उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष पद पर पूर्व डीजीपी की नियुक्ति को लेकर सवाल उठने लगे हैं। शिक्षा जगत में हुए बड़े बदलाव पर दैनिक भास्कर ने पूर्व एजुकेशन डायरेक्टर वासुदेव यादव से बातचीत की। उनका कहना है कि आयोग पर प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा की भर्तियों की बड़ी जिम्मेदारी है, जिसके लिए विषय विशेषज्ञता जरूरी है। बीते वर्षों में परीक्षाएं चार बार रद्द होने से प्रतियोगी छात्रों को भारी मानसिक व आर्थिक संकट झेलना पड़ा। खासकर ग्रामीण व गरीब पृष्ठभूमि के छात्रों पर इसका गहरा असर पड़ा है। विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई कि नए अध्यक्ष प्रशासनिक अनुभव के साथ शिक्षा व्यवस्था सुधारने का प्रयास करेंगे, हालांकि आशंकाएं अब भी बनी हुई हैं। अब पढ़िए पूरा इंटरव्यू सवाल–जवाब के क्रम में… सवाल: उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष के रूप में पूर्व डीजीपी की नियुक्ति को आप कैसे देखते हैं? जवाब: शिक्षा सेवा चयन आयोग का दायित्व प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा की भर्तियों से जुड़ा है। ऐसे में अध्यक्ष पद पर विषय विशेषज्ञता बेहद जरूरी है। पुलिस प्रशासन में अनुभव होना अलग बात है, लेकिन शिक्षा जगत की समझ न होना एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। सवाल: क्या एक प्रशासनिक पुलिस अधिकारी शिक्षा आयोग को प्रभावी ढंग से चला पाएंगे? जवाब: प्रशासनिक अनुभव सहायक हो सकता है, लेकिन शिक्षा आयोग में विषय विशेषज्ञता भी जरूरी है। परीक्षाएं चार बार टाली गईं, जिससे गरीब और ग्रामीण पृष्ठभूमि के प्रतियोगी छात्रों को भारी मानसिक और आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ी। सवाल: शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए क्या किया जाना चाहिए? जवाब: समय पर भर्तियां, नियमित परीक्षाएं और पारदर्शी प्रक्रिया जरूरी है। इंटर कॉलेजों में हर साल शिक्षक रिटायर होते हैं, लेकिन नई नियुक्तियां नहीं हो रहीं, जिससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सवाल: क्या सरकार के कार्यकाल में माध्यमिक शिक्षा में पर्याप्त भर्तियां हुईं? बार-बार परीक्षाएं रद्द होने को आप कैसे देखते हैं? जवाब: पिछले नौ वर्षों में माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में सरकार ने अपने स्तर से कोई ठोस विज्ञापन नहीं निकाला। जो निकले भी, वे समय पर पूरी नहीं हुईं। टीजीटी-पीजीटी की परीक्षाएं चार बार रद्द होना रिकॉर्ड है। यह बेहद चिंताजनक है और सरकार को बेरोजगार युवाओं के भविष्य को देखते हुए गंभीरता से कदम उठाने चाहिए। सवाल: क्या पेपर लीक और अव्यवस्था के चलते पुलिस अधिकारी को अध्यक्ष बनाया गया है? जवाब: यह सरकार का निर्णय है। लेकिन मेरा मानना है कि इस पद के लिए प्रशासनिक अनुभव के साथ शिक्षा क्षेत्र की गहरी समझ भी आवश्यक है। सवाल: बिहार में हिजाब से जुड़े घटनाक्रम पर आपकी राय? जवाब: पहनावा व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता है। किसी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसा आचरण नहीं करना चाहिए जिससे गलत संदेश जाए। सवाल: वाराणसी में कोडिन सिरप घोटाले को कैसे देखते हैं? क्या ऐसे मामलों में सत्ता संरक्षण मिल रहा है? जवाब: यह बेहद गंभीर मामला है। मास्टरमाइंड का विदेश भाग जाना और सरकार की ढिलाई कई सवाल खड़े करती है। बिना सत्ता संरक्षण के ऐसे धंधे संभव नहीं। अगर सत्ता चाह ले तो कार्रवाई तुरंत हो सकती है। छोटे मामलों में सख्ती और बड़े नशा कारोबारियों पर नरमी समझ से परे है। सवाल: बांग्लादेश में हिंदू युवक की हत्या पर आपकी प्रतिक्रिया? जवाब: कट्टरता किसी भी धर्म की हो, निंदनीय है। विदेश नीति सौहार्दपूर्ण होनी चाहिए और पड़ोसी देशों से रिश्ते मजबूत रखने चाहिए।
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