मिर्जापुर में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के इमलहा स्थित कार्यालय पर बजरंग दल ने तुलसी पूजन उत्सव का आयोजन किया। इस दौरान स्वतंत्रता सेनानी स्वामी श्रद्धानंद का बलिदान दिवस भी श्रद्धापूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ से हुई, जिसमें बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं और श्रद्धालुओं ने भाग लिया। वक्ताओं ने तुलसी के धार्मिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और औषधीय महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में हर घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाया जाता था, जिससे वातावरण शुद्ध रहता था और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा व मानसिक शांति बनी रहती थी। वक्ताओं ने वर्तमान में बढ़ते प्रदूषण और बदलती जीवनशैली के कारण तुलसी जैसे पवित्र और औषधीय पौधों के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने लोगों से अपने घरों, आंगनों और आसपास तुलसी के पौधे लगाने तथा उनका संरक्षण करने की अपील की। तुलसी को हिंदू धर्म में माता का दर्जा प्राप्त है और इसमें अनेक औषधीय गुण पाए जाते हैं। बजरंग दल के विभाग संयोजक प्रवीण ने स्वामी श्रद्धानंद के जीवन और योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि स्वामी श्रद्धानंद एक महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद और आर्य समाज के संन्यासी थे। उनका जन्म 22 फरवरी 1856 को पंजाब के जालंधर में हुआ था। स्वामी श्रद्धानंद ने वकालत के दौरान ही खुद को सामाजिक और धार्मिक कार्यों के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना की, जो वैदिक शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र बना। कार्यक्रम का संचालन जिला सह संयोजक पवन उमर ने किया। इस अवसर पर जिला संयोजक अशोक, कार्यालय प्रमुख विजय दूबे, समाजसेवी अवनीश उपाध्याय, राजेश सिन्हा, सुब्रतो गुप्ता, चन्द्रप्रकाश, प्रमोद सोनकर, कमलेश मौर्य, नीरज गुप्ता, अमरनाथ अग्रवाल, हेमन्त, पवन मिश्रा, श्याम सोनी, शोभित पाल, त्रिलोकी नाथ, सुनील मुसद्दी, श्रीकिशन कसेरा सहित विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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