उत्तराखंड के पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक में 18 सितंबर 2022 को रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी के परिवार को बेटी के लापता होने की सूचना मिली। अगले पांच दिनों तक परिवार, स्थानीय लोग और प्रशासन उसकी तलाश करता रहा, लेकिन इसी बीच जांच की दिशा और प्रक्रिया को लेकर कई ऐसे सवाल खड़े हुए, जिनका जवाब आज तक परिवार को नहीं मिला। 24 सितंबर 2022 को अंकिता का शव जिस चीला नहर से बरामद हुआ। यह वही नहर थी, जो वनंतरा रिजॉर्ट के पास बहती है, जहां अंकिता नौकरी करती थी। बेटी का शव मिलने से परिवार गहरे सदमे में था, लेकिन उससे भी बड़ा झटका उन्हें तब लगा, जब पता चला कि शव मिलने से ठीक एक रात पहले उसी रिजॉर्ट को बुलडोजर से ढहा दिया गया। अब 3 साल बाद जब ये मामला दोबारा चर्चाओं में है तो अंकिता के पिता वीरेंद्र भंडारी ने दैनिक भास्कर एप से बातचीत में उस रात की पूरी कहानी, जांच के शुरुआती दिनों में हुए घटनाक्रम और रिजॉर्ट गिराने को लेकर सामने आए नामों का सिलसिलेवार खुलासा किया है। इस पूरे मामले में पूर्व जिला पंचायत सदस्य आरती गौड़ ने भी अपना पक्ष रखा है। अब समझिए आखिर क्यों, कब और किसने तोड़ा रिजॉर्ट… 19–20 सितंबर: एप्लिकेशन छीनी गई, यहीं से गहराया शक अंकिता के पिता वीरेंद्र भंडारी बताते हैं कि बेटी के लापता होने की जानकारी मिलते ही वह अपने गांव (डोभ श्रीकोट) से ऋषिकेश पहुंचे। पहले मुनिकीरेती थाने गए, जहां से उन्हें लक्ष्मणझूला थाना क्षेत्र का मामला बताकर वापस भेज दिया गया। 20 सितंबर को लक्ष्मणझूला थाने पहुंचने पर उन्हें काना ताल क्षेत्र के पटवारी विवेक कुमार के पास भेजा गया, क्योंकि रिजॉर्ट उसी इलाके में था। जब वह पटवारी के पास पहुंचे, तो वहां रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य अपने परिजनों के साथ पहले से मौजूद था। करीब एक घंटे इंतजार के बावजूद पटवारी ने उनसे बात नहीं की। वीरेंद्र भंडारी के अनुसार, जब उन्होंने खुद आगे बढ़कर बेटी के लापता होने की जानकारी दी और जांच की मांग की, तो पटवारी ने उन्हें एक एप्लिकेशन दी, जिसमें अंकिता के सुसाइड की बात लिखी थी। जैसे ही उन्होंने एप्लिकेशन पढ़नी शुरू की तो पटवारी ने वह कागज उनसे छीन लिया। वीरेंद्र भंडारी कहते हैं, यहीं से मुझे लग गया कि कुछ बहुत गलत हो रहा है। रिजॉर्ट पहुंचे तो CCTV बंद मिला, तार कटे हुए थे पटवारी के सामने वीरेंद्र भंडारी और पुलकित आर्य के बीच विवाद हुआ। स्थिति बिगड़ती देख पुलकित ने खुद को निर्दोष साबित करने के लिए रिजॉर्ट के सीसीटीवी फुटेज दिखाने की बात कही। इसके बाद पटवारी के साथ सभी लोग रिजॉर्ट पहुंचे, लेकिन वहां पहुंचने पर कोई भी सीसीटीवी चालू नहीं मिला। जांच करने पर पता चला कि सीसीटीवी के तार कटे हुए थे। इस पर पुलकित ने सफाई दी कि रिजॉर्ट में निर्माण कार्य चल रहा था, इसलिए तार कट गए। अंकिता के पिता का कहना है कि इस जवाब से उनका शक और गहरा गया, क्योंकि लापता होने के तुरंत बाद ही निगरानी व्यवस्था का बंद होना कई सवाल खड़े करता है। 