सुल्तानपुर के चर्च में मसीही समुदाय ने प्रभु यीशु का जन्मोत्सव मनाया। इस अवसर पर फादर डेमियन गोम्स ने शांति, सेवा और प्रेम का संदेश दिया। चर्च को फूलों और रोशनी से सजाया गया था, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रार्थना के लिए एकत्र हुए। फादर डेमियन गोम्स ने मीडिया से बातचीत करते हुए प्रभु यीशु के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ईश्वर के पुत्र होते हुए भी प्रभु यीशु एक विनम्र सेवक के रूप में पृथ्वी पर आए और मानवता को ‘मार्ग, सत्य और जीवन’ का संदेश दिया। फादर ने कहा कि ईश्वर ने मानवता से इतना प्रेम किया कि अपने इकलौते पुत्र को इस धरा पर भेजा, ताकि जो कोई उन पर विश्वास करे, उसे मुक्ति मिले। उन्होंने यह भी बताया कि प्रभु यीशु आज भी लोगों की दुआएं सुनते हैं। इसी प्रेरणा से चर्च द्वारा अस्पताल, विद्यालय और विभिन्न समाज सेवा के कार्य किए जा रहे हैं। फादर ने स्पष्ट किया कि सेवा का असली अर्थ गरीबों और दीन-दुखियों के चेहरों में प्रभु को देखना है, जैसा कि मदर टेरेसा ने सिखाया था। उन्होंने संदेश दिया कि जो कोई प्रभु का अनुसरण करना चाहता है, उसे प्रेम और सेवा का मार्ग चुनना होगा। उन्होंने बताया कि प्रभु यीशु का जन्म एक साधारण अस्तबल में हुआ था, जो हमें विनम्रता और सादगी का पाठ पढ़ाता है। फादर ने जोर देकर कहा कि क्रिसमस केवल रोशनी, केक और उपहारों का त्योहार नहीं है, बल्कि यह ‘त्याग’ और ‘अपार प्रेम’ का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में, जहां नफरत और अशांति है, क्रिसमस हमें ‘शांति का दूत’ बनने का आह्वान करता है। प्रभु यीशु ने कहा था—’अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करो’। फादर के अनुसार, असली क्रिसमस तब है जब हम किसी दुखी के चेहरे पर मुस्कान ला सकें या किसी जरूरतमंद की मदद करें।
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