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‘भाई दूसरे राज्य में, कैसे करूंगी वीडियो कॉल’:राजस्थान में पंचों का मनमाना फैसला, महिलाएं स्मार्टफोन नहीं चलाएंगी, सरपंच बोले- इस फैसले से महिलाएं पिछड़ेंगी

पंचों को अधिकार नहीं कि मोबाइल यूज करने पर बैन लगाने का फरमान जारी करें। हमारे भाई व परिवार के कई लोग अन्य राज्यों में काम करते हैं। उनसे वीडियो कॉल पर बात कैसे करेंगे? मोबाइल पर रील और सीरियल देखती हूं। अब घर में ही जब निर्णय लिया गया है कि स्मार्टफोन का यूज नहीं होगा तो मैं भी नहीं करूंगी। ये कहना है जालोर जिले के चौधरी समाज सुंधामाता पट्टी की गजीपुरा गांव की महिलाओं और बेटियाें का। यहां पंचों ने 26 जनवरी से 15 गांव की बहू-बेटियों के स्मार्टफोन उपयाेग पर बैन लगा दिया है। इतना ही नहीं सार्वजनिक समारोह से लेकर पड़ोसी के घर पर भी फोन ले जाने पर पाबंदी रहेगी। वह स्मार्ट फोन की जगह की-पैड फोन उपयोग में ले सकेंगी। समाज अध्यक्ष सुजनाराम चौधरी ने इस बेतुके फैसले के पीछे कुतर्क दिया है कि महिलाओं के पास मोबाइल होने से बच्चे इसका उपयोग करते हैं। उनकी आंखें खराब होने का डर रहता है। हालांकि बैठक में पुरुषों की आंखों की सुरक्षा को लेकर ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया। बहरहाल महिलाएं इस फैसले के बारे में क्या सोचती हैं? इस सवाल का जवाब जानने के लिए भास्कर रिपोर्टर गांव में पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… दो बार सरपंच रह चुकी महिला बोली- पंचों का फैसला सही
समाज अध्यक्ष सुजानाराम की पत्नी लाछी देवी घर के अहाते में बैठ कर गाय के लिए चारा तैयार कर रही थीं। खुद दो बार सरपंच रही लाछी देवी ने कहती हैं- मेरे घर में ही 21 तारीख को पंचों की सभा हुई थी। पति सुजानाराम शहर गए हुए हैं। अभी घर में बेटे व बहुएं हैं। आस-पास सुजानाराम के भाइयों का भी घर है। लाछी देवी से भास्कर रिपोर्टर ने पूछा कि मोबाइल पर पाबंदी जैसे फैसले से महिलाएं पीछे नहीं रह जाएंगी? इस पर उन्होंने कहा- घर की महिलाएं घर में ही रहती हैं। पुरुष बाहर जाते हैं। इसलिए उनको मोबाइल की जरूरत रहती है। मोबाइल से महिलाओं और बच्चों की आंखें खराब हो जाती हैं। ऐसे में पंचों का यह फैसला सही है। बहू बाेली- मोबाइल पर सीरियल देखती हूं, अब इस्तेमाल नहीं करूंगी
भैसों की देखभाल में व्यस्त गरीया के पास हम पहुंचे। गरीया, समाज अध्यक्ष सुजानाराम के बेटे नरसा की पत्नी है। गरीया कहती है- मैं मोबाइल पर रील और सीरियल देखती हूं। अब घर में ही जब निर्णय लिया गया है कि स्मार्टफोन का यूज नहीं होगा तो वो भी नहीं करेंगी। मैं ट्रैक्टर भी चला सकती हूं, लेकिन ससुराल में संभव नहीं है। जब पीहर जाती हूं तो वहां चलाती हूं। मैं दसवीं पास हूं। अब खेती का काम करती हूं। सुजानाराम की पोती पिंकी 10वीं तक पढ़ने के बाद अब खेती का काम कर रही है। पिंकी बोली- भाई बाहर है। उससे की-पैड वाले फोन से बात कर सकती हूं। आदेश का पालन करूंगी। महिलाएं बोलीं- मोबाइल तो जरूरी है
गांव की झमका देवी कहती हैं- पढ़ने वाली बच्चियों के लिए तो मोबाइल जरूरी है। उनसे पूछा- क्या वे खुद स्मार्टफोन यूज करती हैं तो बोलीं- हां। सोशल मीडिया अकाउंट भी है। पढ़ाई के लिए बेटी को भी स्मार्टफोन दिला रखा है। आज के समय में बहुत जरूरी है। झमका देवी ने बताया कि उनके पति टीचर हैं। छात्रा बोली- यह फरमान निकालने का अधिकार नहीं
भास्कर रिपोर्टर गांव के गजीपुरा स्कूल पहुंची। वहां स्मार्ट क्लासेज चल रही थी। टीचर स्क्रीन पर बच्चों को पढ़ा रहे थे। वहां पढ़ रही बच्चियों से बात की ताे ज्यादातर ने कैमरे पर पाबंदी के फैसले को सही बताया। एक बालिका ने कहा- यह हमारे साथ गलत है। पंचों को अधिकार नहीं कि मोबाइल यूज करने पर बैन लगाने का फरमान जारी करें। हमारे भाई व परिवार के कई लोग अन्य राज्यों में काम करते हैं। उनसे वीडियो कॉल पर बात कैसे करेंगे? घर से बाहर कभी लोकेशन देखने और सभी काम के लिए मोबाइल यूज होता है। बिना मोबाइल कुछ सोच नहीं सकते। ऐसे में यह फरमान सही नहीं। स्कूल के प्रिंसिपल भगुराम परमार ने कहा कि स्कूल में लड़कियों की संख्या ज्यादा है। हम यहां स्मार्ट क्लास के माध्यम से ही पढ़ाई करवाते हैं। गजीपुरा सरपंच छगन ने कहा कि यह फैसला बिल्कुल गलत है। हम समझाने का प्रयास करेंगे। — राजस्थान में तुगलकी फरमान की यह खबर भी पढ़िए… राजस्थान में पंचों का मनमाना फैसला, महिलाएं स्मार्टफोन नहीं चलाएंगी:पढ़ने वाली बच्चियां भी समारोह और घर से बाहर मोबाइल नहीं ले जा सकेंगी राजस्थान के जालोर जिले में पंचायत ने मनमाना फैसला सुनाया है। 15 गांव की बहू-बेटियों को 26 जनवरी से कैमरे वाला फोन यूज करने पर बैन लगा दिया है। पढ़ें पूरी खबर…


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