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क्या चिराग की राज्यसभा सीट पर ‘खेला’ कर रहे मांझी:बेटे को कमीशन लेना सीखा रहे या राजनीति, 30 दिन में 4 बयान, JDU-BJP चुप

केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के बयान ने NDA के अंदर की उठापटक को बाहर ला दिया है। 21 दिसंबर को गयाजी में सांसदों के 10% कमीशन लेने की बातें कही तो राज्यसभा सीट नहीं मिलने पर गठबंधन छोड़ने को कहा। RJD ने कमीशन लेने वाले बयान पर FIR करने की मांग की तो राज्यसभा सीट पर कहा- गठबंधन में उनको भाव नहीं मिल रहा है। 81 साल के मांझी ने सरकार बनने के 30 दिन के अंदर बैक-टू-बैक 4 बयान देकर किस पर निशाना साधा है। वह ऐसा क्यों कर रहे हैं। उनकी डिमांड से चिराग को नुकसान होगा क्या। जानेंगे, आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाही में…। सवाल-1ः पिछले कुछ वक्त से जीतनराम मांझी के कौन से बयान चर्चा में रहे? जवाबः बिहार में सरकार बनने के एक महीने के अंदर HAM (सेक्युलर) सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने 4 बड़े बयान दिए हैं, जो चर्चा में है। 1. 10% कमीशन लेते हैं सांसद-विधायकः 21 दिसंबर को गयाजी में आयोजित पार्टी के सम्मान समारोह में HAM सुप्रीमो और केंद्रीय मंत्री केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने कहा, ‘हर सांसद और विधायक कमीशन लेते हैं। यदि रुपया में 10 पैसा भी मिलता है तो वह भी काफी बड़ी रकम बन जाती है।’ दावा किया कि उन्होंने पिछले साल मिले कमीशन की राशि में से 40 लाख पार्टी फंड में दे दिए। मांझी ने कहा, ‘हमने खुद कई दफा कमीशन का पैसा पार्टी को दिया है। सांसद को 5 करोड़ मिलते हैं और अगर 10 प्रतिशत कमीशन मिलती है, तो 40 लाख रुपए हो जाएगा।’ केंद्रीय मंत्री मंच से बेटे संतोष सुमन से कमीशन वसूलने को कह रहे थे। 2. राज्यसभा सीट नहीं मिली तो NDA छोड़ेंगेः 21 दिसंबर को गयाजी में मांझी ने कहा, ‘लोकसभा चुनाव में दो सीटों के साथ एक राज्यसभा सीट देने का आश्वासन मिला था, पर एक ही सीट मिली। आज राज्यसभा सीट भी निकल रही है।’ उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से कहा कि आपको कुछ नहीं मिला। आपको आवाज उठानी चाहिए थी। राज्यसभा का चुनाव होने वाला है। इसमें एक सीट नहीं मिली तो NDA छोड़ देंगे। मंत्री पद नहीं था तो क्या नहीं जी रहे थे। फिर से वही गलती हुई तो हम अपना रास्ता अलग कर लेंगे। 3. DM से बोलकर चुनाव जितवायाः 18 दिसंबर को सोशल मीडिया पर मांझी का एक वीडियो वायरल हुआ। कथित वीडियो में मांझी को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि 2020 में गया की टिकारी विधानसभा सीट पर जब उनके उम्‍मीदवार (अनिल कुमार) 2700 वोटों से पीछे चल रहे थे, तब उन्‍होंने तत्कालीन डीएम अभिषेक सिंह (जो अब त्रिपुरा में तैनात हैं) की मदद से उन्‍हें जिता दिया था। बयान पर हंगामा होने के बाद पटना में 20 दिसंबर को मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा, ‘यह गलत वीडियो है। 2020 में टिकारी विधानसभा सीट पर हमारे उम्मीदवार अनिल कुमार चुनाव लड़ रहे थे। मतगणना के दौरान स्थिति काफी करीबी थी। मेरे कहने का मतलब यह था कि हमारे प्रत्याशी को मतगणना केंद्र छोड़कर भागना नहीं चाहिए था, बल्कि डटे रहकर पुनर्मतगणना करवानी चाहिए थी।’ 4. शराबबंदी कानून पर उठाये सवालः 9 दिसंबर को मांझी ने नीतीश सरकार की शराबबंदी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ‘कानून अच्छा है, लेकिन उसे ठीक से लागू नहीं किया गया। 