23–24 सितंबर की रात: शव मिलने से पहले बुलडोजर चला करीब पांच दिन बाद 24 सितंबर को अंकिता का शव चीला नहर से बरामद हुआ। लेकिन वीरेंद्र भंडारी का दावा है कि शव मिलने से ठीक एक रात पहले, यानी 23–24 सितंबर की मध्यरात्रि में वनंतरा रिजॉर्ट को बुलडोजर से गिरा दिया गया। उनका आरोप है कि यह कार्रवाई यमकेश्वर की तत्कालीन विधायक रेणु बिष्ट की मौजूदगी में की गई। बुलडोजर लोक निर्माण विभाग से मंगवाया गया और उस कमरे में आग भी लगाई गई, जिसमें अंकिता रहती थी। वीरेंद्र भंडारी कहते हैं, जब जांच चल रही थी, तब सबूत मिटा दिए गए। यह सब बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के हुआ। आरती गौड़ का दावा- पुलिस बिना मौजूदगी के चला बुलडोजर पूर्व जिला पंचायत सदस्य आरती गौड़ ने दैनिक भास्कर एप को बताया कि 24 सितंबर को वह खुद रिजॉर्ट गिराने की तैयारी कर रही थीं। इसके लिए उन्होंने 23 सितंबर को तत्कालीन एसएसपी पौड़ी को फोन कर कहा था कि पुलिस चाहे तो उससे पहले सबूत इकट्ठा कर लें। आरती गौड़ के मुताबिक, 23–24 सितंबर की रात एक स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता ने उन्हें फोन कर बताया कि रिजॉर्ट पर बुलडोजर चल रहा है। जब उन्होंने मौके की जानकारी ली, तो पता चला कि पुलिस वहां मौजूद नहीं थी। उन्होंने लोक निर्माण विभाग के एक एई से संपर्क किया, जिसने पहले अनभिज्ञता जताई। बाद में एई सत्यप्रकाश ने बताया कि विधायक रेणु बिष्ट की मौजूदगी में बुलडोजर चलाया जा रहा है। गोदियाल बोले- जल्द घटना का पर्दाफाश होगा रिजॉर्ट पर बुल्डोजर की घटना को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल कहते हैं, रिजॉर्ट को एक पूरी सोची-समझी साजिश के तहत गिराया गया है। ताकि वहां से कोई सबूत न मिले। भाजपा के एक शीर्ष नेता के इशारे पर रिजॉर्ट में बुल्डोजर चला है। उन्होंने SIT की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा, एसआईटी ने सबूत जुटाने के बजाया सबूत मिटाने का काम किया है। साथ ही असली आरोपियों को सजा न दिलाकर उन्हें बचाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, जल्द ही इस घटना का पर्दाफाश होगा और सबूत मिटाने के आरोप में पुलिस के अधिकारियों पर शिकंजा कसा जाएगा। लापता होने के बाद 6 दिन बाद एसआईटी गठित अंकिता के लापता होने के छह दिन बाद 24 सितंबर को सरकार के निर्देश पर डीआईजी पी. रेणुका के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन हुआ। एसआईटी ने पूरे मामले की गहनता से जांच कर भाजपा के निष्कासित नेता विनोद आर्य के बेटे एवं रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य, मैनेजर सौरभ भास्कर और कर्मचारी अंकित को आरोपित बनाया। ढ़ाई साल तक चली सुनवाई के बाद 29 मई 2025 को कोटद्वार कोर्ट ने तीनों आरोपियों को दोषी मानते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। हालांकि अंकिता के पिता का कहना है, हम एसआईटी जांच से संतुष्ट नहीं हैं। घटना में शामिल कई भाजपा नेताओं के नाम छिपाए जा रहे हैं। मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए और सभी आरोपियों को फांसी की सजा हो।
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