दमोह के कुम्हारी गांव में इन दिनों एक ऐसा क्रिकेट टूर्नामेंट चल रहा है, जो सिर्फ रन और विकेट की बात नहीं करता, बल्कि गरीब और अनाथ बेटियों के जीवन की नई पारी लिख रहा है। यह कोई आम टूर्नामेंट नहीं, बल्कि ‘विवाह क्रिकेट टूर्नामेंट’ है, जहां फाइनल मैच में बारात आएंगी और दो बेटियों का विवाह कराया जाएगा। मकर संक्रांति के बाद खेले जाने वाले फाइनल मुकाबले में जीत-हार से ज्यादा अहम होगा वो पल, जब समाज के सहयोग से दो जरूरतमंद बेटियां सम्मानजनक जीवन की शुरुआत करेंगी। दो बेटियां, एक सोच और समाज बदलने का संकल्प इस अनोखी पहल के पीछे हैं कुम्हारी गांव के निवासी रवि चौहान। रवि बताते हैं– “मेरी पहली संतान बेटी है और मैंने दूसरी भी बेटी ही चाही। बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं होता, इसी सोच से हर साल एक जरूरतमंद बेटी की शादी कराने का संकल्प लिया।” रवि की यह सोच आज पूरे गांव और आसपास के समाज को जोड़ रही है। परिवार, मित्र और समाजसेवी इस मुहिम में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। देखिए 3 तस्वीरें… विवाह कप सीजन-3… खेल से सेवा तक का सफर लेकिन असली इनाम वो राशि है, जो बेटियों की शादी में लगाई जाती है। दहेज नहीं, बल्कि सम्मान और सहयोग के साथ ये आयोजन होता है। दो सीजन, दो बेटियों की नई शुरुआत 2023: पहले सीजन में कुम्हारी गांव की बेटी रानी आदिवासी का विवाह फाइनल मैच के दौरान कराया गया। दहेज की जगह समाजसेवियों ने गृहस्थी का जरूरी सामान भेंट किया। 2024: दूसरे सीजन में बबीता आदिवासी का विवाह संजय नगर गैसाबाद निवासी युवक से संपन्न हुआ। इस आयोजन को समाज का जबरदस्त समर्थन मिला।इस साल फिर दो बेटियों के हाथ पीले होंगे इस बार दो दलित-आदिवासी बेटियों का विवाह रवि चौहान बताते हैं कि 2025 में भी दो जरूरतमंद बेटियों की शादी की तैयारी चल रही है। एक बेटी दलित परिवार से है और दूसरी बेटी आदिवासी परिवार की है। इनके विवाह का पूरा खर्च टूर्नामेंट से जुटी राशि और समाजसेवियों के सहयोग से किया जाएगा। कुम्हारी गांव का यह टूर्नामेंट बताता है कि खेल सिर्फ मनोरंजन नहीं, समाज बदलने का जरिया भी बन सकता है। जहां आमतौर पर क्रिकेट में ट्रॉफी मिलती है, वहीं यहां बेटियों को सम्मान, सुरक्षा और भविष्य मिल रहा है। टूर्नामेंट की कमाई से गरीब बेटियों का विवाह टूर्नामेंट के आयोजक रवि चौहान ने बताया कि विवाह के लिए आर्थिक स्थिति कमजोर वाले परिवार को चुनते हैं। टीम के सदस्य उनके घर जाकर देखते हैं। उसके बाद उन्हें कहा जाता है। घर का सामान पुरस्कार के रूप में दिया जाता है। फाइनल मैच के दिन ग्राउंड पर जयमाला डलवाई जाती है। इसके बाद उनके घर बाकी रस्में की जाती हैं। रवि के पिता हटा में सरकारी टीचर हैं। साथ ही, पैतृक जमीन भी है। बड़े भाइयों का इंदौर में मेडिकल स्टोर है। वह चाहते हैं कि जितना हो सके, गरीब और अनाथ बेटियों की मदद करते रहें।
इस बार 20 दिसंबर से टूर्नामेंट शुरू हो गया है। इसमें जिले भर की 16 टीमें हिस्सा ले रही हैं। एक दिन छोड़कर मैच होता है। 15 फरवरी 2026 को फाइनल मैच होगा। मैच के बाद बेटियों की शादी करवाई जाएगी। इस खबर पर आप अपनी राय दे सकते हैं…
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