटाई न किसी डॉक्टर को दिखाया। दलालों ने 3 हजार रुपए लेकर MRI जैसी जांच महज 30 मिनट में करवा दी। खबर के बाद एक आरोपी कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया गया है। 2 के खिलाफ जांच चल रही है। दलालों का यह खेल यहीं तक सीमित नहीं है। पर्ची काटने से लेकर OPD में जाकर डॉक्टर की मुहर तक खुद ही लगवाकर जांच करा लेते हैं। हर जांच के रेट तय कर रखे हैं। चप्पे-चप्पे पर कैमरे, हर यूनिट-सिस्टम में अफसरों की ड्यूटी लगाने के बावजूद दलाल फर्जीवाड़े को अंजाम देते हैं। इसमें 3 जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही सामने आई। इस रिपोर्ट में पढ़िए- कौन हैं वो जिम्मेदार अफसर, जिनकी नाक के नीचे यह सब हो रहा है। एमआरआई सेंटर में 3 अफसरों के पास फर्जीवाड़ा रोकने की जिम्मेदारी
SMS हॉस्पिटल के MRI सेंटर नंबर-60 और 12 में कुल 2 रेडियोग्राफर और एक नोडल ऑफिसर की ड्यूटी लगाई गई है। इनकी जिम्मेदारी होती है एमआरआई कराने से पहले मरीज के दस्तावेजों की पूरी जांच करना। संदेह होने पर कार्रवाई करना। साथ ही एमआरआई की क्वालिटी चेक करना। ये चेक करते हैं कि ओपीडी पर्ची पर डॉक्टर की मुहर लगी है या नहीं, मरीज खुद आया है या कोई तीसरा व्यक्ति या कोई दलाल मरीज का डॉक्यूमेंट लेकर आया है। वेरिफाई करने के बाद ही एमआरआई जांच का बिल कटता है। इसके बाद मरीज की मुफ्त में जांच होती है। भास्कर रिपोर्टर की दलाल ने घर बैठे ओपीडी और डॉक्टर की पर्ची कटवा दी थी। आखिर मॉनिटरिंग करने वाले नोडल ऑफिसर के होने के बावजूद हमारी पर्ची दलाल ने कैसे कटवाई। इसकी पड़ताल करने के लिए रिपोर्टर मरीज बनकर 10 और 11 दिसंबर की दोपहर 1.45 बजे एमआरआई सेंटर गए। यहां करीब एक घंटे रुके। मरीजों के फॉर्म की मॉनिटरिंग करने वाले नोडल ऑफिसर की कुर्सी खाली मिली। एक घंटे तक कोई स्टाफ भी नजर नहीं आया। इसके बाद 18 दिसंबर को दोपहर करीब तीन बजे फिर से एमआरआई सेंटर गए। पिछली बार की तरह इस बार भी नोडल ऑफिसर की कुर्सियां खाली मिली। यहां नोडल ऑफिसर और दो रेडियोग्राफर के स्टाफ में कोई नहीं मिला। स्टाफ के मौके पर मौजूद नहीं रहने का फायदा उठाकर दलाल मरीज की उपस्थिति के बिना ओपीडी से लेकर डॉक्टर की पर्ची कटवा लेते हैं। लापरवाही के 3 बडे़ जिम्मेदार 1. समय सिंह : एमआरआई सेंटर में रेडियोग्राफर टीम के अधीक्षक हैं। इनका काम SMS अस्पताल परिसर में बने MRI सेंटर नंबर-60 और 12 में काम कर रहे टेक्नीशियन के काम की निगरानी करना है। एमआरआई जांच कराने आने वाले प्रत्येक मरीज के दस्तावेजों को चेक करना है। निगरानी के लिए इन्हें एक केबिन भी दिया हुआ है। ये सीट पर बैठते ही नहीं हैं। पड़ताल के दौरान MRI सेंटर नंबर-60 और 12 में हमने कई चक्कर काटे। वहां भी इनका कोई पता नहीं चला। 2. नेत्रपाल : एमआरआई सेंटर कमरा नंबर-12 में रेडियोग्राफर हैं। करीब एक साल से सेंटर में कार्यरत हैं। मरीजों के दस्तावेज चेक करने की जिम्मेदारी है। इनके ओके करने के बाद ही काउंटर पर मुफ्त जांच की बिलिंग की जाती है। बिना वेरिफिकेशन के कोई भी एमआरआई जांच नहीं करा सकता है। 3. राजेश चौधरी : एमआरआई सेंटर कमरा नंबर- 60 में बने काउंटर पर बैठते हैं। यहां आने वाले हर मरीज की पर्ची और जांच के पेपरों को देखना इनकी जिम्मेदारी है। आधार, जनाधार से लेकर एमआरआई फॉर्म और डॉक्टर की मोहर और साइन भी देखे जाते हैं। इनके दस्तावेज वेरिफाई करने के बाद ही आगे पेपर सोनी सेंटर में भेजे जाते है। फ्री की एमआरआई कैसे बनी दलालों की कमाई का जरिया