50 ग्राम शराब पीने वाले या दवाई के रूप में 100 ग्राम शराब ले जा रहे गरीब लोगों को शराबबंदी केस में पकड़कर जेल में डाला जा रहा है। दूसरी ओर बड़े माफिया या तस्कर अफसरों की मिलीभगत से खुलेआम घूम रहे हैं।’ सवाल-2ः मांझी ने सांसद-विधायक फंड में कमीशन लेने की बातें कही। क्या ऐसा होता है? जवाबः बिल्कुल। मांझी ने तो एक साल में 40 लाख रुपए कमीशन लेने का दावा तक किया है। 16 दिसंबर को भास्कर ने एक खुलासा किया था, जिसमें राजस्थान के भाजपा विधायक कमीशन की डील करते कैमरे में कैद हुए हैं। ऐसे कई केसेज हैं, जिसमें सांसदों पर सवाल पूछने से लेकर वोट देने तक के लिए पैसा लेने का आरोप लगा है। कुछ उदाहरण देखिए… हालांकि, बिहार में सांसदों-विधायकों पर कमीशन लेने का कोई केस दर्ज नहीं हुआ है। सवाल-3ः मांझी के बयान से क्या NDA असहज है? मांझी ऐसा क्यों कर रहे? जवाबः मांझी के बयान के बाद विपक्ष NDA सरकार पर हमलावर है। वहीं, BJP-JDU के नेता कुछ भी साफ नहीं बोल रहे। एक्सपर्ट इसके पीछे 2 बड़े कारण बताते हैं… 1. प्रेशर पॉलिटिक्स बिहार में खरमास (14 जनवरी) बाद कैबिनेट का विस्तार होना है। 6 विधायकों पर एक मंत्री पद के फॉर्मूले के तहत चिराग पासवान की पार्टी LJP(R) को भी एक मंत्री पद मिलने की संभावना है। मांझी की पार्टी को एक मंत्री पद मिला है। मांझी कई मौकों पर इशारों-इशारों में कह चुके हैं कि वह दलितों के बड़े नेता है। उनके बयान को मंत्रालय से जोड़कर भी देखा जा रहा है। 2. बेटे संतोष सुमन को वोकल करना मांझी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनकी उम्र 81 साल है। उनके 21 दिसंबर वाले बयान को देखें तो साफ लग रहा है कि वह अपने बेटे और HAM (सेक्युलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन को रिचार्ज कर रहे हैं। वह बेटे संतोष सुमन से कहते हैं- ‘पार्टी के नेता आप है और पार्टी के सर्वे-सर्वा आप है। अगर हमको पार्टी के संरक्षक मानते हैं तो आप बोलिए। अपनी बात रखिए, तभी आगे बढ़ेंगे नहीं तो आगे नहीं बढ़ेंगे।’ सीनियर जर्नलिस्ट सत्यभूषण सिंह कहते हैं, ‘संतोष सुमन चुप रहने वाले नेता हैं। वह अपनी बातों को दमदारी से नहीं रखते हैं। मांझी जानते हैं कि बिना बोले कुछ नहीं मिलेगा। आपको अपनी बात रखनी ही होगी। उनकी बातों में अपने बेटे के लिए चिंता की बातें दिख रही है।’ सवाल-4: क्या मांझी नहीं चाहते कि चिराग पासवान की पार्टी को राज्यसभा सीट मिले? जवाबः बिल्कुल। राज्यसभा सीट वाली डिमांड उन्होंने चिराग पासवान के मिलने की चर्चा के बाद ही की है। मांझी ना खेलम-ना खेले देम वाली भोजपुरी कहावत पर काम कर रहे हैं। वह दावेदारी कर सीट पर पेंच फंसाना चाहते हैं। मांझी के अंदर एक टिस यह भी… बिहार में NDA में दो दलित नेता हैं- चिराग पासवान और जीतनराम मांझी। मांझी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह अपने को बड़ा दलित नेता मानते हैं, लेकिन गठबंधन के अंदर उनको चिराग पासवान के बराबर तवज्जो नहीं मिलती। इसका टिस उनके मन ही मन रहता है। CM रहने के बावजूद चिराग से कम तवज्जो क्यों… पहला कारण- चिराग पासवान की पार्टी के पास पिछले 25 सालों से 5% से ज्यादा वोट है। मांझी के पास 1.2% वोट शेयर है। दूसरा कारण- जीतनराम मांझी ट्रस्टी पार्टनर नहीं हैं। चिराग पासवान 2014 चुनाव के बाद से लगातार भाजपा के साथ बने हुए हैं। जबकि, मांझी कभी NDA में जाते हैं तो कभी महागठबंधन। सवाल-5: मांझी NDA से बाहर जाते हैं तो बिहार और केंद्र सरकार पर क्या असर पड़ेगा? जवाबः कोई असर नहीं पड़ेगा। इसे ऐसे समझिए…


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