सोनभद्र में मरीजों को सस्ती जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संचालित जन औषधि केंद्रों पर निजी कंपनियों की दवाएं बेचे जाने का मामला सामने आया है। मंगलवार को मेडिकल कॉलेज सोनभद्र परिसर स्थित एक जन औषधि केंद्र पर छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में निजी कंपनियों की दवाएं मिलीं। यह छापेमारी मेडिकल कॉलेज सोनभद्र के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. तपन मंडल के नेतृत्व में डॉ. अंकिता सिंह और अन्य डॉक्टरों द्वारा की गई। कार्रवाई के बाद केंद्र का संचालक उसे बंद कर चला गया। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने आदिवासी बहुल सोनभद्र जिले में लोगों को सस्ता उपचार मुहैया कराने के उद्देश्य से जन औषधि केंद्रों का संचालन शुरू किया था। इसके व्यापक प्रचार के बाद कई लोग केंद्र खोलने के लिए आगे आए, जिससे दर्जनों केंद्र खुले, जिनमें से कुछ अस्पतालों में और कुछ बाजारों में संचालित हो रहे हैं। छापेमारी के दौरान प्रशासनिक अधिकारी को कई मरीजों ने बताया कि उन्हें केंद्र पर सस्ती दवाएं मिलने के बजाय बाजार दर पर महंगी दवाएं दी गईं। मरीजों ने यह भी आरोप लगाया कि जन औषधि केंद्र पर उपलब्ध जेनेरिक दवाओं की मांग करने पर उन्हें मना कर दिया गया। जब प्रशासनिक अधिकारी ने संचालक से जेनेरिक दवाएं न देने के संबंध में पूछताछ की, तो उनका कहना था कि डॉक्टर जो दवाएं लिखते हैं, उन्हें देना उनकी मजबूरी है। मेडिकल कॉलेज परिसर सहित कई जन औषधि केंद्रों पर निजी कंपनियों की दवाएं धड़ल्ले से बेचे जाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग के संबंधित अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। अधिकारियों की मिलीभगत से दवाएं बेचने के आरोप भी लग रहे हैं। हालांकि, संबंधित अधिकारियों का दावा है कि पूर्व में कई बार जन औषधि केंद्रों पर छापेमारी कर संचालकों को केवल सरकार द्वारा अनुमत दवाएं बेचने का आदेश दिया गया था, लेकिन इन आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है। इस संबंध में प्रशासनिक अधिकारी डॉक्टर तपन मंडल का कहना था कि छापेमारी में नियम विरुद्ध केंद्र पर दवाओं की बिक्री किए जाने की पुष्टि हुई है उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट प्रेषित करने के साथ ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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