इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जाने वाले पहले भारतीय शुभांशु शुक्ला ने कहा कि एस्ट्रोनॉट्स के लिए डेंटल हेल्थ बहुत जरूरी होती है। उन्होंने बताया कि एस्ट्रोनॉट्स को इमरजेंसी मेडिकल सिचुएशन संभालने की ट्रेनिंग दी जाती है लेकिन अंतरिक्ष में डेंटल सर्जरी संभव नहीं होती। इसलिए स्पेस मिशन से पहले उन्होंने दो अक्ल दाढ़ निकलवाईं। शुक्ला ने आईआईटी बॉम्बे में बुधवार को एक कार्यक्रम में कहा कि जब किसी को स्पेस में जाने की ट्रेनिंग दी जाती है तो अक्ल दाढ़ निकाल दी जाती है। सिलेक्शन के दौरान बहुत से लोगों (जो एस्ट्रोनॉट्स बनने की चाह रखते हैं) उनके दांत निकलवाए गए। उन्होंने कहा- आपको किसी भी इमरजेंसी या किसी भी सिचुएशन का ध्यान रखने के लिए मेडिकली ट्रेनिंग दी जाती है, क्योंकि कोई तुरंत मदद अवेलेबल नहीं होती है। अगर कोई एक चीज है जो आप नहीं कर सकते, तो वह है डेंटल सर्जरी। इसलिए वे पक्का करते हैं कि लॉन्च से पहले आपको कोई प्रॉब्लम न हो। शुभांशु शुक्ला Axiom-4 मिशन के तहत 26 जून को अंतरिक्ष के लिए रवाना हुए थे। 18 दिन तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर रहने के बाद 15 जुलाई 2025 को धरती पर लौटे थे। इसके बाद 17 अगस्त को भारत पहुंचे थे। 18 अगस्त को पीएम मोदी से उन्होंने मुलाकात की थी। देश के पहले ह्यूमन स्पेसफ्लाइट मिशन गगनयान के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप भी कार्यक्रम में मौजूद थे। शुक्ला ने कहा- मैंने अपनी दो अक्ल दाढ़ निकलवाई हैं। नायर के तीन और प्रताप के चार मोलर निकाले गए हैं। अगर आप एस्ट्रोनॉट बनना चाहते हैं तो आपको अपनी अक्ल दाढ़ छोड़नी होगी।
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