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आगरा पुलिस ने उल्टा टांगकर बेहोश होने तक पीटा:5 डंडे टूटे तो प्लास्टिक का लाए, बोले- हत्या कबूल करो, नहीं तो जिंदा नहीं रहोगे

‘मुझे उल्टा टांग दिया था। पैरों पर डंडे मार रहे थे। वो धमकाते- कहो कि हत्या तुमने की, नहीं दो जिंदा वापस नहीं जाओगे। 1 घंटे तक पीटने के बाद दर्द सहना मेरे लिए मुश्किल हो गया। आंखों के सामने अंधेरा छा गया।’ ये सब बताते हुए किसान राजू पंडित के चेहरे पर दर्द उभर आया। थोड़ा ठहरकर दोबारा कहते हैं- जिस रिटायर्ड फौजी बलवीर सिंह की हत्या के लिए मुझे दोषी बताया जा रहा था, उनका घर मेरे मकान से सिर्फ 100 मीटर दूर है। परिवारों का अच्छा परिचय है, कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ। मुझे नहीं पता कि मेरे खिलाफ क्यों और क्या आरोप लगाए गए? राजू कहते हैं- 6 अगस्त को जब बलवीर का मर्डर हुआ, मेरी लोकेशन आगरा सिटी की थी। फिर भी मुझे थर्ड डिग्री दी। लापरवाही में पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने अछनेरा ACP राम प्रवेश गुप्ता को हटा दिया। किरावली इंस्पेक्टर नीरज कुमार, SI धर्मवीर और बीट ऑफिसर रवि मलिक को सस्पेंड किया गया। अब DIG शैलेश पांडेय विभागीय जांच कर रहे हैं। आगरा में बलवीर मर्डर केस क्या है? इस केस में राजू को क्यों थर्ड डिग्री दी गई? क्या दोषी पुलिसवालों के खिलाफ FIR होगी? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर टीम ने पीड़ित परिवार और इस केस से जुड़े पुलिस अफसरों से बात की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… राजू बोले- पापा को धमकाया, छोटे बेटे को लेकर आओ
पुलिस की थर्ड डिग्री झेलने वाले किसान राजू पंडित से हमारी मुलाकात श्रीराम हॉस्पिटल (आगरा) में हुई। वह एडमिट हैं, दोनों पैरों पर प्लास्टर चढ़ा है। दर्द कम करने के लिए डॉक्टर पेन किलर दे रहे। बातचीत की शुरुआत में हमने पूछा- आपके साथ 21 दिसंबर की रात को क्या हुआ, डिटेल में बताइए? राजू कहते हैं- 19 दिसंबर को 2 पुलिसवाले हमारे घर आए और मेरे बड़े भाई सत्यप्रकाश को थाने बुला गए। 2 दिन थाने में ही बैठाए रखा। कोई लिखा-पढ़ी भी नहीं की। हम लोग घबराए हुए थे, कौन पूछे पुलिसवालों से? फिर 20 दिसंबर की दोपहर पापा (राधेश्याम) को थाने बुलाया गया। पुलिसवालों ने उनसे पूछा- दूसरा बेटा राजू कहां है? उसको लेकर आओ। पापा ने कहा- मेरे बड़े बेटे को तो छोड़ दीजिए। पुलिसवालों ने धमकाया, बड़े को छोड़ देंगे, लेकिन छोटे बेटे को लेकर आओ। 21 दिसंबर की दोपहर पापा मुझे थाने लेकर गए। पुलिसवालों ने कहा- मर्डर केस की पूछताछ करनी है। फिर मेरे बड़े भाई को छोड़ दिया। मेरे पापा भाई को लेकर घर चले गए। अब थाने में थर्ड डिग्री देने की कहानी मारते रहे, मैं चिल्लाता रहा, पुलिसवाले हंसते रहे
वो रविवार का दिन था। मुझे थाने के अंदर ले गए और 1 कमरे में बैठा दिया। वहां पर 4 पुलिसवाले मौजूद थे। फिर एसओ भी आ गए। वो कुर्सी पर बैठ गए। पुलिसवालों ने कहा- बताओ… बलवीर को किसने मारा है? मैंने कहा- मुझे नहीं पता। इसके बाद एक पुलिसवाला बोला- ये ऐसे नहीं बोलेगा, चलो ठीक है। वो बाहर गया और 1 मोटा डंडा लेकर आया। 2 पुलिसवालों ने मेरे पैर बांधे, पैर में डंडा फंसाया और मुझे उल्टा लटका दिया। इसके बाद एक पुलिसवाला मेरे पैर के तलवे में डंडे मारने लगा। मैं दर्द से कराहता रहा, लेकिन वो नहीं रुके। मारते-मारते वो डंडा टूट गया। इसके बाद मुझे जमीन पर उल्टा लिटा दिया। 5 मिनट बाद दूसरा डंडा लेकर आए और फिर पिटाई शुरू कर दी। मारते-मारते वो डंडा भी टूट गया। वो लोग लगातार मुझसे कहते रहे कि हत्या तुमने की है, ये कबूल कर लो। टॉर्चर नहीं सहना पड़ेगा। मैंने कहा कि मैंने नहीं मारा है। तो एक पुलिस वाला बोला- ये बता दो कि किसने मारा है, वरना तुम्हें जाने नहीं देंगे। मैं उन्हें क्या बताता, मुझे कैसे पता होगा कि बलवीर को किसने मारा? एक-एक करके 4 डंडे टूट गए, लेकिन वो लोग थमे नहीं। फिर एक पुलिसवाले ने कहा- लकड़ी के डंडे छोड़ो, प्लास्टिक का लेकर आओ, वो टूटेगा नहीं। फिर मेरी उस प्लास्टिक के डंडे से पिटाई की। वो भी मारते-मारते टूट गया। पैर सूज गए, तब जाकर वो लोग रुके
