DniNews.Live

Fast. Fresh. Sharp. Relevant News

नालंदा में लिटरेचर फेस्टिवल का तीसरा दिन:पूर्वोत्तर भारत की सांस्कृतिक विरासत को समर्पित विशेष दिवस; इतिहासकार-लेखक विक्रम संपत आएंगे

नालंदा में लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है। आज(मंगलवार) तीसरे दिन पूर्वोत्तर भारत के विविध आयामों सिनेमा, इतिहास, संस्कृति और साहित्य पर गहन चर्चा होगी। सुबह 10 बजे से शुरू होने वाले इन सत्रों में देश के प्रतिष्ठित विद्वानों, कलाकारों और फिल्मकारों की भागीदारी होगी। प्रमुख सत्र और विशिष्ट वक्ता दिन की शुरुआत सुबह 10 बजे प्रख्यात इतिहासकार और लेखक विक्रम संपत के सत्र से होगी। अपनी गहन शोधपरक कृतियों के लिए जाने जाने वाले विक्रम संपत पूर्वोत्तर के ऐतिहासिक आख्यानों पर प्रकाश डालेंगे, जो अक्सर मुख्यधारा के इतिहास-लेखन में उपेक्षित रह जाते हैं। दोपहर 12:20 बजे पद्मश्री अरूप दत्ता का सत्र विशेष रूप से उल्लेखनीय होगा। असमिया सिनेमा के अग्रदूतों में गिने जाने वाले इस प्रसिद्ध फिल्मकार और लेखक ने क्षेत्रीय सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। उनकी सिनेमाई दृष्टि और साहित्यिक योगदान पर केंद्रित यह सत्र पूर्वोत्तर की दृश्य-श्रव्य विरासत को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगा। समापन शाम 7 बजे पद्म विभूषण डॉ. सोनल मानसिंह की एक विशेष प्रस्तुति के साथ होगा। सुप्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना और सांस्कृतिक आइकन डॉ. मानसिंह की उपस्थिति इस आयोजन की गरिमा को और बढ़ा देगी। पद्म विभूषण अदूर गोपालकृष्णन से संभावित मीडिया संवाद भारतीय सिनेमा के दिग्गज और पद्म विभूषण अदूर गोपालकृष्णन के साथ मीडिया इंटरेक्शन की संभावना भी बन रही है। हालांकि यह उनकी उपलब्धता और कार्यक्रम की व्यवहार्यता पर निर्भर करेगा। यदि यह संवाद संभव हुआ तो यह महोत्सव के लिए एक अतिरिक्त आकर्षण होगा। पूर्वोत्तर को मुख्यधारा में लाने का प्रयास साहित्य और संस्कृति के जानकारों का मानना है कि इस तरह के आयोजन पूर्वोत्तर भारत को देश की मुख्यधारा में लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। भौगोलिक और भाषाई विविधता के बावजूद, पूर्वोत्तर की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराएं, जीवंत लोक कलाएं और अनूठी साहित्यिक अभिव्यक्तियां राष्ट्रीय स्तर पर अपेक्षित मान्यता से अभी भी वंचित हैं। नालंदा साहित्य महोत्सव के इस विशेष दिवस का उद्देश्य इसी खाई को पाटना है। आयोजकों ने बताया कि विभिन्न सत्रों में क्षेत्रीय सिनेमा, साहित्य, लोक परंपराओं और समकालीन सांस्कृतिक चुनौतियों पर गहन विमर्श होगा। नालंदा की विरासत का आधुनिक संदर्भ यह कोई संयोग नहीं कि यह आयोजन नालंदा में हो रहा है। जहां एक ओर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में दूर-दूर से विद्वान और छात्र ज्ञानार्जन के लिए आते थे, वहीं आज का यह महोत्सव भी विविध विचारों, अनुभवों और दृष्टिकोणों के संगम का माध्यम बन रहा है।


https://ift.tt/oqHhMT2

🔗 Source:

Visit Original Article

📰 Curated by:

DNI News Live

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *