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BHU के सिलेबस में शामिल हुआ दीनदार ख़ान का योगदान:मुगलकालीन जागीरदार और दिलदारनगर के संस्थापक पर होगी पढ़ाई

दिलदारनगर के संस्थापक दीनदार ख़ान को लेकर क्षेत्र के लिए गौरव का क्षण सामने आया है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के इतिहास विभाग ने अपने स्नातकोत्तर (एम.ए.) पाठ्यक्रम में मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब के शासनकाल के प्रमुख जागीरदार कुँअर नवल सिंह सिकरवार उर्फ़ मुहम्मद दीनदार ख़ान के योगदान को सम्मिलित किया है। इसी क्रम में एम.ए. परीक्षा में उनसे संबंधित प्रश्न पूछे जाने को इतिहास को व्यापक और संतुलित दृष्टि से देखने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। इतिहासकारों के अनुसार कुँअर नवल सिंह सिकरवार औरंगज़ेब काल के प्रभावशाली जागीरदार थे। वे वर्तमान गाजीपुर जनपद के परगना ज़मानियां के जागीरदार तथा दीनदारनगर (आज का दिलदारनगर) के संस्थापक माने जाते हैं। उनका जन्म बिहार के कैमूर जनपद के समहुता गांव में हुआ था। वे सिकरवार राजपूत वंश से थे और इस्लाम धर्म स्वीकार करने के बाद मुहम्मद दीनदार ख़ान कहलाए। उन्होंने मुग़ल प्रशासन के अंतर्गत राजस्व व्यवस्था, प्रशासनिक संतुलन और स्थानीय शांति बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई। उनका कार्यक्षेत्र गाजीपुर के कमसार क्षेत्र से लेकर बिहार के परगना चैनपुर तक फैला था। उनके भाई दानिश ख़ान को औरंगज़ेब द्वारा दत्तक पुत्र का दर्जा मिला, जबकि उनके पुत्र कुँअर धीर सिंह उर्फ़ बहरमंद ख़ान चैनपुर के फौजदार रहे। बीएचयू इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजीव श्रीवास्तव के अनुसार, इस पाठ्यक्रम समावेशन से छात्रों को मुग़ल कालीन स्थानीय नेतृत्व की भूमिका समझने का अवसर मिलेगा। इतिहास केवल सम्राटों और केंद्रीय सत्ता तक सीमित नहीं है, बल्कि स्थानीय जागीरदारों, क्षेत्रीय नेतृत्व और प्रशासनिक संरचना की भूमिका को समझने की नई दृष्टि मिलेगी। दीनदार ख़ान के वंशज एवं दिलदारनगर निवासी डॉ. कुँअर नसीम रज़ा सिकरवार ने इसे गाजीपुर के क्षेत्रीय इतिहास के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। बीएचयू के इस निर्णय से इतिहासकारों, शोधार्थियों और स्थानीय लोगों में उत्साह का माहौल है।


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