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गोरखपुर में फूडकोर्ट के नाम पर 1.48 करोड़ की ठगी:नामी ब्रांड्स के फर्जी एग्रीमेंट दिखाकर हड़पे पैसे, पुलिस ने आरोपी को भेजा जेल

गोरखपुर के वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में फूडकोर्ट शुरू कराने के नाम पर 1.48 करोड़ रुपए की ठगी का गंभीर मामला सामने आया है। मामले में रामगढ़ ताल पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी ने नामी फूड ब्रांड्स से फर्जी एग्रीमेंट और कूटरचित दस्तावेज दिखाकर निजी कंपनी से मोटी रकम हड़प ली। गिरफ्तार आरोपी की पहचान झारखंड के परशूडीह टाटानगर निवासी विभांशु वैभव मिश्रा के रूप में हुई है। आरोपी फिलहाल नोएडा के सेक्टर-16 में रह रहा था और वहीं से पूरे सौदे, दस्तावेजों और भुगतान की प्रक्रिया को अंजाम दे रहा था। पर्यटन विकास के नाम पर की गई थी बड़ी योजना पीड़ित कंपनी मेसर्स अदीप लीजर प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक शुभम बथवाल ने बताया कि कंपनी ने वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की लीज मेसर्स ई-बायोस्कोप इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड से ली थी। योजना के तहत परिसर में नौका विहार, रेल विहार और अन्य मनोरंजन सुविधाओं के साथ एक आधुनिक फूडकोर्ट विकसित किया जाना था। फूडकोर्ट संचालन को लेकर हुआ औपचारिक समझौता फूडकोर्ट संचालन के लिए 13 अक्तूबर 2024 को मेसर्स वीवीएम-21 हॉस्पिटैलिटी ओपीसी प्राइवेट लिमिटेड के मालिक विभांशु वैभव मिश्रा के साथ लेटर ऑफ इंटेंट और फूडकोर्ट लीज एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए। समझौते में तय हुआ था कि आरोपी विभिन्न नामी फूड ब्रांड्स को लाकर फूडकोर्ट शुरू कराएगा। समझौते के बाद पीड़ित कंपनी की ओर से आरटीजीएस के माध्यम से आरोपी को कुल 1.48 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। आरोपी ने भरोसा दिलाया था कि तय समय सीमा के भीतर फूडकोर्ट का संचालन शुरू हो जाएगा। नामी ब्रांड्स के नाम पर दिखाए गए कूटरचित दस्तावेज आरोपी ने भुगतान के बदले नजीर फूड्स, बास्किन-रॉबिन्स, हाउस ऑफ कैंडी, रोल्स सिंह, द बेल्जियन वफ़ल कंपनी, फ्लेवर्स ऑफ लखनऊ, चाय का, द वफ़ल कंपनी और एनएस फूड्स जैसे नामी ब्रांड्स के लेटर ऑफ इंटेंट और एग्रीमेंट दिखाए, जिससे पीड़ित पक्ष को पूरी तरह भरोसा हो गया। जब पीड़ित कंपनी ने संबंधित ब्रांड्स से सीधे संपर्क किया, तो सच्चाई सामने आई। किसी भी ब्रांड का आरोपी के साथ कोई समझौता नहीं हुआ था। चाय का के मालिक शाहिल जुनेजा ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके हस्ताक्षर जाली दस्तावेजों में इस्तेमाल किए गए हैं। लगातार बदलती रहीं तारीखें ठगी सामने आने के बाद भी आरोपी काम शुरू करने का भरोसा देता रहा। कई बार नई तारीखें दी गईं, लेकिन न तो फूडकोर्ट का काम शुरू हुआ और न ही किसी ब्रांड की मौजूदगी दिखी। लगातार दबाव के बाद 13 अगस्त 2025 को ग्रुप डायरेक्टर अमित बथवाल ने आरोपी से मुलाकात की। इस दौरान आरोपी ने 44.04 लाख रुपए का चेक दिया, जो खाते में लगाने पर बाउंस हो गया। इसके बाद आरोपी ने निजी आर्थिक संकट का हवाला देकर 10 लाख रुपये और ले लिए। मोबाइल बंद कर संपर्क से बाहर हुआ आरोपी रकम लेने के बाद आरोपी ने अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया और संपर्क से बाहर हो गया। इसके बाद पीड़ित पक्ष को ठगी का पूरा यकीन हो गया। मामले की शिकायत एसपी सिटी अभिनव त्यागी से की गई। शिकायत की जांच के बाद उनके निर्देश पर रामगढ़ताल पुलिस ने धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज और आपराधिक विश्वासघात की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। कोर्ट में पेशी के बाद भेजा गया जेल रामगढ़ताल पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया। सीओ योगेंद्र सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर आरोपी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। पुलिस अब यह भी जांच कर रही है कि आरोपी ने इसी तरह और किन-किन लोगों या कंपनियों को ठगी का शिकार बनाया है। बैंक लेन-देन, दस्तावेजों और डिजिटल साक्ष्यों की गहन जांच की जा रही है।


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