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पैंट पर लिखी बेगुनाही और फंदे पर लटक गया:मैंने स्नेहा को नहीं मारा… उसके घर वाले जिम्मेदार, लिखकर दी जान

मैंने स्नेहा को नहीं मारा है… प्लीज उसके मोबाइल की डिटेल देखिएगा… मेरे मरने का कारण स्नेहा के घर वाले हैं। ये शब्द किसी कागज पर नहीं, बल्कि एक युवक की पैंट पर लिखे मिले और आज वही युवक आजमगढ़ के अतरौलिया थाना क्षेत्र के जमीन नंदना गांव के बाहर एक पेड़ से फंदे पर लटकता मिला। नाम था सौरभ गौड़। उम्र महज 20 साल। वही सौरभ, जिसे बीते चार दिनों से अम्बेडकरनगर पुलिस तलाश रही थी। बुधवार सुबह जब ग्रामीणों ने खेत के किनारे पेड़ से लटकता शव देखा, तो पहले किसी ने पहचान नहीं की। पुलिस पहुंची, शव उतारा गया और जब कपड़ों पर लिखे शब्द पढ़े गए, तो पूरा मामला सन्न कर देने वाला निकला। सौरभ ने मरने से पहले अपनी बेगुनाही को शरीर पर लिखकर छोड़ दिया था, मानो उसे यकीन हो कि उसकी आवाज अब कोई नहीं सुनेगा। इस कहानी की शुरुआत 2 दिसंबर से होती है। राजेसुल्तानपुर थाना क्षेत्र के नसरुद्दीनपुर गांव की रहने वाली 15 वर्षीय स्नेहा, जो कक्षा 11 की छात्रा थी। अचानक घर से लापता हो गई। परिजनों ने थाने में तहरीर दी। पुलिस तलाश में जुटी रही, लेकिन 20 दिसंबर की सुबह तेंदुवाई कला गांव के बाहर पानी की टंकी के पास उसका शव मिलने से पूरे इलाके में कोहराम मच गया। जांच आगे बढ़ी तो शक की सुई सीधे सौरभ गौड़ पर टिक गई। पदुमपुर निवासी सौरभ मजदूरी करता था। गांव वालों के मुताबिक स्नेहा और सौरभ के बीच प्रेम संबंध थे। यह प्रेम पहले भी विवाद बन चुका था। दोनों पहले साथ भागे थे, परिजनों की शिकायत पर सौरभ जेल गया था। जेल से छूटने के बाद वह खुद को टूटा हुआ महसूस करता था। वह कहता था “मैं फंस जाऊंगा, कोई मेरी बात नहीं सुनेगा। अब उसकी मौत ने उसी डर को सच कर दिया। पैंट पर लिखा संदेश, स्नेहा का मोबाइल नंबर, और खुद को निर्दोष बताने की आखिरी अपील। सवाल यह नहीं है कि सौरभ ने आत्महत्या क्यों की। अब पुलिस के सामने दो लाशें हैं, दो परिवारों का दर्द है और सच्चाई तक पहुंचने की चुनौती। कॉल डिटेल, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और परिस्थितिजन्य साक्ष्य तय करेंगे।


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