चिनहट क्षेत्र में भास्करेश्वर महादेव की स्थापना के उपलक्ष्य में शिव महापुराण कथा चल रही है। भास्कर प्रज्ञान मिशन ट्रस्ट की ओर से गुरुवार को तीसरे दिन की कथा कराई गई। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए। सभी लोग कथा के दौरान ‘हर-हर महादेव’ का जयघोष करते रहे। कथा व्यास स्वामी भास्करानंद सरस्वती महाराज ने शिव महापुराण के तृतीय दिवस की कथा में कर्म सिद्धांत की गूढ़ व्याख्या की। उन्होंने बताया कि मनुष्य द्वारा किया गया प्रत्येक कर्म अपने निर्धारित समय पर स्वतः फल प्रदान करता है। मनुष्य का कर्म फल अवश्य देता है कथा व्यास ने एक श्लोक का भावार्थ समझाते हुए कहा, ‘अचोद्यमानानि यथा, पुष्पाणि फलानि च। स्वं कालं नातिवर्तन्ते, तथा कर्म पुरा कृतम्।’ इसका अर्थ है कि जिस प्रकार पुष्प और फल बिना किसी प्रेरणा के अपने समय पर स्वयं उत्पन्न होते हैं और समय का अतिक्रमण नहीं करते, उसी प्रकार मनुष्य के द्वारा किया गया कर्म भी अपने निर्धारित समय पर शुभ या अशुभ फल अवश्य देता है। उन्होंने कहा कि जीवन में सद्कर्म, सत्य और धर्म के मार्ग पर चलना ही कल्याणकारी होता है। महाराज श्री ने शिव भक्ति को कर्म शुद्धि का सर्वोत्तम माध्यम बताते हुए कहा कि भगवान शिव की आराधना से मनुष्य के पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है। कथा के माध्यम से शिव तत्व का बोध कराया जा रहा आयोजक और यजमान रणंजय सिंह ने बताया कि यह शिव महापुराण कथा श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक चेतना से जोड़ने का एक प्रयास है। इसमें प्रतिदिन पूजन, रुद्राभिषेक और शिव महापुराण की कथा के माध्यम से शिव तत्व का बोध कराया जा रहा है। कथा के समापन के उपरांत पूर्णाहुति यज्ञ और भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा। इस आयोजन में पपनामऊ, अभय सिंह, देवराज सिंह, अजय कुमार सिंह सहित समस्त आश्रम परिवार की सक्रिय सहभागिता रही।
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