कफ सिरप तस्करी सिंडिकेट से जुड़े बहुचर्चित मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा राहत भरा आदेश दिया है। अदालत ने फैंसिडिल कफ सिरप के अवैध भंडारण और तस्करी के आरोप में गिरफ्तार भाइयों विभोर राणा और विशाल सिंह को सशर्त अंतरिम जमानत दे दी है। कोर्ट ने साफ किया है कि दोनों अभियुक्त जांच में पूरा सहयोग करेंगे और जरूरत पड़ने पर जांच अधिकारियों के समक्ष उपस्थित होंगे। हाईकोर्ट का सशर्त आदेश हाईकोर्ट लखनऊ बेंच ने अंतरिम जमानत देते हुए स्पष्ट किया कि विभोर राणा और विशाल सिंह को जांच में किसी भी स्तर पर सहयोग करना होगा। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि जब भी जांच अधिकारी उन्हें बुलाएंगे, दोनों को अनिवार्य रूप से हाजिर होना पड़ेगा। शर्तों के उल्लंघन की स्थिति में जमानत निरस्त की जा सकती है। एफएसडीए की एफआईआर से शुरू हुआ मामला यह मामला बीते वर्ष 8 अप्रैल को सामने आया था, जब खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) ने सुशांत गोल्फ सिटी थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। एफआईआर में आईपीसी की कई धाराएं लगाई गई थीं। आरोप था कि फैंसिडिल कफ सिरप और अन्य दवाओं का अवैध रूप से भंडारण किया जा रहा था। अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय तस्करी का आरोप जांच एजेंसियों के मुताबिक, बरामद की गई दवाओं का इस्तेमाल नशे के रूप में किया जाना था। आरोप है कि इन दवाओं की तस्करी बिहार, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल के साथ-साथ बांग्लादेश तक की जा रही थी। इसी संगठित नेटवर्क के तहत यह अवैध कारोबार संचालित किया जा रहा था। एसटीएफ ने की थी गिरफ्तारी मामले की गंभीरता को देखते हुए एसटीएफ को जांच में लगाया गया था। जांच के दौरान एसटीएफ ने विभोर राणा और विशाल सिंह को गिरफ्तार किया था। दोनों भाइयों पर कफ सिरप तस्करी सिंडिकेट से सक्रिय रूप से जुड़े होने का आरोप है। एबॉट कंपनी से जुड़ा कनेक्शन जांच में यह भी सामने आया कि विशाल सिंह और विभोर राणा, फैंसिडिल कफ सिरप बनाने वाली दवा कंपनी एबॉट के सहारनपुर स्थित सुपर स्टॉकिस्ट थे। इसी आधार पर एजेंसियों ने उनके खिलाफ अवैध भंडारण और तस्करी के आरोप मजबूत किए थे। अन्य आरोपियों की भी गिरफ्तारी इसी एफआईआर में अमित सिंह टाटा और बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह की भी गिरफ्तारी हो चुकी है। जांच एजेंसियों का दावा है कि पूरा नेटवर्क संगठित तरीके से काम कर रहा था और आगे भी जांच के दायरे में और नाम सामने आ सकते हैं।फिलहाल हाईकोर्ट से मिली अंतरिम जमानत के बाद विभोर राणा और विशाल सिंह को राहत जरूर मिली है, लेकिन जांच जारी है और आने वाले दिनों में इस कफ सिरप तस्करी सिंडिकेट से जुड़े और खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।
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