ईसाई समुदाय के लिए आज रात विशेष महत्व रखती है, क्योंकि आज रात यीशु मसीह का जन्म होता है। इसे ध्यान में रखते हुए आगरा के सभी चर्चों में तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। चर्चों को रंग-बिरंगी लाइटों, मोमबत्तियों और सजावटी झांकियों से सजाया गया है। शहर में आध्यात्मिक और उत्सव का माहौल बन चुका है, और श्रद्धालु आज रात मिडनाइट प्रेयर और भजन-कीर्तन में शामिल होंगे। आगरा में लगभग 20 से 25 चर्च हैं। प्रमुख चर्चों में कैथेड्रल ऑफ द इमैक्युलेट कंसेप्शन, अकबरी चर्च, सेंट जॉन्स चर्च, सेंट पॉल्स चर्च और सेंट मैरी चर्च शामिल हैं। इसके अलावा, मेथोडिस्ट चर्च और ऑर्थोडॉक्स चर्च जैसे चर्चों में भी विशेष सजावट की गई है। आज रात को इशू मसीह का जन्म होगा, इस बारे में आगरा के चर्च सेंट पीटर्स के फादर राजनदास ने बताया कि रात 11:30 बजे मीसा भाेज जो कि प्रार्थना होती है की जाएगी और 12 बजते ही प्रभु का जन्म होगा इस दौरान घंटियां बजाई जाएंगी। इसके बाद सेलेब्रेशन होगा। कैथेड्रल ऑफ द इमेक्यूलेट कंसेप्शन
कैथेड्रल ऑफ द इमैक्युलेट कंसेप्शन आगरा का सबसे प्रसिद्ध कैथोलिक चर्च है। इसका निर्माण वर्ष 1848 में शुरू होकर 1850 में पूरा हुआ। यह आगरा डायोसिस का मुख्यालय है और उत्तर भारत के कैथोलिक समुदाय का प्रमुख धार्मिक केंद्र माना जाता है। ब्रिटिश शासनकाल में यह चर्च यूरोपीय सैनिकों और स्थानीय ईसाइयों के लिए पूजा का मुख्य स्थान था। इसकी इमारत गोथिक वास्तुकला से प्रभावित है, जिसमें ऊँची छतें और सुंदर वेदी दिखाई देती हैं। आज भी यह चर्च धार्मिक आयोजनों के लिए विशेष महत्व रखता है। अकबरी चर्च
अकबर चर्च आगरा के सबसे पुराने चर्चों में से एक है और उत्तर भारत का पहला चर्च माना जाता है। इसकी स्थापना 1598 में जेसुइट मिशनरियों द्वारा की गई थी, जब मुगल सम्राट अकबर का शासन था। खास बात यह है कि अकबर ने यह चर्च अपनी बेगम के लिए बनवाया था, जो ईसाई धर्म की अनुयायी थीं। अकबर धार्मिक सहिष्णुता में विश्वास रखने वाले सम्राट थे और उन्होंने विभिन्न धर्मों को अपनाने की अनुमति दी। इस चर्च को सिर्फ पूजा के लिए नहीं, बल्कि ईसाई और मुस्लिम विद्वानों के बीच संवाद का केंद्र बनाने के लिए भी प्रयोग किया जाता था। समय के साथ यह चर्च कई बार पुनर्निर्मित हुआ, और इसमें आधुनिक सजावट और गोथिक शैली की छतें जोड़ी गईं। आज यह चर्च न केवल आगरा बल्कि पूरे भारत में ईसाई इतिहास का महत्वपूर्ण प्रमाण माना जाता है। फिलहाल इस चर्च में मरमम्मत का कार्य चल रहा है। 134 साल पुराना सेंट मेथोडिस्ट चर्च
सेंट मेथोडिस्ट चर्च आगरा का एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण प्रोटेस्टेंट चर्च है। यह चर्च 134 साल पुराना है और इसकी स्थापना 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश मिशनरियों द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य स्थानीय ईसाई समुदाय को धार्मिक शिक्षा और सेवा प्रदान करना था। शुरुआत में यह चर्च ब्रिटिश अधिकारियों और उनके परिवारों के लिए बनाया गया था, लेकिन धीरे-धीरे यह भारतीय ईसाई समुदाय का भी केंद्र बन गया। चर्च ने शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसकी वास्तुकला सरल लेकिन आकर्षक है, और आज भी यह नियमित प्रार्थना, भजन-कीर्तन और सामाजिक कार्यक्रमों का केंद्र बना हुआ है। सेंट जॉन्स चर्च
सेंट जॉन्स चर्च आगरा का एक ऐतिहासिक चर्च है, जो चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया (CNI) से जुड़ा हुआ है। इसका निर्माण 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन के दौरान किया गया था। शुरुआत में यह चर्च ब्रिटिश अधिकारियों और सैनिकों के लिए बनाया गया था, लेकिन बाद में भारतीय ईसाई समुदाय भी इससे जुड़ गया। यह चर्च शिक्षा, समाज सेवा और धार्मिक कार्यों में सक्रिय रहा है। इसकी इमारत औपनिवेशिक वास्तुकला का सुंदर उदाहरण है। आज भी यह चर्च नियमित प्रार्थनाओं और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र है। सेंट पॉल्स चर्च
सेंट पॉल्स चर्च आगरा का एक प्रमुख प्रोटेस्टेंट चर्च है, जिसकी स्थापना ब्रिटिश काल में हुई थी। इस चर्च का उद्देश्य आगरा में बढ़ते ईसाई समुदाय को धार्मिक मार्गदर्शन देना था। इसका नाम सेंट पॉल्स (संत पौलुस) के नाम पर रखा गया है, जो ईसाई धर्म के प्रमुख संतों में से एक हैं। यहां से शिक्षा, समाज सुधार और सेवा से जुड़े कई कार्य किए गए। चर्च की संरचना सादगी और अनुशासन को दर्शाती है, जो ब्रिटिश काल की वास्तुकला की विशेषता है। वर्षों से यह चर्च ईसाई समुदाय को एकजुट रखने और समाज सेवा के कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है। सेंट मैरी चर्च
सेंट मैरीज़ चर्च आगरा का एक महत्वपूर्ण कैथोलिक चर्च है। जिसकी स्थापना 19वीं शताब्दी में की गई थी। यह चर्च मुख्य रूप से स्थानीय ईसाई समुदाय की धार्मिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाया गया था। यहाँ नियमित प्रार्थनाएँ, धार्मिक शिक्षा और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह चर्च गरीबों की सहायता, शिक्षा और नैतिक मूल्यों के प्रचार में सक्रिय रहा है। सेंट मैरीज़ चर्च ने आगरा के ईसाई समाज को संगठित और मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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