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पुतिन-जॉर्ज बुश पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर परेशान थे:गलत हाथों में जाने का डर था; 2001-2008 में हुई बातचीत के दस्तावेजों से खुलासा

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को पाकिस्तान के परमाणु हथियार गलत हाथों जाने का डर था। यह जानकारी दोनों के बीच 2001 से 2008 के दौरान हुई बातचीत के डीक्लासिफाइड दस्तावेज सामने आए हैं। ये दस्तावेज अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी आर्काइव ने सूचना के अधिकार कानून के तहत जारी किए हैं। बातचीत में पाकिस्तान के ‘एक्यू खान नेटवर्क’, ईरान और उत्तर कोरिया तक परमाणु तकनीक पहुंचने के खतरे और पाकिस्तान की परमाणु सुरक्षा व्यवस्था पर चिंता जताई गई है। दोनों नेता पाकिस्तान के अंदरूनी हालात, राजनीतिक अस्थिरता और परमाणु कमांड सिस्टम को लेकर चिंतित थे। उन्हें डर था कि अगर हालात बिगड़े तो परमाणु तकनीक गलत हाथों में जा सकती है। 2001-2008 के दौर में पाकिस्तान में सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ का शासन था। 9/11 के बाद आतंकवाद विरोधी लड़ाई में अमेरिका और रूस दोनों उसका सहयोग ले रहे थे। इसके बावजूद, दोनों नेताओं को पाकिस्तान की न्यूक्लियर पॉलिसी और कंट्रोल सिस्टम पर भरोसा नहीं था। रूस ने पहली मुलाकात में ही चिंता जताई स्लोवेनिया के ब्रदो कैसल में 16 जून 2001 को हुई पहली मुलाकात के दौरान पुतिन ने बुश से साफ कहा था कि उन्हें पाकिस्तान को लेकर चिंता है। पाकिस्तान एक सैन्य शासन है, जिसके पास परमाणु हथियार हैं, लेकिन पश्चिमी देश उसकी आलोचना नहीं करते। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने कहा कि रूस पश्चिमी देशों का हिस्सा है, कोई दुश्मन नहीं। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के प्रति सम्मान भी जताया। बाद में बुश ने यह भी कहा था कि उन्होंने पुतिन को करीब से समझा और उन्हें भरोसेमंद पाया। ईरान और उत्तर कोरिया तक फैलने का डर सितंबर 2005 में व्हाइट हाउस में हुई बैठक के दौरान बातचीत ईरान और उत्तर कोरिया तक परमाणु तकनीक पहुंचने के मुद्दे पर केंद्रित हो गई। पुतिन ने आशंका जताई कि ईरान की परमाणु गतिविधियों में पाकिस्तान की भूमिका हो सकती है। पूरी बातचीत पढ़ें… पुतिन: लेकिन यह साफ नहीं है कि ईरान की प्रयोगशालाओं में क्या चल रहा है और वे कहां हैं। पाकिस्तान के साथ उसका सहयोग अब भी जारी है। बुश: मैंने इस मुद्दे पर मुशर्रफ से बात की है। मैंने उनसे कहा कि हमें ईरान और उत्तर कोरिया तक तकनीक पहुंचने की चिंता है। उन्होंने ए.क्यू. खान और उसके कुछ साथियों को जेल में डाला है और नजरबंद किया है। हम जानना चाहते हैं कि उन्होंने पूछताछ में क्या बताया। मैं मुशर्रफ को बार-बार यह बात याद दिलाता हूं। या तो उन्हें पूरी जानकारी नहीं मिल रही है, या फिर वे हमें पूरी सच्चाई नहीं बता रहे हैं। पुतिन: मेरी जानकारी के मुताबिक ईरान के सेंट्रीफ्यूज में पाकिस्तानी मूल का यूरेनियम मिला है। बुश: हां, यही वो बात है जो ईरान ने आईएईए को नहीं बताई थी। यह नियमों का उल्लंघन है। पुतिन: अगर यह पाकिस्तानी मूल का है तो इससे मुझे काफी घबराहट होती है। बुश: इससे हमें भी उतनी ही चिंता होती है। पुतिन: हमारे हालात के बारे में भी सोचिए। भारत की पुरानी चिंता भी सामने आई इन खुलासों के बीच भारत की चिंताएं भी सामने आ गई हैं। भारत लंबे समय से पाकिस्तान के परमाणु प्रसार रिकॉर्ड पर सवाल उठाता रहा है। नवंबर 2025 में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि पाकिस्तान का इतिहास तस्करी, अवैध परमाणु गतिविधियों और एक्यू खान नेटवर्क से जुड़ा रहा है। 7 से 10 मई के बीच हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 15 मई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पाकिस्तान को गैर-जिम्मेदार देश बताते हुए उसके परमाणु हथियारों को IAEA की निगरानी में रखने की मांग की थी। अमेरिका-रूस सहयोग की झलक दिखी इन दस्तावेजों से यह भी सामने आता है कि शुरुआती दौर में पुतिन और बुश के बीच भरोसा और सहयोग बना हुआ था। 9/11 के हमलों के बाद दोनों नेताओं ने आतंकवाद और परमाणु अप्रसार जैसे अहम मुद्दों पर मिलकर काम किया। हालांकि, बाद के वर्षों में इराक युद्ध, नाटो के विस्तार और मिसाइल डिफेंस जैसे मुद्दों पर अमेरिका और रूस के रिश्तों में धीरे-धीरे तनाव बढ़ता चला गया। अब जानिए एक्यू खान नेटवर्क क्या था एक्यू खान नेटवर्क एक गुप्त अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क था, जिसके जरिए पाकिस्तान की परमाणु तकनीक और उपकरण चोरी-छिपे दूसरे देशों तक पहुंचाए गए। इस नेटवर्क के केंद्र में डॉ. अब्दुल कादिर खान (एक्यू खान) थे, जिन्हें पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का जनक माना जाता है। एक्यू खान ने यूरेनियम संवर्धन से जुड़ी अहम जानकारी, सेंट्रीफ्यूज की तकनीक और परमाणु उपकरण ईरान, उत्तर कोरिया और लीबिया जैसे देशों को बेचे या मुहैया कराए। साल 2004 में यह नेटवर्क दुनिया के सामने आया, जिसके बाद एक्यू खान ने टीवी पर आकर अपनी गलती स्वीकार की। हालांकि उन्हें पाकिस्तान में जेल की बजाय नजरबंद रखा गया। इस नेटवर्क को अब तक दुनिया के सबसे बड़े परमाणु घोटालों में से एक माना जाता है। ————— ये खबर भी पढ़ें… मुनीर बोले- भारत से संघर्ष में अल्लाह की मदद मिली:नहीं तो हालात बिगड़ जाते; मई में भारत ने 11 पाकिस्तानी एयरबेस तबाह किए थे पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने भारत के साथ मई में हुए सैन्य संघर्ष में अल्लाह की मदद मिलने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि हमने इसे महसूस किया‌, जिसकी वजह से हालात पूरी तरह बिगड़ने से बच गए। पूरी खबर लिखों…


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