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‘दोस्तों ने कई लड़कियों से संबंध बनाए, मुझे HIV दिया’:बहन की शादी की टेंशन में था, वो बोले- एक बार सुई लो, स्वर्ग पहुंच जाओगे

‘पिता ने बहन की शादी के लिए पैसे मांगे। मैंने जमा पूंजी होने से इनकार किया तो डांटा। इसी टेंशन में था तभी दोस्तों के बहकावे में आकर नशे की सुई लगा ली। बोले थे सुई लो स्वर्ग में चले जाओगे, आज जीते जी नरक भोग रहा हूं। जिंदगी तबाह हो गई। बहनें नफरत करती हैं। डर के मारे घर नहीं जाता।’ इतना कहते-कहते सोनू (बदला हुआ नाम) रोने लगता है। उसके एक दोस्त का कई लड़कियों के साथ संबंध था। वह सेक्स वर्कर के पास भी जाता था। सोनू ने उस दोस्त के साथ नशे की सुई ली। आज दोनों HIV पॉजिटिव हैं। यह कहानी सिर्फ सोनू की नहीं। बिहार में 97,046 रजिस्टर्ड HIV संक्रमित हैं। इनमें से हजारों ऐसे युवा हैं, जिन्हें यह बीमारी नशे की सुई से लगी है। कल आपने पढ़ा बिना जांच किए खून चढ़ाने से कैसे एक महिला को HIV हुआ। आज पढ़िए, इंजेक्शन से ड्रग्स लेने के चलते HIV के शिकार 3 युवाओं की कहानी। कैसे गलत संगत ने उन्हें बर्बाद कर दिया। स्टोरी 1. पापा ने डांटा, दोस्त बोले- इंजेक्शन लो दूर होगी टेंशन पहली कहानी सोनू (बदला हुआ नाम) की है। पैसे कमाने पटना आया। दोस्तों के साथ नशे के इंजेक्शन लेने लगा। HIV संक्रमित हो गया। आगे पढ़ें जैसा सोनू ने बताया… पटना जिला के एक छोटे से गांव से हूं। पिताजी दूसरों की जमीन बटाई पर लेकर खेती करते हैं। बड़ी मुश्किल से घर चलता। मेरी जिंदगी कभी इतनी खुशहाल नहीं थी, लेकिन अब तो जीते जी नरक भोग रहा हूं। दो छोटी बहनें हैं। 12वीं तक पढ़ने के बाद काम की तलाश में पटना शहर आया। 15 हजार रुपए वेतन पर लोहे की फैक्ट्री में काम करने लगा। शुरू-शुरू में सब ठीक था। फैक्ट्री में काम करने वाले कुछ लड़कों से दोस्ती हुई। उनमें से कुछ के साथ शाम को चाय की दुकान पर जाने लगा। वे लोग चाय के साथ सिगरेट-गांजा पीते थे। मुझे भी देते, लेकिन मैं मना कर देता था। ऐसा ज्यादा दिन नहीं चला। उनके साथ रहते-रहते मैं भी सिगरेट-गांजा पीने लगा। हर महीने 15 हजार रुपए कमाता। रहने-खाने का खर्च रख बाकी पैसे पिताजी को दे देता था। घर में बहन की शादी की बात चली तो पिताजी ने फोन किया। उन्होंने कहा कि शादी में बहुत खर्च होगा। पैसे दो। मैंने कहा कि मेरे पास जमा पूंजी नहीं है। जो बचता है हर महीने भेज देता हूं। इस पर पिताजी ने डांट लगाई। उन्होंने कहा कि कुछ करते हो नहीं, बस घर नाश करने पर तुले हो, तुम मेरे बेटे नहीं हो, घर नहीं आना। पिताजी की डांट सुन मैं परेशान था। उस दिन शाम में अपने दोस्तों के साथ बैठा था। एक दोस्त ने कहा कि तूने कभी नशे का इंजेक्शन लिया है। बस एक बार लगाओ तो सारी टेंशन गायब हो जाती है। स्वर्ग में चले जाओगे। मैं डर गया, मना किया, लेकिन दोस्त ने कहा यार तू इतना परेशान है, एक बार ट्राई कर। हम सब लेते हैं। देख, हमारा क्या बिगड़ा? तू भी ले, मजा आएगा। हम तेरे साथ हैं। कुछ नहीं होगा। जब मैंने मना किया तो कहने लगे, तू डरपोक है क्या? मर्द बन, ट्राई कर। मैं बहन की शादी के टेंशन में था, तभी वे लोग मुझे फैक्ट्री के पिछले हिस्से में ले गए। वहां पहले से नशे की दवा की खाली शीशी और सिरिंज फेंके हुए थे। एक दोस्त ने सिरिंज निकाली, दो दवाइयों को मिलाकर सिरिंज में भरा और खुद से अपने नस में लेने लगा। बोला देख, मैं लेता हूं, कुछ नहीं होता। उसने खुद को इंजेक्ट किया और आंखें बंद करके बोला, वाह, स्वर्ग जैसा लग रहा है। फिर उसने मेरी बाजू पकड़ी और बोला अब तेरी बारी। मैंने मना किया, लेकिन उसने हंसते हुए बोला, चल यार, एक बार। अगर पसंद नहीं आया तो कभी नहीं लेना। दबाव में मैं मान गया। उसने उसी सिरिंज से मुझे भी नस में इंजेक्शन लगा दी। पहली सुई लगी, मैं सारी दुनिया भूल गया। दर्द, गरीबी, सब गायब, लेकिन यह पहली सुई मेरी आखिरी नहीं थी। धीरे-धीरे मैं एडिक्ट हो गया। रोज इंजेक्शन लेने लगा। हम एक ही सुई यूज करते, क्योंकि नई सुई खरीदने के पैसे नहीं थे। कहीं से सिर्फ सिरिंज लेने जाते थे तो मेडिकल शॉप पर नहीं मिलता था। मैं जानता था कि यह गलत है, लेकिन खुद को रोक नहीं पाता। पापा कहते थे, बेटा, कमा रहा है ना, पैसे घर भेज, लेकिन मैं सब नशे में उड़ा देता। अब सिर्फ फैक्ट्री के ही दोस्त नहीं बल्कि इंजेक्शन लेने वाले बाहर के दोस्त भी मिलने लगे। मैं उनके साथ भी सिरिंज शेयर करता रहा। एक दिन मुझे काफी तेज बुखार आया। शरीर में कमजोरी होने लगी। पहले तो मेडिकल शॉप से दवाई खाता रहा, लेकिन ठीक नहीं हुआ। बाद में मुझे डॉक्टर के पास जाना पड़ा। डॉक्टर ने टेस्ट कराया। रिपोर्ट HIV पॉजिटिव था। मैंने कभी सोचा नहीं था कि इंजेक्शन लेने और सिरिंज शेयर करने से HIV हो सकता है। मैंने कभी गलत रिलेशन नहीं बनाया, सिर्फ नशा करता था। मैंने पता लगाने की कोशिश की कि आखिर मुझे HIV कैसे हुआ। मुझे ध्यान आया कि मेरे साथ फैक्ट्री में काम करने वाला एक दोस्त फीमेल सेक्स वर्कर से मिलता था। कई लड़कियों के साथ उसके संबंध थे। मैंने उसके साथ भी सिरिंज शेयर की थी। बाद में वह भी बीमार पड़ा। उसका भी HIV टेस्ट पॉजिटिव आया। पता चला कि अलग-अलग लड़कियों से मिलने की वजह से उसे HIV हुआ और उसी से मुझे। HIV होने के बाद जिंदगी बदल गई। कमजोर हो गया हूं। काम नहीं कर पाता। फैक्ट्री से निकाल दिया गया। अब ART सेंटर जाता हूं, दवा लेता हूं, लेकिन साइड इफेक्ट्स से परेशान हूं। रात को नींद नहीं आती। दोस्तों की संगत में पड़कर मैंने खुद को बर्बाद कर लिया। घरवालों को बताया तो पापा रो पड़े। बोले, बेटा, तूने क्या किया? हमारी उम्मीद थी तुझसे। अब कौन देखेगा घर? मां रोज रोती हैं। बहनें नफरत करती हैं। मुझसे दूर रहती हैं। डर के मारे घर नहीं जाता। स्टोरी 2. पैसे कमाने शहर आया, दोस्तों ने लगा दी नशे की लत दूसरी कहानी संजय (बदला हुआ नाम) की है। पिता मजदूरी करते हैं। पैसे कमाने पटना आया। मजदूरी की। गलत दोस्तों की संगत में पड़कर नशे का इंजेक्शन लेने लगा। अब HIV संक्रमित है। आगे पढ़ें संजय की कहानी, जैसा उसने बताया… मैं बिहार के भागलपुर के एक गांव से हूं। पिता मजदूर हैं। दिनभर काम करते तो दो वक्त की रोटी जुटती। काम भी हर दिन नहीं मिलता। मां हमेशा बीमार रहतीं। उनकी दवा के पैसे नहीं होते। तीन छोटे भाई-बहन हैं। मैं सबसे बड़ा था। 10वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी। कमाने के लिए पटना चला आया। कंस्ट्रक्शन साइट पर काम मिला। दिनभर ईंटें ढोता, रात को थककर सो जाता। यहां मोहन और राजू जैसे लोग दोस्त बने। वे भी गरीब थे। नशे में सुख खोजते थे। मुझे नशे की सुई लेने के लिए कहते। एक दिन मैं उनकी बातों में आ गया। वे मुझे एक सुनसान कोने में ले गए। मोहन ने खुद अपने शरीर में सुई लगाई। बोला अब तेरी बारी। राजू ने मेरी बाजू पकड़ी और मोहन ने इंजेक्शन लगा दिया। धीरे-धीरे मुझे नशे की लत लग गई। रोज इंजेक्शन लेने लगा। पैसे कम पड़ते तो चोरी करता। हम ग्रुप में एक ही सुई शेयर करते। नई सुई के पैसे कहां से लाते? कुछ महीनों बाद, मोहन बीमार पड़ गया- लगातार बुखार, कमजोरी, खांसी। डॉक्टर ने टेस्ट कराया तो रिपोर्ट HIV पॉजिटिव आया। उसने कबूल किया कि वह जानता था कि संक्रमित हूं, लेकिन छुपाया। हमने उसकी सुई शेयर की थी। मैं डर से कांप गया। अपना टेस्ट कराया। रिपोर्ट HIV पॉजिटिव आई। गरीबी ने मुझे नशे की ओर धकेला और नशे ने HIV दी। अब बॉडी कमजोर हो गई, काम नहीं कर पाता। साइट से निकाल दिया गया। छोटे-मोटे काम करता हूं। लोग मेरी बीमारी के बारे में जानते हैं तो दूर भागते हैं, जैसे मुझे छूत की बीमारी है। घरवालों को बताया तो उन पर आसमान टूट पड़ा। पिताजी गुस्से में चिल्लाए, ‘निकाल बाहर घर से, तू कलंक है। हमारी इज्जत मिट्टी में मिला दी। अब परिवार कौन देखेगा? रोते हुए कहा, ‘बेटा, तू सबसे बड़ा था, उम्मीद थी तुझसे। तूने नशे में सब बर्बाद कर दिया। अब हम क्या खाएंगे? मां रो-रोकर बेहोश हो गई। कहने लगी, ‘भगवान, मेरे बच्चे को क्यों ऐसा सजा दी? मैंने कितने सपने देखे थे तेरे लिए।’ भाई-बहन डर से मुझसे दूर रहते हैं। कहते हैं, ‘भैया, तूने घर तबाह कर दिया। अब लोग क्या कहेंगे? हमारी शादी कैसे होगी? HIV ने मिलकर मुझे जिंदा लाश बना दिया है। स्टोरी 3. दोस्तों के साथ पार्टी, पहली सुई लगी तो दुनिया भूल गया तीसरी कहानी राहुल की है। पिता को सरकारी जॉब, मां टीचर। कॉलेज में पढ़ाई के समय गलत संगत में फंसकर नशे का आदी हो गया। आज HIV संक्रमित है। आगे पढ़ें जैसा राहुल ने बताया… मैं बिहार के मुजफ्फरपुर का हूं। अभी पटना में रहता हूं। घर में सब ठीक था। पिताजी सरकारी जॉब में हैं। मां टीचर हैं। मैं कॉलेज में पढ़ रहा था। गलत संगत ने मुझे डुबो दिया। मेरे दोस्त विक्की और अजय पार्टीबाज थे। वे कहते, ‘राहुल, पढ़ाई तो होती रहेगी, जिंदगी का मजा लो।’ शुरू में बीयर, फिर ड्रग्स। मैं मना करता, लेकिन वे बोलते, ‘अरे, एक बार ट्राई कर, मजा आएगा।’ एक दिन, विक्की ने कहा, ‘भाई, इंजेक्शन वाला नशा ट्राई कर। सुई से हेरोइन ले।’ मैं डर रहा था। बोला, ‘नहीं, ये खतरनाक है।’ वे लोग लगातार इंजेक्शन लेने के लिए कहते। एक पार्टी में मैं मान गया। पहली सुई लगी। मैं दुनिया भूल गया, लेकिन जल्द इसकी आदत लग गई। हम ग्रुप में सुई शेयर करते। पैसे कम पड़ते तो चोरी करता। कुछ महीने बाद, विक्की को खांसी और बुखार हुआ। टेस्ट कराया तो रिपोर्ट HIV पॉजिटिव आया। मैंने टेस्ट कराया तो मेरा भी रिपोर्ट पॉजिटिव था। मैं दवा लेता हूं, लेकिन कमजोरी रहती है। कॉलेज छूट गया, नौकरी नहीं मिलती। रात में रोता हूं, सोचता हूं, काश दोस्तों की नहीं सुनी होती। घरवालों को बताया तो पिता गुस्सा हुए। बोले, ‘तूने हमारा नाम डुबोया। क्या कमी थी? अब कौन तेरी बहनों से शादी करेगा?’ मां रोती है। कहती है, ‘बेटा, तुम क्यों ऐसे गलत लोगों के संगत में फंसे?’ मैं NGO में काम करता हूं, युवाओं को अवेयर करता हूं, लेकिन दर्द कम नहीं होता।


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