मधेपुरा में राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव के दौरान मंच पर रोने वाले गायक से शोकॉज पूछा गया है। जिला प्रशासन ने महोत्सव के मंच पर कथित अनुशासनहीन आचरण के आरोप में स्थानीय गायक रौशन कुमार से 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण का जवाब मांगा है। कला एवं संस्कृति पदाधिकारी की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव-2025 के दौरान मंच की गरिमा भंग करने का प्रयास किया गया। कलाकारों के लिए निर्धारित समय-सीमा का घोर उल्लंघन करते हुए मंच को सार्वजनिक विरोध का माध्यम बनाया गया। गायक के रोने से कार्यक्रम की व्यवस्था हुई प्रभावित स्पष्टीकरण पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस प्रकार के आचरण से कार्यक्रम की व्यवस्था प्रभावित हुई और इससे भगदड़, अव्यवस्था या बेकाबू जन-आंदोलन जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती थी, जिससे जनसुरक्षा को खतरा हो सकता था। प्रशासन ने इसे एक सरकारी सेवक के रूप में सेवा आचरण नियमों का स्पष्ट उल्लंघन और राजकीय कार्यक्रम की मर्यादा के प्रतिकूल बताया है। सुपौल के त्रिवेणीगंज प्रखंड के परसाही हाट स्थित उत्क्रमित उच्च विद्यालय में संगीत शिक्षक के पद पर कार्यरत रौशन कुमार को 24 घंटे के भीतर अपना पक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। गौरतलब है कि शनिवार की रात राजकीय गोपाष्टमी महोत्सव के अंतिम दिन मंच पर गायक रौशन कुमार भावुक हो गए और फूट-फूटकर रो पड़े। कलाकारों की उपेक्षा और भेदभाव का आरोप लगाया उन्होंने जिला प्रशासन और कला संस्कृति विभाग पर स्थानीय कलाकारों की उपेक्षा और भेदभाव का आरोप लगाया। रौशन कुमार ने कहा कि वे पूरे बिहार में कार्यक्रम करते हैं और जिले के लिए उपलब्धियां हासिल करते हैं, लेकिन अपने ही जिले में उन्हें सम्मान, समय और मानदेय नहीं मिलता। उन्होंने आरोप लगाया कि उनसे कम स्तर के कलाकारों को ‘ख्याति प्राप्त’ बताकर प्राथमिकता दी जाती है। इस मुद्दे पर मधेपुरा यूथ एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल यादव ने भी खुलकर विरोध दर्ज कराया। उन्होंने सवाल उठाया कि हर बार एक ही एजेंसी को टेंडर क्यों मिलता है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्थानीय कलाकारों की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी और यह मामला मंत्री स्तर तक ले जाया जाएगा। संस्कृति को तमाशा बनाकर किया जा रहा पेश वहीं इप्टा के राष्ट्रीय सचिव तुरबसु ने कहा कि विभाग महोत्सव की मूल भावना को भूल चुका है और संस्कृति को तमाशा बनाकर पेश किया जा रहा है। जब इस पूरे प्रकरण पर कला एवं सांस्कृतिक पदाधिकारी आम्रपाली कुमारी से प्रतिक्रिया जाननी चाही गई, तो उन्होंने कोई जवाब देने से परहेज किया और बिना कुछ कहे वहां से चली गईं।
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