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बांदा में बाट-माप शुल्क वृद्धि पर व्यापारियों का विरोध:उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं, ‘एक निशान-एक विधान’ की चेतावनी

बांदा में राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन ने बाट-माप उपकरणों के सत्यापन शुल्क में अप्रत्याशित वृद्धि और व्यापारियों के कथित उत्पीड़न के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। संगठन ने ‘व्यापारी संवाद’ कार्यक्रम के दौरान सरकार को ‘एक निशान, एक विधान’ का संकल्प लेने की चेतावनी दी। यह विरोध भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा 23 अक्टूबर 2025 को जारी एक अधिसूचना के खिलाफ है। संगठन के अमित गुप्ता ने बताया कि इस अधिसूचना के तहत जल मीटर, स्फिग्मोमैनोमीटर, थर्मामीटर, गैस मीटर और तौल यंत्रों सहित 18 प्रकार के उपकरणों के वार्षिक सत्यापन शुल्क में अत्यधिक वृद्धि की गई है। उदाहरण के तौर पर, 10 किलोग्राम तक के तराजू का शुल्क 220 रुपए से बढ़ाकर 2000 रुपए कर दिया गया है। इसी तरह, 10 किलोग्राम से अधिक के तराजू के लिए 3000 रुपए का शुल्क निर्धारित किया गया है। काउंटर मशीन और बाटों के शुल्क में भी कई गुना वृद्धि दर्ज की गई है। संगठन ने इस शुल्क वृद्धि को अव्यवहारिक बताते हुए इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से मिलकर इस मुद्दे पर दबाव बनाने का निर्णय लिया है। अमित गुप्ता ने बबेरू में चौराहों के चौड़ीकरण के नाम पर व्यापारियों को उजाड़ने की कार्रवाई की कड़ी निंदा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसा विकास मॉडल स्वीकार्य नहीं है, जिससे लोगों का रोजगार छिन जाए। गुप्ता ने चेतावनी दी कि यदि व्यापारियों की उपेक्षा जारी रही, तो व्यापारी समाज ‘एक निशान, एक विधान’ के संकल्प के साथ अपना राजनीतिक विकल्प तैयार करेगा। संगठन ने MSME क्षेत्र की जटिलताओं और ई-कॉमर्स से उत्पन्न चुनौतियों पर भी चिंता व्यक्त की। कार्यक्रम के दौरान संगठन की मजबूती के लिए बांदा में नई नियुक्तियों की घोषणा भी की गई।


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