आज यानी की 25 दिसंबर को योगगुरु और पतंजलि आयुर्वेद बाबा रामदेव अपना 60वां जन्मदिन मना रहे हैं। सीमित संसाधनों और साधारण परिवार से निकलकर उन्होंने योग और आयुर्वेद के जरिए देश-दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई। बहुत कम उम्र में बाबा रामदेव ने संन्यास का मार्ग अपनाया और योग को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर बाबा रामदेव के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और परिवार
हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के एक छोटे से गांव में 25 दिसंबर 1965 को रामदेव का जन्म हुआ था। इनके बचपन का नाम रामकृष्ण यादव था। बाबा रामदेव ने कम उम्र में संन्यास का मार्ग चुना था। बाबा रामदेव ने हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ को अपनी सेवा और साधना का केंद्र बनाया। साल 2000 के बाद दूरदर्शन पर प्रसारित योग कार्यक्रम को घर-घर तक पहुंचाया। बाबा रामदेव के योगासान और प्राणायाम को करोड़ों लोगों ने अपनाया, जिससे योग एक जनआंदोलन बन गया।
स्वदेशी और आयुर्वेद को बढ़ाया
योग के अलावा बाबा रामदेव ने स्वदेशी और आयुर्वेद को बढ़ावा दिया। उन्होंने आचार्य बालकृष्ण के साथ मिलकर पतंजलि आयुर्वेद की स्थापना की। यह आज के समय में देश की सबसे बड़ी आयु्र्वेदिक और FMCG कंपनियों में से एक है। पतंजलि ने न सिर्फ आयुर्वेदिक दवाओं को फेमस बनाया। बल्कि स्वदेशी उत्पादों के माध्यम से विदेशी कंपनियों को कड़ी चुनौती दी।
विवाद
बाबा रामदेव का सफर विवादों से अछूता नहीं रहा है। उनकी आंदोलनकारी भूमिका, राजनीतिक बयानों और कुछ उत्पादों को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। इसके बाद भी बाबा रामदेव के समर्थकों में कोई कमी नहीं है। आज भी बाबा रामदेव को करोड़ों लोग समाज सुधारक, योग गुरु और स्वदेशी आंदोलन के प्रतीक के रूप में देखते हैं।
बाबा रामदेव के समर्थकों का मानना है कि बाबा रामदेव ने योग और आयुर्वेद को वैश्विक पहचान दिलाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। बाबा रामदेव के लिए यह सिर्फ उम्र का पड़ाव नहीं बल्कि उस विचारधारा का यात्रा भी है। जिसने स्वास्थ्य, योग और स्वदेशी को करोड़ों लोगों के जीवन का हिस्सा बनाने के काम किया।
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