सिटी रिपोर्टर|मुजफ्फरपुर पंडित मदन मोहन मालवीय न केवल महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि समाज को सर्वांगीण रूप से बेहतर बनाने की दिशा में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। वे स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता, राष्ट्रवादी पत्रकार, वकील और एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते थे। तभी तो गांधी ने महामना और डॉ. एस राधाकृष्णन ने उन्हें कर्मयोगी की उपाधि से विभूषित किया। उनका जन्म 25 दिसंबर, 1861 को हुआ था। बचपन से ही एक संस्कारिक वातावरण में उनका पालन पोषण हुआ। प्रारंभिक शिक्षा उनकी जन्मस्थली प्रयाग में ही हुई, जहां अंग्रेजी और संस्कृत का ज्ञान समान रूप से प्राप्त किया। 1884 में कोलकाता विश्वविद्यालय से बीए की उपाधि प्राप्त की। सामाजिक क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए उन्होंने कार्य किया। 1916 में लखनऊ समझौते का विरोध किया, जिसमें मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र का प्रावधान था। खिलाफत के मुद्दे पर उन्होंने कांग्रेस का विरोध किया। गंगा नदी पर अंग्रेजों की नीतियों के विरुद्ध 1905 में गंगा महासभा की स्थापना की। 1915 में हिंदू महासभा की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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