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सीओ, कोतवाल समेत 13 पुलिसकर्मियों पर FIR के आदेश:संभल पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में फंसाया, जब लूट हुई तब बदायूं जेल में था आरोपी

उत्तर प्रदेश में पुलिस मुठभेड़ों को लेकर उठ रहे सवालों के बीच संभल पुलिस पर गंभीर आरोप लगे हैं। बहजोई थाना पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ दिखाकर दो युवकों—धीरेंद्र और अवमेश—को एक लाख रुपये की लूट और 19 मोटरसाइकिल चोरी के मामलों में फंसाने का आरोप है। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से एक आरोपी धीरेंद्र कथित घटना के समय जिला कारागार बदायूं में बंद था। 25 अप्रैल 2022 की लूट का मामला मामला 25 अप्रैल 2022 का है। अर्जुनपुर जूना गांव निवासी दुर्वेश पुत्र वीरपाल बहजोई से दूध का भुगतान लेकर अपने गांव लौट रहे थे। दोपहर करीब 1:10 बजे मोटरसाइकिल सवार दो अज्ञात व्यक्तियों ने उनसे एक लाख रुपये लूट लिए। उसी दिन दोपहर 2:40 बजे बहजोई थाने में अज्ञात के खिलाफ धारा 392 आईपीसी के तहत मुकदमा संख्या 185/2022 दर्ज किया गया। विवेचना में षड्यंत्र का आरोप इस मुकदमे की विवेचना तत्कालीन एसएचओ पंकज लवानिया ने उपनिरीक्षक प्रबोध कुमार को सौंपी थी, जिसे बाद में तत्कालीन निरीक्षक अपराध राहुल चौहान को स्थानांतरित कर दिया गया। आरोप है कि विवेचना के दौरान तत्कालीन सीओ बहजोई गोपाल सिंह, तत्कालीन एसएचओ पंकज लवानिया, तत्कालीन उपनिरीक्षक प्रबोध कुमार और तत्कालीन निरीक्षक अपराध राहुल चौहान ने अन्य पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर षड्यंत्र के तहत धीरेंद्र पुत्र कुंवरपाल और अवमेश पुत्र ऋषिपाल को झूठे मामले में फंसा दिया। फर्जी मुठभेड़ दिखाकर गिरफ्तारी आरोप है कि 7 जुलाई 2022 को पुलिस ने एक फर्जी मुठभेड़ दिखाकर धीरेंद्र और अवमेश को गिरफ्तार किया। इसके बाद उन्हें 19 मोटरसाइकिल लूट की बरामदगी से जोड़ते हुए 25 अप्रैल 2022 की लूट की घटना में शामिल बताया गया और चालान कर जेल भेज दिया गया। जेल में बंद था आरोपी धीरेंद्र रिकॉर्ड के अनुसार, धीरेंद्र 11 अप्रैल 2022 से 12 मई 2022 तक जिला कारागार बदायूं में निरुद्ध था। उसकी जमानत 26 अप्रैल 2022 को मंजूर हुई थी और वह 12 मई 2022 को जेल से रिहा हुआ। ऐसे में, जिस दिन लूट की घटना बताई गई, उस दिन धीरेंद्र का उसमें शामिल होना संभव नहीं था। इसके बावजूद 12 जुलाई 2022 को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया। उच्चाधिकारियों से शिकायत, नहीं हुई कार्रवाई पीड़ित ओमवीर पुत्र भगवान दास ने आरोप लगाया कि संबंधित पुलिसकर्मियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए झूठी बरामदगी दिखाकर दोनों युवकों को जेल भेज दिया। ओमवीर का कहना है कि उसने इस संबंध में पुलिस के उच्चाधिकारियों से भी शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उसे न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। न्यायालय की टिप्पणी: गंभीर संज्ञेय अपराध के संकेत न्यायालय ने पत्रावली, शपथ पत्र, जमानत आदेश, रिमांड सीट, एफआईआर की प्रतियां तथा थाना बहजोई से प्राप्त आख्या का सम्यक रूप से अवलोकन किया। रिकॉर्ड से यह तथ्य सामने आया कि जिस दिन लूट की घटना दर्शाई गई, उस दिन आवेदक अन्य मुकदमे में जिला कारागार बदायूं में बंद था। अदालत ने इसे गंभीर मानते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया कुछ पुलिसकर्मियों द्वारा षड्यंत्र, अवैध विवेचना, दस्तावेजों की कूटरचना और पद के दुरुपयोग जैसे संज्ञेय अपराध किए जाने के संकेत मिलते हैं। सीओ को राहत, अन्य पुलिसकर्मियों पर विवेचना के आदेश हालांकि, न्यायालय ने तत्कालीन सीओ बहजोई गोपाल सिंह के विरुद्ध प्रथम दृष्टया कोई अवैध या अविधिक कृत्य सिद्ध न होने पर उन्हें आदेश से पृथक रखा, लेकिन अन्य विपक्षी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध विवेचना कराए जाने को आवश्यक माना। एफआईआर दर्ज करने के निर्देश अदालत ने उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि लोकसेवकों को गैरकानूनी कृत्यों के लिए संरक्षण प्राप्त नहीं है। ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज कर विवेचना कराना आवश्यक है। न्यायालय ने थाना बहजोई के थानाध्यक्ष को निर्देशित किया कि प्रार्थना पत्र में वर्णित घटना के संबंध में तत्काल मुकदमा पंजीकृत कर नियमानुसार विवेचना सुनिश्चित की जाए तथा एफआईआर पंजीकरण की सूचना तीन दिनों के भीतर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की जाए।


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