झांसी में क्रिसमस की धूम है। महानगर के गिरजाघरों को दुल्हन की तरह सजाया गया। इसाई धर्म के मानने वाले प्रभु यीशु के जन्म का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। बता दें कि झांसी के 100 साल से भी ज़्यादा पुराने चर्च हैं। जिन्हें आज रंग बिरंगी झालरों से रोशन किया गया है। कैथड्रल चर्च के फादर ब्रीटो ने बताया कि रात 11 बजे से जश्न की शुरूआत हो जाएगी। 24 दिसम्बर की रात और 25 दिसम्बर का दिन इसाई धर्म के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसे बड़ा दिन कहकर भी मनाया जाता है। आज यानी 24 दिसम्बर से झांसी के गिरजा घरों में क्रिसमस मनाने की तैयारी हो गई है। खाती बाबा के 97 साल पुराने कैथड्रल चर्च को दुल्हन की तरह सजाया गया है। यहां के फादर ब्रीटो ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए बताया कि आज रात 11 बजे से यहां प्रभु यीशु का जन्म उत्सव शुरू हो जाएगा। सभी लोग कैरल सांग गाकर प्रभु के जन्म की खुशी मनाएंगे। वहीं सेंट ज्युड्स श्राइन चर्च को भी रंग बिरंगी झालरों से सजाया गया है। यहां पहले सामूहिक प्राथना होगी, फिर रात 12 बजे प्रभु यीशु के जन्म उत्सव मनाया जाएगा। बता दें कि यहां कल यानी 25 दिसम्बर से एक मेला भी शुरू होगा, जिसमें देश-विदेश से इसाई धर्म को मानने वालों के साथ ही सभी धर्मों के लोग शामिल होंगे। चरनी ने मोह लिया मन ऐसी मान्यता है कि प्रभु यीशु का जन्म उस स्थान पर हुआ था जहां चरवाहे अपने मवेशी लेकर चराने जाया करते थे। इसे ही चरनी का नाम दिया गया। महानगर के गिरजाघरों में ऐसी ही चरनी की मनमोहक झांकियां सजाई गई हैं, जिन्हें देखने लोग पहुंच रहे हैं। इस झांकी में यीशु के जन्म के समय को दर्शाया गया है।
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