सिद्धार्थनगर में बिना रजिस्ट्रेशन और बिना योग्यता के संचालित हो रहे अस्पतालों, पैथोलॉजी और क्लीनिकों पर प्रशासन ने कार्रवाई की है। जिलाधिकारी शिवशरणप्पा जीएन के स्पष्ट निर्देशों के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अवैध स्वास्थ्य कारोबार के खिलाफ यह कदम उठाया है। 25 दिसंबर, गुरुवार को नैदानिक स्थापना के नोडल अधिकारी डॉ. एम.एम. त्रिपाठी ने पदभार संभालते ही अपनी टीम के साथ सघन छापेमारी अभियान चलाया। सबसे पहले खुनियांव ब्लॉक क्षेत्र के टेकवया गांव में संचालित शिवा पैथोलॉजी पर कार्रवाई की गई। जांच में पाया गया कि पैथोलॉजी का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं था और वैधानिक मानकों का उल्लंघन किया जा रहा था। टीम ने तत्काल नियमानुसार कार्रवाई करते हुए इसे बंद कराया। इसके बाद टीम ने मार्डन डेंटल सेंट्रल पर छापा मारा, जहां चौंकाने वाले हालात मिले। न तो क्लीनिक का पंजीकरण था और न ही इलाज करने वाले व्यक्ति के पास दंत चिकित्सा से संबंधित कोई वैध डिग्री थी। इसके बावजूद मरीजों का दांतों का इलाज किया जा रहा था। इटवा तहसील के नायब तहसीलदार की मौजूदगी में डॉ. एम.एम. त्रिपाठी ने टीम के सदस्यों महेंद्र कुमार और पंकज त्रिपाठी के साथ क्लीनिक को सील कर दिया। यह सख्त कार्रवाई जिलाधिकारी शिवशरणप्पा जीएन की प्रशासनिक सोच और त्वरित निर्णय क्षमता का परिणाम है। हाल ही में अवैध अस्पतालों के संचालन और एक नवजात शिशु की मौत से जुड़े मामलों को उजागर किए जाने के बाद डीएम ने तत्काल संज्ञान लिया था। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को कड़े निर्देश दिए थे, जिसके तहत नैदानिक स्थापना के नोडल अधिकारी में बदलाव किया गया और जवाबदेही तय की गई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजकुमार चौरसिया द्वारा 24 दिसंबर को डॉ. एम.एम. त्रिपाठी को नोडल अधिकारी बनाए जाने के बाद से स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली में तेजी और सख्ती दिखाई देने लगी है।
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