ओपीडी : ओपीडी में मरीज के आधार या जनआधार कार्ड की आईडी पर मुफ्त पर्ची कटती है। दलाल यहां मरीज के आधार कार्ड की कॉपी से पर्ची कटवा लेते हैं। फेस रेकग्नाइज सिस्टम नहीं होने के कारण काउंटर वाले को पता नहीं लगता है कि आधार कार्ड मरीज लेकर आया है या एजेंट। डॉक्टर की जांच : डॉक्टर मरीज का चेकअप करने के बाद ही एमआरआई या अन्य जांच लिखते हैं। एजेंट यहां डॉक्टर के स्टाफ से अपनी सेटिंग रखते हैं। डॉक्टर की पर्ची पर एमआरआई की जांच लिखवा देते हैं। फिर डॉक्टर की सरकारी मुहर तक लगा देते हैं। पता ही नहीं चलता कि उनकी मुहर का किस तरह से दुरुपयोग हो रहा है। एमआरआई सेंटर : एसएमएस हॉस्पिटल में मरीजों की एमआरआई जांच कमरा नंबर-60, कमरा नंबर-12 और हॉस्पिटल के बाहर सोनी एमआरआई सेंटर में होती है। दलाल यहां एमआरआई लैब के स्टाफ से सेटिंग रखते हैं। पैसे देने वाले मरीज की चंद मिनटों में नंबर लगवा कर एमआरआई करवा देते हैं। हर जांच पर दलालों का फिक्स रेट
एसएमएस अस्पताल में खून की एक यूनिट से लेकर, एक्स-रे, लैब जांच, सीटी स्कैन और एमआरआई सेंटर में हर जांच पर दलालों का रेट फिक्स रहता है। मरीज से कितने पैसे लेने हैं, जांच के बाजार रेट के हिसाब से तय करते हैं। एमआरआई में अलग-अलग तरह की जांच 3-4 हजार से शुरू होकर 30 हजार रुपए तक में होती है। दलाल इन जांचों को जल्दी करवाने के नाम पर 3 से 8 हजार रुपए वसूलते हैं। जबकि सरकारी अस्पताल में जांच फ्री की होती है। ऐसे ही लोगों की मजबूरी का फायदा उठा कर छोटी-छोटी जांचों के एक हजार से लेकर 1500 रुपए तक ले लेते हैं। एसएमएस अस्पताल की खुद की लैब में महज 8 से 10 एमआरआई जांचें
एसएमएस अस्पताल ने दो एमआरआई मशीनों को सोनी लैब को पीपीपी मोड पर दिया हुआ है। सोनी की खुद की लैब में एसएमएस के मरीजों की मुफ्त एमआरआई होती है। सोनी लैब को हर एमआरआई का भुगतान होता है। इसके अलावा एसएमएस मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक अस्पताल (एसएसबी) में खुद की एमआरआई लैब भी है। चौंकाने वाली बात यह है कि जहां सोनी लैब में रोजाना करीब 250 जांचें होती हैं, वहीं एसएसबी में मात्र 8 से 10 जांचें ही रोजाना की जाती हैं। यहां पर गैस्ट्रो, यूरो, नेफ्रो से संबंधित बीमारियों की एमआरआई जांच की जाती है। इतना ही नहीं सरकारी लैब में मरीजों को रिपोर्ट के लिए भी 2 से 3 दिन इंतजार करना पड़ता है। स्पेशियलिटी ब्लॉक का एमआरआई सेंटर ट्रॉमा सेंटर के पास ही बना है। ट्रॉमा में गंभीर मरीज ही रहते हैं। उन मरीजों को भी एमआरआई के लिए सड़क पार कर एसएमएस अस्पताल की मेन बिल्डिंग में जाना पड़ता है। सोनी एमआरआई सेंटर में 1 कर्मचारी सस्पेंड
सोनी एमआरआई सेंटर के ऑफिसर रिटायर्ड कर्नल गड़सी राम ने बताया कि दलालों और एजेंट्स के खिलाफ सेंटर की जीरो टॉलरेंस नीति है। ऐसे लोगों के खिलाफ निगरानी रखते हैं और पकड़े जाने पर सख्त कार्रवाई करते हैं। सेंटर में काम कर रहे वकार नाम के गार्ड को सस्पेंड कर दिया है। अन्य 2 कर्मचारियों की भूमिका की जांच कर रहे हैं। कैसे हुआ था खुलासा यहां पढ़ें… SMS अस्पताल में मुफ्त जांच के पैसे वसूल रहे दलाल:रिपोर्टर बने मरीज, न चेकअप, न लाइन में लगे; पैसे दिए और 30 मिनट में MRI प्रदेश के सबसे बड़े SMS अस्पताल में मुफ्त होने वाली एमआरआई-सीटी स्कैन जैसी जांचों के लिए दलाल पैसे वसूल रहे हैं। न डॉक्टर के पास जाने की जरूरत न लाइन में लगने का झंझट। दलालों को मुंहमांगा पैसा दो, आधे घंटे में नंबर आ जाएगा…(CLICK कर पढ़ें)
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