महाराजगंज जिला मुख्यालय पर राष्ट्रीय बजरंग दल और अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा, उत्पीड़न और हत्याओं के विरोध में प्रदर्शन किया। संगठनों ने जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा के माध्यम से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें भारत सरकार से बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाने और प्रभावी कदम उठाने की मांग की गई है। ज्ञापन में बताया गया है कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद से अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाओं में वृद्धि हुई है। संगठनों का आरोप है कि बांग्लादेश में स्थिति 1971 जैसी होती जा रही है, जहां हिंदू मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, घरों को जलाया जा रहा है और लूटपाट व मारकाट की घटनाएं खुलेआम हो रही हैं। इसे धार्मिक भेदभाव और असहिष्णुता का स्पष्ट संकेत बताया गया है। कार्रवाई करने की मांग की संगठनों ने एक हिंदू युवक दीपु चंद दास की हत्या का भी जिक्र किया, जिसका शव पेड़ पर लटकाकर जला दिया गया था। ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि सत्ता, सेना और सरकार गृहयुद्ध जैसी स्थिति के सामने लाचार दिख रही है। यह भी आरोप है कि “अल्लाह हू अकबर” के नारे लगाकर हिंदुओं के मकानों और दुकानों में आग लगाई जा रही है। इसके साथ ही, भारत की सीमाओं को चुनौती देने की मानसिकता के साथ बांग्लादेश का नया नक्शा बनाने जैसी बातें भी सामने आ रही हैं। हिंदू अल्पसंख्यकों को खुलेआम जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद और राष्ट्रीय बजरंग दल ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो संगठन डॉ. प्रवीण भाई तोगड़िया के नेतृत्व में पूरे देश में बांग्लादेश के विरोध में आंदोलन करेगा। संगठनों ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि बांग्लादेश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से वार्ता कर भारतीय दूतावास के माध्यम से वहां रह रहे हिंदू अल्पसंख्यकों की रक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल आवश्यक निर्देश जारी किए जाएं।
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