कांकेर के घने जंगलों और कच्ची सड़कों के बीच बसा एक दूरदराज़ गांव, जहां न प्रशासन की नियमित मौजूदगी है, न मीडिया की निगाह. कांकेर की हालिया घटनाएं, सर्व समाज का विरोध और एक पूर्व पादरी के खुलासों ने इस सामाजिक दरार को और गहरा कर दिया है.
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