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फर्जी मेडिकल हलफनामा दिखाने पर 2.50 लाख का हर्जाना:इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया आदेश, जमानत अर्जी के विरोध के लिए लगाया था झूठा हलफनामा

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हत्या मामले में जेल में बंद अभियुक्त की सजा के खिलाफ अपील पर दाखिल ज़मानत अर्जी के विरोध के लिए झूठा हलफनामा दाखिल करने वाले शिकायतकर्ता पर ढाई लाख रुपये हर्जाना लगाया है। कोर्ट ने पहले पांच लाख का हर्जाना लगाया लेकिन अधिवक्ता के अनुरोध पर इसे घटाकर ढाई लाख रुपये कर दिया और शिकायतकर्ता को निर्देश दिया कि एक माह में अपीलार्थी को हर्जाना राशि का भुगतान करे। ऐसा न करने पर DM आजमगढ़ वसूली कर भुगतान कराएंगे। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ एवं न्यायमूर्ति प्रशांत मिश्र की खंडपीठ ने आजमगढ़ के चंद्रशेखर उर्फ घुरहू सरोज व राजेंद्र प्रजापति की जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है। अर्जी पर अधिवक्ता वीके बरनवाल व अंशुल बरनवाल ने बहस की। कोर्ट ने कहा कि अपीलार्थी ट्रायल के दौरान जमानत पर थे, कोर्ट में 200 अपीलें रोज लिस्ट होती हैं, उनका निस्तारण संभव नहीं है। अपीलार्थियों पर फायरिंग करने का आरोप नहीं है। इस अपील की भी शीघ्र सुनवाई की संभावना नहीं है। कोर्ट ने दोनों अभियुक्तों की सशर्त जमानत मंजूर कर ली। साथ ही आधा जुर्माना माफ करते हुए शेष राशि एक माह में जमा करने का निर्देश दिया है। अपीलार्थी ने पेश किया था बीमारी का फर्जी मेडिकल दस्तावेज शिकायतकर्ता मनीष राय ने अर्जी देकर कहा कि अपीलार्थी चंद्रशेखर ने बीमारी का फर्जी मेडिकल दस्तावेज पेश कर जमानत मांगी है। इस पर कोर्ट ने सरकारी वकील से जानकारी मांगी तो जिला जेल अधीक्षक आजमगढ़ ने बताया कि अपीलार्थी के सीने में दर्द था। उसे जिला अस्पताल में दिखाया गया और बीएचयू में भी जांच कराई गई। वहां पर हृदय संबंधी बीमारी की शिकायत पाई गई। इलाज चल रहा है। इस खुलासे के बाद कोर्ट ने नाराजगी जताई और गलत अर्जी दाखिल कर जमानत अर्जी की सुनवाई में 15 दिन की देरी के लिए शिकायतकर्ता पर भारी हर्जाना लगाया। यह था पूरा मामला दरअसल, 28 मई 2018 को शिकायतकर्ता मनीष राय के गांव के गुरु प्रसाद राय उर्फ बेचू राय, और उनके बेटों, कृष्ण राय व चंदन राय ने मनीष राय और उसके भाइयों, उमाशंकर राय व दिनेश राय पर गोली चलाई थी। मनीष राय तो बच गया लेकिन उमाशंकर राय व दिनेश राय को गोली लगने से चोट आई और बाद में उमाशंकर राय की मौत हो गई। मनीष राय ने घटना की प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जो इस मामले का गवाह और पैरोकार भी था। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्तों को सजा सुनाई, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की गई है। अपील में दो आरोपियों ने जमानत अर्जी दाखिल की थी जिसे कोर्ट ने सशर्त मंजूर कर लिया है।


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