राजू पंडित ने बताया- एक घंटे तक मुझे टॉर्चर किया गया। 5 डंडे टूट गए तो इसके बाद छठा डंडा मंगाने की बात होने लगी। तब एक पुलिसवाले ने कहा कि इसके तो पैर सूज गए हैं। तब जाकर एसओ ने कहा- अब रुक जाओ। इसके बाद उन्होंने मुझे सहारा लेकर खड़ा करवाया। कहा- चलकर दिखाओ। मैं चल नहीं पा रहा था। बहुत दर्द हो रहा था, फिर भी जबरदस्ती धक्का देकर चलवाया। मुझसे कहा- ये नाटक कर रहा है। मगर, जब मैं खड़ा नहीं हो पाया तब उनको लगा कि ज्यादा चोट लग गई है। पिता बोले- SO घर आकर बोले कि थोड़ी गलती हो गई
पिता राधेश्याम कहते हैं- जब बेटे की दोनों हड्‌डी टूट गई, तो पुलिस मामले को दबाने में जुट गई। एसओ मेरे पास आए बोले- थोड़ी गलती हो गई है। बेटे के पैर में हल्की चोट है। उसे इलाज के लिए भिजवा रहे हैं। आप चिंता मत करना, मैं पूरा इलाज करवाऊंगा। बस किसी से कुछ कहना नहीं। सबसे कहना कि बेटा चलते-चलते गिर गया है। इससे चोट लग गई। SO ने हाथ जोड़कर माफी मांगी, मेरी जेब में 10 हजार डाल दिए
जब मैंने बेटे का हाल देखा तो पैरों तले जमीन खिसक गई। मैंने पुलिस वालों ने कहा कि ये आप लोगों ने क्या कर डाला। तो एसओ ने हाथ जोड़कर निवेदन किया कि किसी से कहना मत। मेरा वीडियो भी बनवाया। मेरी जेब में 10 हजार रुपए भी डलवाए। कहा कि राजू के बच्चों को सामान दिलवा देना, लेकिन मैंने रुपए नहीं लिए। वहीं, इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत की है। राजू के पिता राधेश्याम का कहना है- मर्डर में मेरा बेटा दोषी है, तो उसे जेल भेजे। अगर नहीं है, तो दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएंगे। इसके लिए मैंने शिकायत सौंप दी है। DCP को भी गुमराह करते रहे पुलिसकर्मी
थाना पुलिस ने DCP पश्चिम जोन अतुल शर्मा को भी गुमराह किया। 22 दिसंबर (सोमवार) की शाम को मामला चर्चा में आया था। इस पर DCP ने SO को फोन किया। उन्होंने DCP को बताया कि पैर में डंडा लग गया है। इससे एक उंगली में चोट लगी है। इलाज करा दिया है। इस पर DCP ने ACP अछनेरा रामप्रवेश गुप्ता को भेजा। उन्होंने भी थाने में पुलिसकर्मियों से बात की, लेकिन पीड़ित से बात करना उचित नहीं समझा। उन्होंने DCP को भी वही बता दिया। DCP को दोनों की बातों पर विश्वास नहीं हुआ। वह खुद अस्पताल पहुंचे। इसके बाद एक्सरे की रिपोर्ट देखी। इसमें पैरों में फ्रैक्चर होने की बात सामने आई। अब वो मर्डर केस पढ़िए, जहां से पूरा मामला शुरू हुआ वनवीर की पोस्टमॉर्टम से पता चला कि उनकी हत्या हुई
रिटायर्ड फौजी वनवीर सिंह (58) की 6 अगस्त को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। वनवीर के भाई हरेंद्र सिंह ने कहा- मेरे भाई अपने घर पर अकेले रहते थे। 5 जून की रात करीब 11 बजे तक वनवीर सिंह से फोन पर बात हुई थी। सुबह करीब 10 बजे जब मैं उनके घर पहुंचा, तो देखा कि अपने भाई बेसुध जमीन पर पड़े हैं। चेक किया, तो उनकी सांस नहीं चल रही थी। घर का सारा सामान भी बिखरा हुआ था। मैंने भाई का मोबाइल देखा, तो वो ऑफ था। बाद में पता चला कि मोबाइल का सिम कार्ड भी गायब था। तब मैंने 112 पर पर कॉल कर पुलिस को बुलाया। पोस्टमॉर्टम के बाद हमें बताया गया कि वनवीर के गले पर चोट के निशान थे, उन्हें मारा गया था। पुलिस रिटायर्ड फौजी के हत्यारे तक पहुंचने के लिए गांव के कई लोगों को उठाकर पूछताछ कर चुकी है। अब सत्यप्रकाश और उनके छोटे भाई राजू से भी पूछताछ की गई। —————————- ये खबर भी पढ़ें आगरा पुलिस ने मारते-मारते दोनों पैर तोड़े, हत्या के केस में उठाया, ACP का ट्रांसफर, इंस्पेक्टर-SI सस्पेंड आगरा में हत्या के मामले में उठाए गए 35 साल के युवक को पुलिस ने थर्ड डिग्री दी है। पुलिस ने दो दिन तक उसे टॉर्चर किया। उसने बताया- पुलिस मुझ पर हत्या कबूलने के लिए प्रेशर बना रही थी। इसलिए मारते-मारते मेरे दोनों पैर तोड़ दिए। जब मैं बेहोश हो गया, तो पुलिसवालों ने किरावली के एक हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया। पढ़िए पूरी खबर…


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