हेल्थ रिपोर्टर|मधुबनी नवजात को अधिक ठंडी या गर्मी के कारण स्वास्थ्य जटिलताएं बढ़ने का ख़तरा रहता है। जिसे चिकित्सकीय भाषा में हाइपोथर्मिया कहा जाता है। सही समय पर हाइपोथर्मिया के प्रबंधन नहीं किए जाने पर नवजात की जान भी जा सकती है। लेकिन इस गंभीर समस्या का निदान आसानी से घर पर भी किया जा सकता है। जिसके लिए ‘कंगारू मदर केयर’(केएमसी) काफ़ी असरदार साबित हो सकता है। ‘कंगारू मदर केयर’ के तहत मां या घर का कोई भी सदस्य नवजात को अपनी छाती से चिपकाकर नवजात को शरीर की गर्मी प्रदान करते हैं। इससे नवजात को हाइपोथर्मिया से उबरने में सहायता मिलती है। सिविल सर्जन डॉ हरेंद्र कुमार ने बताया कि 2 किलोग्राम से कम वजन के बच्चों को कमजोर नवजात की श्रेणी में रखा जाता है। जिन्हें सघन देखभाल की जरूरत होती है। कमजोर बच्चों के उचित देखभाल के लिए सभी जिलों में ‘कमजोर नवजात देखभाल’ कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत आशा एवं एनएनएम चिह्नित कमजोर नवजातों को उनके घर पर ही विशेष देखभाल प्रदान करती हैं। कमजोर नवजातों के उचित देखभाल की कड़ी में ‘कंगारू मदर केयर’ काफ़ी असरदार प्रक्रिया होती है। इससे नवजात को हाइपोथर्मिया से बचाव के साथ नवजात के वजन में वृद्धि होती है। साथ ही इससे उनके बेहतर शारीरिक विकास में भी सहयोग मिलता है। चिकित्सकों के अनुसार नवजात एवं शिशुओं को ठंड से बचाने में नियमित स्तनपान एवं स्किन टू स्किन कांटेक्ट की अहम् भूमिका होती है। शारीरिक संपर्क से नवजात के शरीर में जरुरी ऊष्मा की पूर्ति होती है। इससे नवजात मौसम में हो रहे बदलावों से सुरक्षित रहता है। नियमित स्तनपान से शिशु की सभी पोषक तत्वों की आपूर्ति होती और वह स्वस्थ रहता है। केएमसी देने से मां की कन्हर (प्लेसेंटा) जल्दी बाहर आ जाता है।
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