देवरिया जिले के भठवा तिवारी गांव की सलोनी तिवारी ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने उनके शोध-पत्र “स्पेस डेब्रिस प्रबंधन: वर्तमान स्थिति और भविष्य की रणनीतियां” को स्वीकार कर लिया है। सलोनी को यह शोध-पत्र 5 और 6 फरवरी को बेंगलुरु में आयोजित होने वाले एक वैज्ञानिक सत्र में प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया है। नमस्कार फाउंडेशन के सचिव उत्कर्ष मिश्रा ने बताया कि सलोनी तिवारी वर्तमान में नोएडा इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, ग्रेटर नोएडा में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग की स्नातक छात्रा हैं। देवरिया जिले के इतिहास में यह पहली बार है कि किसी स्नातक विद्यार्थी का शोध-पत्र इसरो जैसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संस्थान द्वारा स्वीकार किया गया है। इस उपलब्धि को जिले के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है। सलोनी तिवारी ने जानकारी दी कि उनके शोध-पत्र में अंतरिक्ष मलबे (स्पेस डेब्रिस) की समस्या और उसके प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की गई है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2025 तक स्पेस डेब्रिस प्रबंधन वैश्विक अंतरिक्ष सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है। वर्तमान में पृथ्वी की निचली कक्षा (लो अर्थ ऑर्बिट) में लाखों की संख्या में मलबे के टुकड़े मौजूद हैं, जो सक्रिय उपग्रहों, अंतरिक्ष अभियानों और भविष्य की अंतरिक्ष तकनीकों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करते हैं। शोध-पत्र में इस समस्या के निदान और संभावित समाधानों पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रकाश डाला गया है। सलोनी ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपनी माता लक्ष्मी तिवारी, अपने शिक्षकों और मार्गदर्शकों को दिया है। इस उपलब्धि पर गांव के लोगों, शिक्षा जगत और नमस्कार फाउंडेशन के सदस्यों ने सलोनी को शुभकामनाएं दी हैं।
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