गोरखपुर के गीता वाटिका में श्रीराधाबाबा की 114वें जन्म महोत्सव के अवसर पर भक्तमाल कथा और रासलीला का भव्य आयोजन किया गया है। 23 से 28 दिसंबर तक आयोजित इस कथा के दूसरे दिन कथा व्यास मदन मोहनदास ने बताया कि भक्तों को हर परिस्थति में भगवान को याद करना चाहिए। इस दौरान परिसर में ज्यादा संख्या में भक्त मौजूद रहें। सभी ने भक्ति में डूब कर कथा का आनंद लिया। साथ ही रासलीला को देखकर भाव विभोर हो उठे। कथा को आगे बढ़ाते हुए कथा व्यास मदन मोहन दास ने बताया कि ब्रह्माजी कहते हैं कि आप मोर-मुकुट धारण किए हुए हैं। हे नन्दलाल ! मैं आपको प्रणाम करता हूं। फिर भी आप ब्रह्माजी की ओर दृष्टि नहीं डालते, जबकि अपने साधकों की पुकार आप तुरंत सुन लेते हैं। भक्त प्रतिकूल परिस्थितियों में प्रभु को देता दोष
तब ब्रह्माजी फिर कहते हैं कि संसार में मनुष्य अनुकूल परिस्थितियों में तो भगवान को स्मरण करता है, किंतु प्रतिकूल परिस्थितियों में दोष देने लगता है। यह स्थिति उचित नहीं है। अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ही परिस्थितियों में भक्त को भगवान का स्मरण करना चाहिए। हृदय में जैसे भाव होते हैं, उसी के अनुसार आनंद की अनुभूति होती है। सभी परिस्थितियों में ईश्वर की महान कृपा का अनुभव करना ही भक्त का कर्तव्य है। इसलिए हृदय में प्रभु के नाम के प्रति प्रेम जगाएं, निरंतर नाम-जप करें भगवान स्वयं आपको दर्शन देंगे। इस अवसर पर वृंदावन की रामजी शर्मा, निकुंज बिहारी की रासमंडली की ओर से ‘‘छ: दिवसीय भव्य रासलीला’’ का आयोजन भी आयोजन किया गया है। दूसरे दिन भक्त नामदेव लीला का भावपूर्ण प्रस्तुती किया गया। 28 को आयोजित होगा भव्य जन्मोत्सव
संस्था के सचिव उमेश कुमार सिंहानिया ने बताया कि भक्तमाल कथा और रासलीला दर्शन का यह क्रम 23 दिसम्बर से 28 दिसंबर 2025 तक चलेगा। पौष शुक्ल अष्टमी/नवमी के दिन 28 दिसंबर को श्रीराधाबाबा का भव्य जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
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