जालौन में बहुचर्चित हत्या मामले में न्यायालय ने अहम फैसला सुनाया है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एससी/एसटी) उरई सुरेश कुमार गुप्ता ने साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर मुख्य आरोपी जितेंद्र यादव उर्फ मोटे यादव को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही न्यायालय ने उस पर 50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। वहीं साक्ष्य के अभाव में मामले में नामजद आधा दर्जन अन्य आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया। यह घटना जालौन कोतवाली क्षेत्र के सेगर कॉलोनी हाईवे पर पुलिया के पास 18 जून 2021 की रात की है। इस संबंध में 19 जून 2021 को जालौन कोतवाली के मोहल्ला रापटगंज कस्बा निवासी शाहिदा पत्नी स्वर्गीय शाकिर ने प्रार्थना पत्र देकर मुकदमा दर्ज कराया था। शाहिदा ने बताया था कि उनका पुत्र नौशाद खां मजदूरी के सिलसिले में बाहर रहता था और पुत्री की तबीयत खराब होने की सूचना मिलने पर 18 जून को जालौन आया था। घर बुलाकर की थी हत्या मृतक की मां के अनुसार, उसी रात करीब 11 बजे आशीष यादव नौशाद को घर से बुलाकर सेगर कॉलोनी हाईवे स्थित पुलिया के पास ले गया, जहां पहले से मौजूद बजरंग भदोरिया उर्फ अमित प्रताप, विकास सेंगर उर्फ विक्की उर्फ सोनू, विल्ला भदौरिया उर्फ रोहित, जितेंद्र यादव उर्फ मोटे यादव, बन्टी यादव, जयकरण सहित दो अज्ञात लोगों ने उसे घेर लिया। आरोप है कि सभी ने एक राय होकर नौशाद के साथ गाली-गलौज करते हुए मारपीट शुरू कर दी। इसी दौरान जितेंद्र यादव उर्फ मोटे यादव ने अवैध तमंचे से नौशाद के सिर में गोली मार दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल होकर सड़क किनारे गिर पड़ा। घटना के समय एक अन्य आरोपी द्वारा हवाई फायरिंग भी की गई। मौके पर मौजूद लोगों ने घायल नौशाद को सरकारी अस्पताल पहुंचाया, जहां से उसे कानपुर रेफर किया गया। मृतक की मां ने की थी शिकायत इलाज के दौरान 19 जून 2021 को नौशाद की मौत हो गई। पुलिस ने मामले में मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। विवेचना पूरी होने के बाद आरोप पत्र दाखिल किया गया और मामला एससी/एसटी न्यायालय में विचाराधीन रहा। ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता बृजराज राजपूत ने प्रभावी पैरवी की, जबकि बचाव पक्ष की ओर से अलग-अलग अधिवक्ताओं ने अपने तर्क प्रस्तुत किए। न्यायालय ने सभी साक्ष्यों और गवाहों के बयानों का गहन परीक्षण करने के बाद जितेंद्र यादव उर्फ मोटे यादव को हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास व 50 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। वहीं अन्य छह आरोपियों को साक्ष्य और गवाहों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया। फैसले के बाद पीड़ित पक्ष ने न्यायालय के निर्णय को न्याय की जीत बताया।
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